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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Saturday 30 July, 2011

भारतीय यूथ बास्केटबाल टीम में छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी

0 तीनों खिलाड़ी मिडिल एशिया क्वालीफाइंग बास्केटबाल चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे
 रायपुर। छत्तीसगढ़ के तीन खिलाड़ी अजय प्रताप सिंह, संजीव कुमार व आकाश भसीन का चयन भारतीय यूथ बास्केटबाल टीम में हुआ है। भारतीय बास्केटबाल संघ के सीईओ हरीश शर्मा ने शनिवार को नई दिल्ली में भारतीय टीम की घोषणा की। भारतीय टीम नई दिल्ली के त्यागराज इंडोर स्टेडियम में 1 से 4 अगस्त तक होने वाली मिडिल एशिया क्वालीफाइंग बास्केटबाल चैंपियनशिप में हिस्सा लेगी। इसमें भारत के अलावा ीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, उज्बेकिस्तान व कजाकिस्तान की टीमें शिरकत करेंगी। 
छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के महासचिव राजेश पटेल ने बताया कि भारतीय टीम में चयनित अजय प्रताप सिंह भिलाई से तथा संजीव कुमार व आकाश भसीन राजनांदगांव से हैं। अजय प्रताप बीएसपी के उभरते हुए खिलाड़ी हैं और दो बार भारतीय यूथ एवं जूनियर टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। संजीव व आकाश साई सेंटर राजनांदगांव के खिलाड़ी हैं। आकाश ने हाल ही में नागपुर में हुई नेशनल यूथ बास्केटबाल चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ को कांस्य पदक दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। संजीव अमेरिका के फ्लोरिडा में आईएमजी रिलायंस की बास्केटबाल अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं। अजय के मुख्य कोच आरएस गौर तथा सहायक कोच एस. दुर्गेश राजू हैं। संजीव व आकाश के कोच साई सेंटर राजनांदगांव के प्रशासनिक अधिकारी के. राजेश्वर राव हैं। श्री पटेल ने बताया कि इस चैंपियनशिप की प्रथम दो टीमें सितंबर में वियतनाम में होने वाली दूसरी एशियन यूथ बास्केटबाल चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करेंगी। भारतीय यूथ बालक टीम मजबूत है। उम्मीद है कि भारतीय टीम फाइनल तक पहुंचने सफल होगी। भारतीय टीम में प्रदेश के तीनों खिलाड़ियों के चयन पर के पीछे भिलाई इस्पात संयंत्र, भिलाई इंजीनियरिंग कार्पोरेशन, भिलाई तथा छत्तीसगढ़ यूथ एवं वेलफेयर विभाग द्वारा जा रही सुविधाओं का परिणाम है।
छत्तीसगढ़ की पांच बालिकाएं बास्केटबाल               यूथ इंडिया कैंप में
0 पांचों खिलाड़ी भारतीय टीम के संभावित 18 सदस्यीय टीम में शामिल
0 दूसरे चरण के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेंगी

 
रायपुर।
छत्तीसगढ़ की पांच बालिकाओं ए. कविता, संगीता कौर, पूनम चतुर्वेदी, अंजना डेजी एक्का व शरणजीत कौर का चयन बास्केटबाल यूथ इंडिया कैंप के लिए हुआ है। पांचों बालिकाएं 18 सदस्यीय संभावित भारतीय टीम के साथ दूसरे चरण के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेंगी। पहले चरण के प्रशिक्षण शिविर में 30 लड़कियां शामिल थीं, जिनमें छत्तीसगढ़ से सात खिलाड़ी थीं।
छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के राजीव जैन ने बताया कि दूसरे चरण का इंडिया कैंप 16 अगस्त से नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में लगेगा। इसके बाद अंतिम रूप से 12 सदस्यीय भारतीय यूथ टीम का चयन किया जाएगा, जो अक्टूबर में होने वाली दूसरी एशियन यूथ बालिका बास्केटबाल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने चीन जाएगी। ी जैन ने बताया कि संभावित टीम में शामिल कविता भारतीय यूथ टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। साथ ही उनका चयन अमेरिका के फ्लोरिडा में रिलायंस आईएमजी अकादमी मंे बास्केटबाल के उच्च प्रशिक्षण के लिए हुआ है। संगीता कौर का चयन दूसरी बार इंडिया कैंप के लिए हुआ है, जबकि शरणजीत कौर, अंजना व पूनम पहली बार यूथ इंडिया कैंप के लिए चयनित हुई हैं। शरणजीत और संगीता बीएसपी डे-बोर्डिंग की खिलाड़ी हैं। वहीं कविता, अंजना व पूनम को भिलाई इंजीनियरिंग कार्पोरेशन द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है। कोच राजेश पटेल ने कहा कि पांचों खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए उनके भारतीय टीम में चुने जाने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ की बालक-बालिका टीम की उपलब्धि पर खेल मंत्री लता उसेंडी, छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के चेयरमैन सोनमणि बोरा, खेल संचालक जीपी सिंह, संघ के संरक्षक विनोद अरोरा, भिलाई इंजीनियरिंग कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अरविंद जैन, छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के अध्यक्ष राजीव जैन, संघ के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश डाकलिया, छत्तीसगढ़ लान टेनिस संघ के अध्यक्ष विक्रम सिसोदिया, बीएसपी के कार्यपालक निदेशक कार्मिक एवं प्रशासन एसके शर्मा, बीएसपी के महाप्रबंधक प्रभारी (कार्मिक) आरके नरूला, छत्तीसगढ़ आर्म रेसलिंग संघ के अध्यक्ष जी. सुरेश, छत्तीसगढ़ जिम्नास्टिक संघ के अध्यक्ष अश्विनी महेंद्रु, छत्तीसगढ़ तैराकी संघ के अध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, छग तैराकी संघ के सचिव सहीराम जाखड़, बीएसपी के महाप्रबंधक (मैनेजमेंट सर्विसेज) माधुरी मेनन, बीएसपी के महाप्रबंधक (कार्मिक) आरके शर्मा, बीएसपी बास्केटबाल क्लब के अध्यक्ष एसआरए रिजवी, छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के संरक्षक द्वय नवीन सिंह व रूपा जैन, बीएसपी के उपमहाप्रबंधक (कार्मिक) एके कयाल, सहायक महाप्रबंधक मेहमूद हसन, छत्तीसगढ़ बाक्सिंग संघ के  अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, छत्तीसगढ़ हैंडबाल संघ के सचिव बशीर अहमद खान, छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृजमोहन सिंह, अजय प्रताप सिंह व अनिल पुसदकर, उपाध्यक्ष योगेश कुमार, विनोद नेमी, निलांजल नियोगी, एससी त्रिपाठी व मधु तिवारी, सहसचिव दिनेश शर्मा, राजेंद्र तंबोली, प्रमोद सिंह ठाकुर, संस्कार द्विवेदी व विजय देशपांडे, छत्तीसगढ़ वालीबाल संघ के सचिव मो. अकरम खान, छत्तीसगढ़ बाल बैडमिंटन संघ के सचिव वाय. राजाराव, छत्तीसगढ़ जूडो संघ के सचिव अरुण द्विवेदी, इकबाल अहमद खान, साजी टी. थामस, सरजीत चक्रवर्ती, एमवीवी जे. सूर्यप्रकाश, रामकुम्ाार चंद्रा, अशोक धर, शिशांत पांडे आदि ने बधाई देते हुए उनके अच्छे प्रदर्शन की कामना की है।  

Thursday 28 July, 2011

लंदन ओलिम्पिक के पदकों का अनावरण

लंदन ओलिम्पिक-2012 :  पदक बड़े और खूबसूरत भी  
अनावरण अवसर पर प्रिंसेस एन (बाएँ) और आयोजन समिति के प्रमुख सैबेस्टियन को। 
 लंदन। लंदन ओलिम्पिक में एक वर्ष शेष रहते खेलों के इस महाकुंभ की उल्टी गिनती शुरू हो गई और पदकों का भी अनावरण कर दिया गया। लंदन के ट्रैफलगर स्क्वेयर में आयोजित पदक अनावरण समारोह में ओलिम्पिक में विजेताओं को मिलने वाले स्वर्ण, रजत और कांस्य पदकों को पहली बार प्रदर्शित किया गया। लंदन इससे पहले दो बार ओलिम्पिक खेलों की मेजबानी कर चुका है। वर्ष 1908 और 1948 के बाद वह तीसरी बार ओलिम्पिक की मेजबानी करने जा रहा है।
ब्रिटेन के प्रसिद्ध डिजाइनर डेविड वॉटकिंस द्वारा डिजाइन किए गए ये पदक पिछले पदकों के मुकाबले ज्यादा बड़े और वजनी हैं। इन पदकों का व्यास 85 मिलीमीटर है और वजन 400 ग्राम है। अगर कोई खिलाड़ी बीजिंग ओलिम्पिक के दौरान तैराकी में सात-आठ पदक जीतने वाले माइकल फेल्प्स की तरह इस बार इतने पदक जीतता है तो उसे अपनी गर्दन मजबूत रखनी होगी।
पदक के बीच में ऐसा डिजाइन बनाया गया है जिससे आड़ी-तिरछी रेखाएँ निकल रही हैं। ये रेखाएँ लंदन से निकलती ऊर्जा की द्योतक हैं। इसमें टेम्स नदी को एक रिबन के रूप में दिखाया गया है जो बीच में है। गोलाकार इस पदक के दूसरी तरफ यूनानी मिथकों में जीत और खेल की भावना की प्रतीक मानी जाने वाली देवी 'नाइकी" की तस्वीर उकेरी गई है। पदक पर उस खेल का नाम लिखा होगा जिसमें खिलाड़ी विजेता बनेंगे। हालाँकि इस बार ओलिम्पिक के स्वर्ण पदक विजेताओं को भारी निराशा होगी क्योंकि उन्हें दिए जाने वाले इन वजनी पदकों में मात्र 1.34 प्रतिशत ही सोना है। इसमें 92.5 प्रतिशत चाँदी और अन्य धातुएँ हैं। इन पदकों को इस वर्ष के अंत में दक्षिणी वेल्स के टकसाल में ढाला जाएगा। 
 वॉटकिंस ने कहा- मैंने वर्ष 2000 में हुए सिडनी ओलिम्पिक के लिए जो पदक डिजाइन किए थे, ये पदक उससे बड़े हैं और खूबसूरत भी हैं। उन्होंने कहा- मैं बेसब्री से उस पल की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जब 2100 पदकों में से पहला पदक किसी खिलाड़ी को दिया जाएगा। मैं यह सोचकर रोमांचित हूँ कि ओलिम्पिक में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी मेरा डिजाइन किया हुआ पदक पहनेंगे।

फुटबॉल टूर्नामेंट के सभी टिकट बिकने की उम्मीद
ओलिम्पिक खेलों की आयोजन समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल डीटन ने फुटबॉल टूर्नामेंट के लिए बाकी बचे 15 लाख टिकटों की बिक्री की उम्मीद जताई है। डीटन ने कहा-ड्रॉ निकलने के बाद टिकटों की बिक्री में तेजी आएगी क्योंकि तभी लोगों को पता चलेगा कि कौन-सी टीम कहाँ खेल रही है।
ओलिम्पिक में पुरुष और महिला टीमों के फुटबॉल मुकाबले  ब्रिटेन के कई शहरों में आयोजित किए जाएँगे। इनमें कार्डिफ का मिलेनियम स्टेडियम, ग्लास्गो का हैम्पडन पार्क और लंदन का वेम्बली स्टेडियम शामिल है। इस वर्ष के अंत में तीसरी बार फुटबॉल मैचों के टिकटों की बिक्री की जाएगी, जिनकी कीमत 20 से 185 पाउंड के बीच होगी। बाकी सभी खेलों के अधिकांश टिकट पहले ही बिक चुके हैं। डीटन ने कहा-हम अब तक आठ लाख टिकट बेच चुके हैं जबकि टिकट खरीदने वालों को यह अभी तक यह पता नहीं है कि वे किसे देखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा-फाइनल और सेमीफाइनल के टिकट तो कब के बिक चुके हैं। क्वार्टर फाइनल के टिकट भी बिक रहे हैं लेकिन लीग मैचों के टिकट धीरे-धीरे बिक रहे हैं। इनका कोई पैटर्न नहीं है क्योंकि सप्ताहाँत वाले टिकट सबसे अधिक बिकते हैं। हालाँकि शेष टिकट बिकते हैं या नहीं, इसका ज्यादा असर हमारे बजट पर नहीं पड़ने जा रहा क्योंकि ये सस्ते टिकट हैं। फाइनल के टिकट महँगे होते हैं जिसकी बिक्री पहले ही हो चुकी है।
 

वेस्टइंडीज क्रिकेट खेलने जाएंगे छत्तीसगढ़ के तीन वकील

0 7 से 20 अगस्त तक होने वाली तृतीय अधिवक्ता विश्वकप क्रिकेट स्पर्धा में हिस्सा लेंगे
0 14 देशों की टीमें हिस्सा लेंगी

 रायपुर। छत्तीसगढ़ के तीन अधिवक्ता भारतीय टीम के साथ वेस्टइंडीज के बारबाडोस में 7 से 20 अगस्त तक होने वाली तृतीय अधिवक्ता विश्वकप क्रिकेट स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। इसमें भारत समेत 14 देशों की टीमें हिस्सा लेंगी। भारतीय टीम में चयनित प्रदेश के तीन खिलाड़ी भूपेंद्र जैन, अरमान खान व वजाहत रिजवी हैं।
छत्तीसगढ़ राज्य अधिवक्ता क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष फैजल रिजवी ने बताया कि 18 सदस्यीय भारतीय टीम में छत्तीसगढ़ के तीन आलराउंडर खिलाड़ियों का चयन हुआ है। तीनों खिलाड़ी 2 अगस्त को दिल्ली रवाना होंगे। भारतीय टीम 4 अगस्त को इंग्लैंड रवाना होगी। भारतीय टीम 5 अगस्त को लंदन के लार्ड्स मैदान पर इंग्लिश बैरिस्टर टीम के साथ अभ्यास मैच खेलेगी। इसके बाद लंदन में होने वाली इंटरनेशनल लीगल सेमिनार में हिस्सा लेने बाद दोनों टीमें उसी शाम वेस्टइंडीज के लिए रवाना होंगी।
श्री रिजवी ने बताया कि इस विश्वकप में क्रिकेट खेलने वाले सभी देशों की टीमें हिस्सा लेंगी। पिछला विश्वकप लंदन में हुआ था, जिसमें भारतीय टीम उपविजेता थी। इस टीम में भी छत्तीसगढ़ से भूपेंद्र जैन व अरमान खान शामिल थे। वजाहत रिजवी पहली बार भारतीय टीम में शामिल हुए। तीनों खिलाड़ियों का चयन हैदराबाद में भारतीय अधिवक्ता क्रिकेट एसोसिएशन (आईएसीए) की मेजबानी में हुई राष्ट्रीय अधिवक्ता क्रिकेट चैंपियनशिप में प्रदर्शन के आधार पर हुआ है। राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे, रायपुर जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामनारायण व्यास, सचिव सत्येंद्र ठाकुर समेत छग अधिवक्ता क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों ने हर्ष व्यक्त करते हुए विश्वकप में तीनों खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन की कामना की है।
 

Sunday 24 July, 2011

उड़ीसा सेंट्रल जोन रग्बी चैंपियन

0 मेजबान छत्तीसगढ़-ए की टीम चौथे स्थान पर रही
ट्राफी के साथ ओड़िसा की महिला टीम 
रायपुर। स्पोर्ट्स कांप्लेक्स आउटडोर स्टेडियम में हुई सेंट्रल जोन सीनियर महिला रग्बी सेवन-ए-साइड फुटबाल चैंपियनशिप का रविवार को समापन हुआ। दो दिनों तक चली स्पर्धा के फाइनल में उड़ीसा (भुवनेश्वर) ने अपने ही राज्य की कीस भुवनेश्वर की टीम को संघर्षपूर्ण मुकाबले में शिकस्त देकर खिताब पर कब्जा किया। स्पर्धा में मेजबान छत्तीसगढ़-ए को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। उत्तरप्रदेश की टीम तीसरे स्थान पर रही।
खिताबी भिड़ंत उड़ीसा की दोनों टीमों के बीच हुई। दोनों टीमों की खिलाड़ियों के बीच संघर्षपूर्ण मुकाबला हुआ। पहले हाफ तक दोनों टीम दो-दो गोल करके 10-10 अंक हासिल करने में कामयाब रही। दूसरे हाफ में दूसरे हाफ में दोनों टीमों ने गोल करने में पूरी ताकत लगा दी, लेकिन किसी को भी गोल करने में सफलता नहीं मिली और मैच 10-10 अंक की बराबरी पर समाप्त हुआ। इसके बाद फैसला गोल्डन गोल से किया गया, लेकिन इसमें भी किसी को भी गोल करने में सफलता नहीं मिली। अंत में निर्णायकों ने मैच का फैसला सिक्का उछालकर टॉस से किया, जिसमें उड़ीसा (भुवनेश्वर) की टीम ने जीत हासिल की।
तीसरे स्थान के लिए कांटे का मुकाबला
 तीसरे के लिए हुए मैच में मेजबान छत्तीसगढ़-ए और उत्तरप्रदेश के बीच कांटे का मुकाबला हुआ। दोनों टीमों ने मैच समाप्ति तक गोल करने के लिए खूब जोर-आजमाइश की, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली और मैच शून्य पर बिना परिणाम के समाप्त हुआ। इसके बाद दोनों टीमों को गोल्डन गोल के लिए पांच मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया, मगर इसमें भी गोल नहीं हो सका। अंत में फैसला टॉस से किया गया, जिसमें उत्तरप्रदेश की टीम जीत गई और छत्तीसगढ़ को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। इसके पूर्व खेले गए पहले सेमीफाइनल कीस भुवनेश्वर ने उत्तरप्रदेश को रोमांचक मुकाबले में 4-1 से अर्थात 20-5 अंकों से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। दूसरे सेमीफाइनल में उड़ीसा (भुवनेश्वर) ने छत्तीसगढ़-ए को एकतरफा 5-0 से अर्थात 25-0 अंकों से शिकस्त दी।
महापौर ने दिया सहायता का आश्वासन
समापन व पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्यअतिथि महापौर डॉ. किरणमयी नायक ने विजेता और उपविजेता टीमों को पुरस्कार प्रदान किया। अध्यक्षता सेंट्रल जोन के डायरेक्टर यूके मोहंती ने की। समारोह महापौर ने कहा कि खुशी की बात है कि वे पहली बार किसी महिला खिलाड़ियों के टूर्नामेंट में शामिल हो रही हैं। रग्बी को छत्तीसगढ़ में बढ़ावा देने के लिए वे हरसंभव सहायोग करेंगी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ रग्बी फुटबाल संघ के अध्यक्ष ललित चौरसिया ने कहा कि भविष्य में यहां और भी बड़ा टूर्नामेंट आयोजित किया जाएगा और खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी। इस मौके पर संघ के सचिव अयाज अहमद खान, इमरान खान, संजय राठी, जुगल किशोर झंवर समेत खिलाड़ी व संघ के अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
 

Friday 22 July, 2011

छत्तीसगढ़ के 16 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे नेशनल ट्रायथलान में

0 तैयारी में जुटे प्रदेश के खिलाड़ी
0 अगस्त के अंतिम सप्ताह में होगी राज्य स्पर्धा
   
सचिव डॉ. विष्णु श्रीवास्तव
रायपुर। ट्रायथलान व एक्वाथलान की नेशनल चैंपियनशिप की मेजबानी मिलने के बाद यहां के खिलाड़ी इसकी तैयारी में जुट गए हैं।   नवंबर में प्रस्तावित नेशनल चैंपियनशिप के सभी वर्गों में छत्तीसगढ़ के 16 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। प्रदेश टीम का चयन अगस्त के अंतिम सप्ताह में किया जाएगा। राज्य बनने के बाद यहां पहली बार ट्रायथलान व एक्वाथलान की नेशनल चैंपियनशिप होगी। छत्तीसगढ़ ट्रायथलान संघ ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। अभी रायपुर में विभिन्ना वर्गों के करीब 20 खिलाड़ी भाठागांव एनिकट व कचना तालाब में इसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं। इन खिलाड़ियों को संदीप गोविलकर, डॉ. प्रमोद मैने व दिलीप फरिकार अपने स्तर पर प्रशिक्षण दे रहे हैं। रतनपुर में 15, भिलाई, बिलासपुर और कोरबा में सात-सात, जांजगीर व रायगढ़ में पांच-पांच खिलाड़ी इसकी तैयारी कर रहे हैं। संघ के सचिव डॉ. विष्णु श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रायथलान व एक्वाथलान के सभी चार वर्गों में कुल 16 पुरुष खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इस खेल में प्रदेश की लड़कियों का हिस्सा लेना अभी निश्चित नहीं है, लेकिन कसडोल की दो लड़कियों ने इसमें हिस्सा लेने में रुचि दिखाई है। उन्हें पूरी तरह परखने के बाद ही हिस्सा लेने दिया जाएगा।

साइकिल व कोच उपलब्ध कराना चुनौती
संघ के सचिव डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि इस खेल के लिए खिलाड़ियों को साइकिल और कोच उपलब्ध कराना चुनौती है, क्योंकि यह खेल छत्तीसगढ़ में डेवलप होने की स्थिति में है। अभी खिलाड़ियों के पास रेसिंग के लायक साइकिल नहीं है। यह साइकिल दो-तीन लाख रुपए की होती है। भारत में सामान्य स्तर की साइकिल की कीमत ही 80 से 90 हजार रुपए है। अभी खिलाड़ी सामान्य साइकिल से प्रैक्टिस कर रहे हैं। खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए 10-12 हजार कीमत वाली साइकिल उपलब्ध कराने पर विचार किया जा रहा है। ट्रायथलान को छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी ने गोद लिया है। कंपनी से मिलने वाले अनुदान के लिए प्रदेश संघ प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है। इसमें पहली प्राथमिकता खिलाड़ियों को अच्छी रेंज की साइकिल व कोच उपलब्ध कराना है। कोच पर ही महीने में 60 हजार रुपए खर्च आएगा, क्योंकि तीनों खेलों के लिए अलग-अलग कोच रखना पड़ता है। फिर भी बाहर से एक कोच बुलाने पर विचार किया जा रहा है। 

नई राजधानी क्षेत्र उपयुक्त
प्रदेश संघ ट्रायथलान व एक्वाथलान की नेशनल चैंपियनशिप आयोजित कराने के लिए नई राजधानी क्षेत्र में उपयुक्त स्थान देख रहा है, क्योंकि वहां नवनिर्मित चौड़ी सड़कें साइकिलिंग और दौड़ दोनों के लिए उपयुक्त हैं।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास स्थित परसदा डेम को स्वीमिंग के लिए डेवलप किया जा सकता है। इस संबंध में संघ के सचिव डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि वहां इसके आयोजन के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं। सिर्फ उसे आयोजन के लायक बनाना होगा। इसके लिए ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, सांसद रमेश बैस, लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, नगरीय प्रशासन मंत्री राजेश मूणत व खेल मंत्री लता उसेंडी से मिलकर सहयोग का आग्रह करेंगे। साथ ही सफल आयोजन के लिए सभी खेल संघों से भी सहयोग लिया जाएगा।


इंफ्रास्ट्रक्चर सामान्य पर गेम खर्चीला
ट्रायथलान में स्वीमिंग, साइकिलिंग और दौड़ के लिए सामान्य इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। इसके बावजूद यह खर्चीला गेम है। खासकर साइकिलिंग बेहद महंगा गेम है। एक साइकिल की कीमत दो से तीन लाख रुपए है। यह भारत में बनती नहीं है। इसे विदेशों से मंगाई जाती है। विदेशों से कल-पुर्जे मंगाकर भारत में बनाई साइकिल की कीमत ही 80 से 90 हजार रुपए है। स्वीमिंग के लिए समान रूप से अच्छी चौड़ाई, लंबाई व गहराई वाले डेम या तालाब की जरूरत होती है, जहां स्वच्छ पानी हो। इसी तरह साइकिलिंग व दौड़ के लिए चौड़ी व साफ-सुथरी सड़क चाहिए।

नारंग को 'खेल रत्न", 19 खिलाड़ी बनेंगे अर्जुन

नई दिल्ली। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में चार स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज गगन नारंग को वर्ष 2010-11 के लिए देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार 'राजीव गांधी खेल रत्न" पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, जबकि जहीर खान और सोमदेव देववर्मन सहित 19 खिलाड़ियों को 'अर्जुन पुरस्कार" मिलेगा।
नारंग ने राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण पदकों पर निशाना साधा था। साथ ही वह 2012 में लंदन में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने वाले तेज गेंदबाज जहीर खान और दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के दोहरे स्वर्ण विजेता सोमेदेव देववर्मन सहित कुल 19 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया है। इन खिलाड़ियों को 29 अगस्त को खेल दिवस के दिन यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने विश्वकप में जहीर खान के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए अर्जुन पुरस्कार के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। जहीर ने विश्वकप में सर्वाधिक 21 विकेट लेते हुए भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
अर्जुन पुरस्कार के लिए नामांकित अन्य खिलाड़ी
राहुल बनर्जी (तीरंदाजी), प्रीजा श्रीधरन (एथलेटिक्स), विकास गौड़ा (एथलेटिक्स), आशीष कुमार (जिमनास्टिक), राकेश कुमार और तेजस्विनी बाई (दोनों कबड्डी), राजपाल सिंह (हाकी), संजय कुमार (वालीबाल), सुनील छेत्री (फुटबाल), रवि कुमार (भारोत्तोलन), रवीन्द्रसिंह (कुश्ती), सुरंजय सिंह (मुक्केबाजी), ज्वाला गुट्टा (बैडमिंटन), वीरधवल खाड़े (तैराकी), तेजस्विनी सावंत (निशानेबाजी), संध्या रानीदेवी (वूशू) और प्रशांत कर्माकर (निशक्त खिलाड़ी) शामिल हैं।
 

Tuesday 19 July, 2011

नवीन का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करना

0 छत्तीसगढ़ से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने में जुटे
0 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल न जीत पाने का मलाल


रायपुर के आउटडोर स्टेडियम में खिलाडियों को प्रशिक्षण देते नवीन साहू.  
 रायपुर। कयाकिंग व केनोइंग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू का लक्ष्य छत्तीसगढ़ से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करना है। इसके लिए वे जुट भी गए हैं। नवीन को वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल न जीत पाने का मलाल है, लेकिन वे अपने इस अधूरे सपने को कोच के रूप में पूरा करना चाहते हैं। नवीन का कहना है कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल के करीब पहुंचने के बाद भी वे जीत नहीं पाए। अपने इस सपने को कोच के रूप में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार कर पूरा करना चाहते हैं, चाहे वे खिलाड़ी छत्तीसगढ़ से हों या अन्य राज्य से।
भारत व मध्यप्रदेश को कयाकिंग में पहला एशियन गोल्ड मेडल दिलाने वाले नवीन का कहना है कि उनका असली सपना तो ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना था, लेकिन एक हादसे में कंधे की चोट की वजह से खेल बीच में ही छोड़ देना पड़ा। नवीन ने अभी तक जितने भी मेडल जीते हैं वे मध्यप्रदेश के लिए जीते हैं। उन्होंने वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश से खेलना शुरू किया और राज्य बनने के बाद भी वहीं से ही खेलना जारी रखा। उपलब्धियों के लिए वे मध्यप्रदेश सरकार की ओर से विक्रम अवार्ड और एकलव्य पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। नवीन कहते हैं कि छत्तीसगढ़ का होते हुए भी राज्य बनने के बाद यहां इस खेल की सुविधा नहीं होने से वे मध्यप्रदेश की ओर से ही खेलते रहे।

डेम में डेवलप हो सकता है वाटर स्पोर्ट्स

नवीन साहू
 नवीन का कहना है कि नई राजधानी में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास स्थित परसदा डेम को वाटर स्पोर्ट्स के लिए डेवलप किया जा सकता है। डेम का वे निरीक्षण कर चुके हैं। कयाकिंग व केनोइंग में 1000 मीटर, 500 मीटर व 200 मीटर की स्पर्धा होती है। उतनी लंबाई लगभग उस डेम में उपलब्ध है, लेकिन अभी वह असमतल व उथला है। डेम का समान गहरीकरण कराना होगा, तभी वह उपयोग लायक हो सकता है। साथ ही डेम में नियमित स्वच्छ पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके तैयार होने पर वहां स्वीमिंग समेत अन्य वाटर स्पोर्ट्स की भी प्रैक्टिस की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भोपाल में बड़ी झील की वजह से ही वहां अकादमी स्थापित है। मध्यप्रदेश कयाकिंग व केनोइंग में देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। वहां एशियन चैंपियनशिप भी आयोजित हो चुकी है।

स्पोर्ट्स अकादमी से मिलेंगे मेडल
नवीन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विभिन्ना खेलों की अकादमी स्थापित करने से ही यहां खिलाड़ी तैयार होंगे व मेडल भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कयाकिंग समेत अन्य खेलों की अकादमी स्थापित होने से वह तेजी से कई खेलों में मेडल हासिल कर रहा है।

भारत में उल्टा नियम
नवीन का कहना है कि भारत में खिलाड़ियों को पुरस्कृत करने का उल्टा नियम है। यहां खिलाड़ियों से कहा जाता है कि पहले मेडल लाओ फिर पुरस्कार देंगे, जबकि विदेशों में इसके विपरीत खिलाड़ियों के लिए पहले आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाता है। सालों तक उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर खिलाड़ी से मेडल की अपेक्षा की जाती है और खिलाड़ी उनकी अपेक्षाओं पर खरे भी उतरते हैं। यही कारण है कि अमेरिका, चीन जैसे देश आज विश्व में अव्वल है। मगर भारत में बिना विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर व सुविधाएं उपलब्ध कराए खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद करते हैं। यही कारण है कि एक अरब की आबादी वाला भारत ओलिंपिक में मेडल के लिए तरसता है।

चीन की खेल नीति अपनाएं नवीन ने कहा कि भारत को चीन की खेल नीति अपनाना चाहिए, जो बहुत की कम समय में विश्व में खेल महाशक्ति बन गया है। भारत में खेल की क्वालिटी के बजाय क्वांटिटी पर ध्यान दिया जाता है। चीन में खिलाड़ी तैयार करने की एक लंबी योजना होती है, जो यहां नहीं है। चीन में एशियन, वर्ल्ड चैंपियनशिप व ओलिंपिक के लिए अलग-अलग टीम तैयार की जाती है और उसे उसी स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है। कोई खिलाड़ी किसी कारणवश एनवक्त में टीम से बाहर हो जाए तो उनकी भरपाई करने उसी स्तर के दूसरे खिलाड़ी तैयार रहते हैं। मगर में एक अच्छे खिलाड़ी की भरपाई के लिए उसी स्तर के खिलाड़ी ही नहीं होते हैं।

Monday 18 July, 2011

एशियन जंप रोप चैंपियनशिप में भारत ओवरआल चैंपियन

0 छग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह ने सात स्वर्ण पदक जीते
0 भारत ने 38 स्वर्ण, 19 रजत व 9 कांस्य समेत कुल 66 पदक जीते
रायपुर 
काठमांडू में हुई प्रथम एशियन जंप रोप चैंपियनशिप में भारत अपना दबदबा बनाते हुए 38 स्वर्ण, 19 रजत व 9 कांस्य समेत कुल 66 पदक जीतकर ओवरआल चैंपियन रहा। टीम में शामिल छत्तीसगढ़ के राजदीप सिंह हरगोत्रा ने कुल सात स्वर्ण और दिव्यांश झा ने दो स्वर्ण पदक जीते। स्पर्धा में मेजबान नेपाल 13 स्वर्ण, 8 रजत व 9 कांस्य समेत कुल 30 पदक हासिल कर दूसरे स्थान पर रहा। 20 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के मास्टर इवेंट के सभी चार गोल्ड मेडल जीतकर भारत को बढ़त दिलाई। राजदीप ने टीम इवेंट के डबल डच स्पीड रिले में शिवम कांगी, सूरज पांडे के साथ गोल्ड जीता। डबल डच पेयर्स रिले में कोमल सिंह, सईद पाशा व सोनी कुमारी के साथ मिलकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद डबल डच पेयर्स फ्रीस्टाइल में भी सूरज पांडे, शिवम कांगी व सईद पाशा के साथ टीम इवेंट में एक और स्वर्ण जीता। इसी तरह दिव्यांश झा ने अंडर-16 वर्ग के तीन मिनट एंडुरेंस में एक गोल्ड व इवेंट में एक रजत पदक जीता। इसी वर्ग में उत्कर्ष त्रिपाठी ने डबल अंडर व 30 सेकंड स्पीड इवेंट में दो कांस्य पदक जीते।
स्पर्धा में अंतिम दिन भी छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का पदक जीतने का सिलसिला जारी रहा। राजदीप सिंह ने अपने अनुभव का लाभ लेते हुए अंतिम दिन छत्तीसगढ़ के अभिजीत मोहदीकर ने अंडर-12 वर्ग के मास्टर इवेंट फ्रीस्टाइल में 1 रजत व डबल अंडर में एक कांस्य पदक अपने नाम किया। इसी वर्ग में हिमांशु बिटुरवार ने फ्रीस्टाइल में एक कांस्य व डबल अंडर में एक रजत पदक हासिल किया। अंडर-16 वर्ग के टीम इवेंट स्पीड रिले एवं डबल अंडर रिले में हर्ष विक्रम रामटेके ने सूरज पांडे, सचिदानंद व प्रेमचंद के साथ मिलकर दो स्वर्ण पदक भारत की झोली में डाले। अंडर-14 वर्ग के डबल अंडर रिले में अनुराग भट्टाचार्य, रक्षक विजरे, अभिनव पंथेरे व अवजीत सिंह ने भारत को स्वर्ण पदक व टीम इवेंट स्पीड रिले में रजत पदक दिलाया। इसी प्रकार अंडर-14 बालिका वर्ग के मास्टर इवेंट में कोमल सिंह ने चार स्वर्ण पदक जीते। इसी तरह हिंशु जोशी ने दो स्वर्ण व 1 रजत समेत कुल पांच पदक हासिल किए। अंडर-12 वर्ग के मास्टर इवेंट में शिवम कांगी ने चार स्वर्ण पदक अपने नाम किए। , बांग्लादेश व पाकिस्तान के महासचिव मौजूद थे।
समापन व पुरस्कार वितरण समारोह में एशियन फेडरेशन की महासचिव सुनीता जोशी ने विजेताओं को पुरस्कार बांटे। इस मौके पर नेपाल जंप रोप फेडरेशन के महासचिव अभिषेक कार्की

Sunday 17 July, 2011

राजदीप की स्वर्णिम हैट्रिक

0 एशियन जंप रोप चैंपियनशिप के पहले दिन छग के खिलाड़ियों ने चार स्वर्ण, दो रजत व दो कांस्य समेत आठ पदकों पर जमाया कब्जा 
 पदक के साथ राजदीप सिंह (बांये से दूसरे) और दिव्यांश.
 रायपुर। नेपाल के काठमांडू में चल रही प्रथम एशियन जंप रोप चैंपियनशिप के पहले दिन भारतीय टीम के लिए छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण, दो रजत व दो कांस्य समेत कुल आठ पदक जीते। इनमें छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा ने तीन स्वर्ण पदक जीतकर स्वर्णिम हैट्रिक लगाई।
छत्तीसगढ़ जंप रोप एसोसिएशन के सचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि चैंपियनशिप के पहले दिन मास्टर इवेंट के अंडर-10, 12, 14, 16, 18, 20 व 20 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं के मुकाबले हुए। राजदीप सिंह ने अंडर-20 के 30 सेकंड स्पीड में पहला स्वर्ण जीता।
राजदीप ने इसी वर्ग के डबल अंडर और 3 मिनट एंडुरेंस वर्ग में भारत के लिए दो स्वर्ण और जीते।
अंडर-16 वर्ग के 30 सेकंड स्पीड में छत्तीसगढ़ के दिव्यांश झा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए चौथा स्वर्ण जीता।
पदक के साथ अभिजीत (बांये)  और हिमांशु (दांये).
 इसी तरह अंडर-14 बालकों के 30 सेकंड स्पीड वर्ग में अभिजीत मोहदीकर ने भारत के लिए रजत व हिमांशु बिटुरवार ने कांस्य पदक जीता। डबल अंडर इवेंट में अभिजीत ने अपने व भारतीय टीम के लिए दूसरा रजत पदक अपने नाम किया। इसी वर्ग में हिमांशु बिटुरवार ने अपने लिए भी दूसरा कांस्य पदक जीता।
इस टूर्नामेंट में मेजबान नेपाल समेत भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के 150 महिला-पुरुष खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इसका समापन 18 जुलाई को होगा।

Friday 15 July, 2011

छत्तीसगढ़ को नेशनल ट्रायथलान व एक्वाथलान की मेजबानी

0 प्रदेश में पहली बार होगा ट्रायथलान का राष्ट्रीय स्तर का बड़ा आयोजन
0 देशभर के करीब 400 खिलाड़ी जुटेंगे
0 स्वीमिंग, साइकिलिंग व दौड़ में एक साथ दमखम 

दिखाएंगे खिलाड़ी

रायपुर। राज्य निर्माण के बाद पहली बार छत्तीसगढ़ को नेशनल ट्रायथलान व एक्वाथलान जैसे बड़े टूर्नामेंट के आयोजन की मेजबानी मिली है। भारतीय ट्रायथलान महासंघ ने छत्तीसगढ़ को नेशनल जूनियर व सीनियर ट्रायथलान चैंपियनशिप और नेशनल सब-जूनियर व जूनियर एक्वाथलान चैंपियनशिप आयोजित करने की जिम्मेदारी दी है। राज्य में पहली बार होने वाली इस बड़ी स्पर्धा का आयोजन नवंबर में रायपुर व नई राजधानी क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा। इसमें महिला व पुरुष दोनों वर्गों के मुकाबले होंगे।

छत्तीसगढ़ ट्रायथलान एसोसिएशन के अध्यक्ष एडीजी रामनिवास व सचिव डॉ. विष्णु श्रीवास्तव ने बताया कि यह राज्य के लिए गौरव की बात है कि प्रदेश को पहली बार यह मौका मिला है। इसमें देशभर के चुनिंदा करीब 400 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।

प्रतियोगिता रायपुर व नई राजधानी क्षेत्र में नवंबर के दूसरे हफ्ते में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश संघ की ओर से इंडिया फेडरेशन को पत्र लिखकर 19 व 20 नवंबर की तिथि प्रतियोगिता के लिए मांॅगी गई है। यदि फेडरेशन ने प्रतियोगिता के लिए तिथि निर्धारित कर दी तो 17 नवंबर से देशभर के खिलाड़ियों का आना शुरू हो जाएगा। इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को 10 अक्टूबर तक अपना पंजीयन कराना होगा। खिलाड़ियों के लिए इस स्पर्धा का खास महत्व होगा, क्योंकि इसमें प्रदर्शन के आधार पर भारतीय टीम का चयन किया जाएगा।

स्वीमिंग, साइकिलिंग व दौड़ एक साथ
ट्रायथलान में खिलाड़ियों को तीन खेलों स्वीमिंग, साइकिलिंग व दौड़ में एक साथ प्रदर्शन करना होता है। महिला-पुरुष सीनियर वर्ग में 1.5  किमी तैराकी, 40 किमी साइकिलिंग व 10 किमी दौड़ की स्पर्धा होगी। ट्रायथलान के जूनियर वर्ग में 7.5 किमी तैराकी, 20 किमी साइकिलिंग व 5 किमी दौड़ की प्रतियोगिता होगी। इसी तरह एक्वाथलान के जूनियर वर्ग में 500 मीटर तैराकी व 5 किमी दौड़ की स्पर्धा होगी। एक्वाथलान सब-जूनियर वर्ग में 3.5 मीटर तैराकी व 3 किमी दौड़ की प्रतियोगिता होगी। ट्रायथलान व एक्वाथलान दोनों ही खेलों में खिलाड़ी को बिना रुके एक के बाद एक तीनों इवेंट में इंडिया फेडरेशन द्वारा निर्धारित समय पर प्रदर्शन करना होता है। प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ की टीम भी हिस्सा लेगी।

लाखों के इनाम

इसमें विजेता व उपविजेताओं को डेढ़ लाख रुपए के नकद पुरस्कार दिए जाएंॅगे। संघ के सचिव डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि पूरे आयोजन में करीब 25 लाख रुपए का व्यय प्रस्तावित है। इसमें खिलाड़ियों के पुरस्कार के अलावा आवास, भोजन, परिवहन, प्रमाणपत्र, आयोजन स्थल की तैयारियांॅ, प्रचार-प्रसार, खेल उपकरण, स्टेशनरी व चिकित्सा सुविधा आदि शामिल हैं। इसमें हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को टीए-डीए भी दिया जाएगा। इसकी पूर्ति खेल विभाग से अनुदान, सीएसईबी के अनुदान व अन्य प्रायोजकों के सहयोग से की जाएगी।

स्थल निरीक्षण के लिए समिति गठित
नेशनल ट्रायथलान चैंपियनशिप के आयोजन के लिए प्रदेश संघ ने स्थल निरीक्षण की तैयारियांॅ शुरू कर दी हैं। इसके लिए संघ ने समिति गठित की है। समिति में सुरेंद्र दुबे, डॉ. आलोक दुबे, विनित सक्सेना, संदीप गोविलकर, डॉ. प्रमोद मैने व विकासनाथ शामिल हैं। सभी सदस्य रायपुर व नई राजधानी के आसपास के क्षेत्र व तालाबों का निरीक्षण कर रहे हैं।

सभी खेल संघों का सहयोग
संघ के सचिव डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि यह बड़ा टूर्नामेंट है, जिसमें तीन खेलों का एक साथ प्रदर्शन होता है। इस कारण इसमें छत्तीसगढ़ ओलिंपिक संघ, खेल विभाग, प्रदेश के सभी खेल संघों के पदाधिकारी व स्कूल-कालेज के खेल अधिकारियों का सहयोग लिया जाएगा। सभी से इसमें सहयोग का आश्वासन मिला है।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
संघ के अध्यक्ष रामनिवास का कहना है कि इस बड़े टूर्नामेंट में देशभर के खिलाड़ी, कोच व निर्णायक आएंॅगे। बाहर से आने वाले खिलाड़ियों को छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति से अवगत होने का अवसर मिलेगा। साथ ही इससे छत्तीसगढ़ में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

Thursday 14 July, 2011

पहली बार सीके नायडू ट्राफी खेलेगी छत्तीसगढ़ की क्रिकेट टीम

0 प्रदेश की अंडर-22 टीम प्लेट ग्रुप में शिरकत करेगी
0 14 अक्टूबर से गोवा से होगी पहली भिड़ंत


रायपुर। दस साल लंबे इंतजार के बाद आखिरकार छत्तीसगढ़ की क्रिकेट टीम को बीसीसीआई के प्लेट ग्रुप में खेलने का मौका मिल गया। प्लेट ग्रुप में पदोन्नात हुई प्रदेश की अंडर-22 टीम पहली बार इस साल अक्टूबर से नवंबर तक होने वाली सीके नायडू ट्राफी खेलेगी। प्रदेश टीम को बी-ग्रुप में रखा गया है। इसमें छत्तीसगढ़ के साथ गोवा, असम, हरियाणा, विदर्भ और जम्मू-कश्मीर शामिल है। 14 अक्टूबर से शुरू होने वाले पहले राउंड में छत्तीसगढ़ की भिड़ंत गोवा से होगी।
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया और सचिव राजेश दवे ने टीम की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि टीम ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। गत वर्ष छत्तीसगढ़ की मेजबानी में हुई बीसीसीआई एसोसिएट टूर्नामेंट में प्रदेश की अंडर-22 टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में बिहार को हराकर प्लेट ग्रुप में जगह बनाई थी।

टीम का फिटनेस कैंप  8 अगस्त से रायपुर में

श्री दवे ने बताया कि टीम के खिलाड़ी प्लेट ग्रुप में खेलने के लिए काफी उत्साहित हैं। संघ ने खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया है। टीम का फिटनेस कैंप 8 अगस्त से रायपुर में लगाया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) से बुलाए गए ट्रेनरों से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। टीम पूरी तैयारी के साथ टूर्नामेंट उतरना चाहती है। इसके बाद प्रदेशभर से उत्कृष्ट खिलाड़ियों के चयन के लिए 17 व 19 सितंबर तक सलेक्शन ट्रायल का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद चयनित खिलाड़ियों के लिए 21 सितंबर से 10 अक्टूबर तक प्रशिक्षण शिविर लगाया जाएगा। इस दौरान तीन दिवसीय मैच भी खेले जाएंगे।

पांच राउंड के मुकाबले होंगे
सीके नायडू ट्राफी में छत्तीसगढ़ को अलग-अलग राज्यों से पांच राउंड के चार दिवसीय मैच खेलने होंगे। पहले राउंड में प्रदेश टीम की भिड़ंत 14 से 17 अक्टूबर तक मेजबान गोवा के साथ होगी। इसके बाद दूसरे राउंड का मुकाबला असम के साथ होगा, जो 21 से 24 अक्टूबर तक असम के हैलाकांडी में होगा। तीसरे राउंड के मैच में छत्तीसगढ़ की टीम 29 अक्टूबर से 1 नवंबर तक बरवाला में हरियाणा से भिड़ेगी। चौथे राउंड में प्रदेश टीम का मुकाबला विदर्भ से होगा, जिसका मैच 5 से 8 नवंबर तक नागपुर में खेला जाएगा। पांचवें व अंतिम राउंड का मैच 12 से 15 नवंबर तक जम्मू-कश्मीर से होगा।

एलीट ग्रुप में पहुंचने का मौका
इस टूर्नामेंट में शीर्ष दो स्थान पर आने वाली टीमें एलीट ग्रुप के लिए क्वालीफाई कर लेगी, इसलिए छत्तीसगढ़ की टीम के पास एलीट ग्रुप में पहुंचने का बेहतर मौका है। संघ के सचिव श्री दवे ने कहा कि टीम की पूरी कोशिश होगी कि वे शीर्ष दो में स्थान बनाए। उन्होंने बताया कि प्रदेश की अंडर-16 टीम ने भी बोर्ड की एसोसिएट ट्राफी में पिछले साल शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में बिहार को हराकर सेंट्रल जोन के लिए क्वालीफाई किया था।

Tuesday 12 July, 2011

महिला टेनिस में भारत का भविष्य अच्छा नहीं : सानिया

0 भारतीय टेनिस सनसनी ने कहा

इंदौर। भारतीय टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा ने कहा कि भारतीय महिला टेनिस का भविष्य कुछ खास नहीं है। उन्हें अभी ऐसी कोई खिलाड़ी नजर नहीं आ रही है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सके।
सानिया ने इंदौर टेनिस क्लब (आईटीसी) में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पुरुष टेनिस में अभी लिएंडर पेस तथा महेश भूपति बेहतर खेल रहे हैं और रोहन बोपन्नाा तथा सोमदेव देवबर्मन ने अपनी पहचान बना ली है। लेकिन भारतीय महिला टेनिस का परिदृश्य अच्छा नहीं है, उन्हें ऐसी एक भी खिलाड़ी नजर नहीं आ रही है जो निकट भविष्य में देश के लिए सफलताएँ बटोर सकें। वे चाहती हैं कि उनके संन्यास लेने के पहले कोई भारतीय महिला अंतरराष्ट्रीय सर्किट पर स्वयं को स्थापित कर ले। पद्मश्री से सम्मानित सानिया ने कहा कि घुटने की चोट की वजह से विम्बल्डन के एकल वर्ग में उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ था, लेकिन अब वे उस चोट से उबर चुकी हैं। बुधवार से वे अभ्यास प्रारंभ कर रही हैं और 24 से वॉशिंगटन में होने वाले टूर्नामेंट से टेनिस कोर्ट पर वापसी करेंगी। अर्जुन अवॉर्डी सानिया ने स्वीकारा कि युगल वर्ग में रूसी खिलाड़ी एलेना वेस्नीना के साथ उनकी जोड़ी संयोग से बनी थी, लेकिन यह जोड़ी बेहतर परिणाम दे रही है और उन्हें उम्मीद हैं कि वे शीघ्र ही ग्रैंड स्लैम खिताब भी हासिल कर लेंगे। उन्होंने कहा - जब फरवरी में हमारी जोड़ी बनी तब हमने सपने में भी नहीं सोचा था कि इसी वर्ष हम विश्व रैंकिंग में दूसरे क्रम पर पहुँच जाएँगे। वेस्नीना एक जोरदार खिलाड़ी हैं और हम एक-दूसरे को बेहतर तरीके से प्रेरित करती हैं।

निराशा नहीं, लेकिन दुख
सानिया ने कहा कि इस बात की कोई निराशा नहीं है कि वे पिछले वर्ष नई दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाईं, लेकिन वे दुखी जरूर हैं। उन्हें दुख इस बात का है कि उन्होंने अपनी तरफ से पूरे प्रयास किए थे और वे खिताब के नजदीक पहुँचकर भी उसे प्राप्त नहीं कर पाईं। मैं आज भी उस मैच का वीडियो देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ।

डोपिंग के दोषियों को मिले कड़ी सजासानिया ने कहा कि यदि कोई खिलाड़ी डोपिंग का दोषी है तो उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन इससे पहले हमें उसकी दोनों रिपोटर््स आने का इंतजार करना चाहिए। पिछले दिनों डोपिंग की वजह से जो कुछ भी हुआ उससे पूरा देश दुखी है। ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी सानिया ने कहा कि वैसे तो हर उपलब्धि खास होती है, लेकिन उनके लिए हर वो उपलब्धि महत्वपूर्ण है जो उन्होंने देश के लिए अर्जित की है। इस कड़ी में पहला पदक उन्होंने 2002 के बुसान एशियाई खेलों में मिश्रित युगल वर्ग में जीता था। सानिया इसके बाद दोहा (2006) और ग्वांगझू (2010) एशियाड तथा कॉमनवेल्थ गेम्स में कई पदक जीत चुकी हैं। उल्लेखनीय है कि सानिया और महेश भूपति ने 2009 में ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीता था।

लंदन में जोड़ीदार चयनकर्ता तय करेंगे
भारतीय खिलाड़ी मिश्रित युगल वर्ग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और इसके मद्देनजर अगले वर्ष लंदन ओलिम्पिक में सानिया का जोड़ीदार कौन होगा, यह पूछे जाने पर सानिया ने कहा कि यह उनके हाथ में नहीं है यह तो चयनकर्ताओं को तय करना है। वैसे भारत के पास लिएंडर पेस, महेश भूपति और रोहन बोपन्ना के रूप में  तीन बेहतर खिलाड़ी    मौजूद हैं।

मैट ने ले ली गोदा की जगह

0 राजधानी के चुनिंदा अखाड़े अभी भी सहेजे हैं परंपरा को
0 जिम के आगे फीकी पड़ी अखाड़े की चमक


शंकर चंद्राकर
रायपुर।
युवाओं में कभी ताकत व सेहत का पर्याय रहा अखाड़ा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कहते हैं समय के साथ हर दौर बदलता है, यही बात अखाड़े पर भी लागू होती है। पुराने दौर में युवाओं व लोगों के बीच अखाड़ा काफी लोकप्रिय था और कुश्ती पहलवानों की ताकत का पैमाना होता था, लेकिन समय के साथ अब अखाड़े की चमक फीकी पड़ गई और उसकी जगह जिम ने ले ली। कभी मिट्टी के गोदा में प्रैक्टिस करने वाले पहलवान अब मैट में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने लगे हैं। बदलाव के बावजूद राजधानी के चुनिंदा अखाड़े अभी भी परंपरा को सहेजे हुए हैं और मिट्टी के गोदा में पहलवान तैयार करने में लगे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ में अन्य शहरों के मुकाबले रायपुर शुरू से ही अखाड़े का गढ़ रहा है। यहां प्रदेश के अन्य शहरों के मुकाबले सबसे ज्यादा अखाड़े थे और अभी भी नौ-दस अखाड़े हैं। इनमें मां दंतेश्वरी अखाड़ा गोपियापारा पुरानीबस्ती, सत्तीबाजार अखाड़ा, बढ़ईपारा अखाड़ा, सिकंदर शक्ति व्यायामशाला गुढ़ियारी, रामकुंड अखाड़ा, जोरापारा अखाड़ा, पंडरी अखाड़ा, शीतला अखाड़ा टिकरापारा व भांठागांव अखाड़ा शामिल हैं। जैतूसाव मठ सबसे पुराना अखाड़ा है, लेकिन अब यह बंद हो चुका है। सिकंदर शक्ति अखाड़ा अब व्यायामशाला का रूप ले लिया है। कई अखाड़े नागपंचमी पर सालाना आयोजन कराते हैं। यहां से राष्ट्रीय स्तर पर उस्ताद स्व. बिहारीलाल यादव को छोड़कर पहलवानी में कोई बड़ा नाम भले ही न हों, लेकिन प्रदेशस्तर पर यहां के अखाड़ों के पहलवानों की तूती बोलती थी। बढ़ईपारा अखाड़े से स्व. कुंजबिहारी यादव, दंतेश्वरी अखाड़े से पुरन पहलवान व अशोक पहलवान, पंडरी अखाड़े से सरताज अली, सिकंदर शक्ति अखाड़ा गुढ़ियारी से स्व. छोटेलाल कोशले, अर्जुन जोशी, रज्जू कोशले व बुधराम सारंग,  सत्तीबाजार अखाड़े से दीप गुप्ता, राजू व सोहेल अख्तर और जोरापारा अखाड़े से स्व. बाबूलाल साहू जैसे कई ऐसे नाम हैं, जिन्होंने प्रदेश स्तर पर अपने प्रदर्शन से कुश्ती को लोकप्रियता दिलाई। समय के साथ अब अखाड़े के स्वरूप भी बदल गया और कुश्ती लड़ने और प्रैक्टिस करने का तरीका भी बदल गया। पहले अखाड़े में पहलवान लंगोट पहनकर मिट्टी के बने गोदा में कुश्ती लड़ते थे और चित्त-पट्ट के आधार पर कुश्ती होती थी, लेकिन अब कुश्ती को अंतरराष्ट्रीय खेल का दर्जा मिलने से यह एक टेक्नीकल खेल बन गया है। अब माडर्न कुश्ती मैट में खेली जाती है। लंगोट की जगह पहलवानों को स्पेशल सूट पहनना पड़ता है और स्पर्धा प्वाइंट आधार पर होती है।
इस बदलाव ने युवा वर्ग को अखाड़े की जगह जिम की ओर आकर्षित कर दिया। आजकल के युवा मिट्टी की गोदी के बजाय मैट में प्रैक्टिस करने और जिम की आधुनिक मशीनों से व्यायाम करना ज्यादा पसंद करते हैं। यही वजह है कि अब अखाड़े कम और आधुनिक मशीनों से सजे जिम ज्यादा खुल गए हैं। जिम के चमक-दमक में गोदा की मिट्टी की खूशबू गायब होने लगी है।

गौरवशाली इतिहास है दंतेश्वरी अखाड़े का
मां दंतेश्वरी अखाड़ा करीब 165 साल पुराना है। इस अखाड़े का गौरवशाली इतिहास रहा है। आजादी के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाले उस्ताद स्व. बिहारीलाल यादव इसी अखाड़े से निकले हैं। उस्ताद बिहारी लाल ही अंचल एकमात्र ऐसे पहलवान हैं, जिन्होंने उस समय विभिन्ना राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, लेकिन उस समय ज्यादा प्रचार नहीं होने से प्रदेश में भी वे अनजाने ही रह गए। दंतेश्वरी अखाड़ा के उस्ताद अशोक पहलवान कहते हैं कि राजधानी ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में अखाड़े की पुरानी परंपरा रही है। स्थापना से लेकर अब तक यहां के पहलवान नियमित रूप से गोदा में ही प्रैक्टिस करते आ रहे हैं। चालीस-पचास के दशक में इसी अखाड़े के उस्ताद स्व. बिहारी लाल ने राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ का परचम फहराया था। इस पीढ़ी में इसी अखाड़े की मेंहदी यादव ने नेशनल स्तर पर प्रदेश को स्वर्ण पदक दिलाकर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। उन्होंने बताया कि अपने जीवन काल में उस्ताद स्व. बिहारीलाल को किसी भी कुश्ती स्पर्धा में हार नहीं मिली थी। वे जीते या बराबरी पर छूटे।

आधुनिक कुश्ती मुर्गा लड़ाई
इस संबंध में पूर्व पहलवान व विक्रम अवार्डी बुधराम सारंग का कहना है कि गोदा में खेलने का अलग ही मजा होता है। पहलवान की असली ताकत तो गोदा में खेलने से बनती है। आज की कुश्ती तो पूरी तरह टेक्नीकल बन गया है। मैट में खेली जाने वाली कुश्ती मुर्गा लड़ाई की तरह है। जोरा अखाड़े के उस्ताद बाबूलाल साहू का कहते हैं कि आजकल के युवा मिट्टी के गोदा में खेलना पसंद नहीं करते और आधुनिक कुश्ती भी मैट में खेली जाती है। इस कारण अब कई अखाड़े व्यायामशाला में बदल गया है और मिट्टी के गोदे का अस्तित्व समाप्त होने लगा है। फिर भी राजधानी के कई अखाड़े अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। यह खुशी की बात है।

औषधियों से बनती है गोदा की मिट्टी
अखाड़े के गोदे की मिट्टी को कई प्रकार की औषधियों के मिश्रण से मिलाकर बनाई जाती है। इस कारण इसमें प्रैक्टिस करने वाले पहलवानों के शरीर स्वस्थ रहने के साथ ही ताकतवर बनता है। औषधि का मिश्रण होने से गोदे की मिट्टी कई तरह की बीमारियों से दूर भगाने का काम भी करती है।

उस्तादों का दौर गया
अखाड़ों का दौर चले जाने से उस्तादों का दौर भी चला गया। पहले उस्ताद पहलवानों को मिट्टी के गोदा में कुश्ती के दांव-पेंच सिखाते थे। अब उनके स्थान पर कोच ने ले लिया है, जो पहलवानों को मैट पर कुश्ती के नियम-कायदे व टेक्नीक सिखाते हैं।

जीवित है परंपरा
आधुनिक कुश्ती के बावजूद राजधानी के सभी प्रमुख अखाड़े अभी भी गोदे की पुरानी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। अब उनके अखाड़े में पहलवान भले ही कम हों, लेकिन उन्हें पुराने तरीके से ही कुश्ती सिखाते हैं और प्रैक्टिस कराते हैं।

नागपंचमी पर ठोकेंगे ताल
इस साल नागपंचमी पर विभिन्ना अखाड़े अपने-अपने स्तर पर आयोजन करते हैं। गुढ़ियारी में सिकंदर शक्ति व्यायामशाला हर साल इस दिन राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित करती है। मां दंतेश्वरी अखाड़ा भी पूजा-अर्चना के साथ कुश्ती स्पर्धा का आयोजन करेगा।

Saturday 9 July, 2011

जंप रोप के खिलाड़ी अगले दौर में

0 'इंडिया गॉट टैलेंट" में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने दिखाए हुनर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जंप रोप खिलाड़ियों ने मुंबई में हुए कलर्स टीवी के कार्यक्रम 'इंडिया गॉट टैलेंट" के फाइनल ऑडिशन में शानदार प्रदर्शन कर अगले दौर में प्रवेश कर लिया। ऑडिशन में खिलाड़ियों ने अपने हुनर का प्रदर्शन कर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।, अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे व किरण खेर ने उनके प्रदर्शन की खूब सराहना की। फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र ने खिलाड़ियों की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने जंप रोप का ऐसा प्रदर्शन उन्होंने पहली बार देखा। अभिनेत्री किरण खेर ने टीम के कोच व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में खिलाड़ी आगे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के दौरान अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे ने अपनी चेयर से उठकर तालियां बजाकर खिलाड़ियों की खूब हौसलाअफजाई की। सोनाली ने राजदीप को मंच पर बुलाकर प्रदर्शन करने को कहा और राजदीप का प्रदर्शन देखकर सभी निर्णायकों ने उनकी पीठ थपथपाई।

Friday 8 July, 2011

तालुकदार ने ओलिम्पिक का टिकट कटाया

 कोलकाता। भारत के जयंत तालुकदार ने तुरिन में चल रहे तीरंदाजी विश्व कप में शुक्रवार को पुरुषों के व्यक्तिगत रिकर्व वर्ग में शानदार प्रदर्शन कर अगले वर्ष होने वाले लंदन ओलिम्पिक की पात्रता हासिल कर ली।
एलीमिनेशन राउंड में पाँचवें क्रम के तालुकदार ने बाई के जरिए तीसरे दौर में प्रवेश किया। वहाँ उन्होंने 28वें क्रम के फिनलैंड के एंटी टेकोनेईमी को 6-4 से हराकर लंदन ओलिम्पिक की पात्रता हासिल की। तालुकदार ओलिम्पिक की पात्रता हासिल करने वाले 8 व्यक्तिगत खिलाड़ियों में से एक तीरंदाज हैं। भारत की दीपिका कुमारी, लैशराम बोम्बाल्या देवी और चेक्रोवोलु स्वुरो की टीम पहले ही तीन कोटा स्थान हासिल कर चुकी हैं। इस प्रकार भारतीय तीरंदाजों ने ओलिम्पिक के चार कोटा स्थान अर्जित कर लिए हैं।
वैसे ओलिम्पिक की पात्रता हासिल करने के बाद तालुकदार को लक्जमबर्ग के जैफ हेन्कल्स के हाथों 5-6 से हार का सामना करना पड़ा। 5-5 की बराबरी के बाद एक-एक तीर के टाइब्रेकर में तालुकदार 9-10 से हार गए। भारत के तरुणदीप रॉय तीसरे दौर में एथेंस ओलिम्पिक के स्वर्ण पदक विजेता मार्को गालियाजो से हारे। पाँच सेट के बाद स्कोर बराबर रहने पर फैसला टाईब्रेकर के जरिए हुआ। 10 अंकों के टाइब्रेकर में दोनों तीरंदाज बराबर रहे, लेकिन गालियाजो को विजेता घोषित किया गया क्योंकि उनके तीर केंद्र के करीब लगे थे। एक अन्य भारतीय राहुल बनर्जी जापान के हिदेकी किकुची से 4-6 से हारे। महिलाओं के वर्ग में दीपिका तथा बोम्बाल्या दोनों तीसरे दौर से आगे नहीं बढ़ पाईं। नौवें क्रम की दीपिका को पोलैंड की नतालिया लेस्नियाक के हाथों 5-6 से तथा 15वें क्रम की बोम्बाल्या को 18वें क्रम की मिरांडा लिक (अमेरिका) के हाथों 3-7 से हार झेलनी पड़ी। 

Monday 4 July, 2011

छत्तीसगढ़ की नैना ने नापी हिमालय की ऊंचाई

0 बचेंद्री पाल के नेतृत्व में हिमालय लांघने वाली छत्तीसगढ़ की पहली पर्वतारोही बनीं
00 सफल रहा टाटा स्टील का स्नोमैन ट्रेक अभियान

बचेंद्री पाल के साथ नैना धाकड़
रायपुर। मशहूर पर्वतारोही बचेन्द्री पाल के नेतृत्व में भारतीय महिलाओं के 11 सदस्यीय दल ने भूटान में स्नोमैन ट्रेक अभियान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। इस दल में शामिल छत्तीसगढ़ की नैना धाकड़ ने भारतीय टीम के साथ सफलतापूर्वक हिमालय लांघा। इसके साथ ही नैना हिमालय लांघने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही बन गईं। इस ट्रेक को विश्व का सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रेक माना जाता है। पहली बार भारतीय महिलाओं के किसी दल को यह उपलब्धि हासिल हुई है।
स्नोमैन ट्रेक अभियान पर जाने वाले इस 11 सदस्यीय महिला दल युवा और अनुभव से लबरेज था। एक ओर जहां साहसी युवा महिलाएं शामिल थीं, वहीं दूसरी ओर उनकी हौसला अफजाई करने के लिए अनुभवी महिला पर्वतारोही भी शामिल थीं। पहली बार ट्रेकिंग पर जाने वाली युवा पर्वतारोहियों के इस टीम में छत्तीसगढ़ की नैना धाकड़ (21) एवं उत्तराखंड की राधा राणा (23) शामिल थीं। वहीं अनुभवी सदस्यों में चावला जागीरदार (गुजरात), वासुमती श्रीनिवासन (कर्नाटक) एवं विमला देवस्कर (महाराष्ट्र) शामिल थीं। दल के अन्य सदस्य लालमीत बिरुली एवं पायो मुर्मू (दोनों ही झारखंड के आदिवासी समुदाय से), चेतना साहू (पश्चिम बंगाल), पूस देवी (हिमाचल प्रदेश) एवं सर्वेश (दिल्ली) थीं। उल्लेखनीय है कि टाटा स्टील के इस पर्वतारोही अभियान में जगदलपुर निवासी नैना धाकड़ पर जब टीएसआरडीएस के खेल प्रशिक्षक शंकर पटेल की नजर पड़ी तो उन्होंने उसका चयन किया और फिर आगे उसे प्रशिक्षण के लिए भेजा। 
स्नोमैन ट्रेक को दूरी और पहुंचने में कठिनाई की दृष्टि से विश्व के सबसे कठिन ट्रेकों में शुमार किया जाता है। यह अभियान 2 जून, 2011 को भूटान के पारो - ड्रकगाइल जोंग से शुरू हुआ और 27 जून, 2011 को सेफू में समाप्त हुआ। इस कठिन अभियान के दौरान महिला पर्वतारोहियों को सुदूर लुनाना जिले से गुजरना पड़ा और इस क्रम में 11 काफी ऊंचे दर्रों को पार करना पड़ा।
 

Sunday 3 July, 2011

सबा अंजुम का सम्मान

खिलाडियों को पुरस्कृत करते एडीजी रामनिवास एवं भारतीय महिला हाकी  टीम की कप्तान सबा अंजुम व अन्य अतिथि. 

रायपुर। सप्रे शाला हाल में तीन दिनों तक चली जिलास्तरीय जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप का रविवार को समापन हो गया। इसमें बालिका अंडर-17 वर्ग में ऐश्वर्या यदु और अंडर-19 में दीक्षा चौधरी चैंपियन बनीं। वहीं बालक वर्ग में संयम शुक्ला को दोहरी सफलता मिली। संयम अंडर-17 व 19 दोनों वर्गों में विजेता बने।
समापन व पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि एडीजी रामनिवास ने सभी विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार प्रदान किए। साई सेंटर के प्रभारी शाहनवाज खान ने अध्यक्षता की। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सबा अंजुम को स्मृति चिन्ह भेंटकर जिला बैडमिंटन संघ ने सम्मानित किया।
 

'इंडिया गॉट टैलेंट" में जलवा बिखेरेंगे छत्तीसगढ़ के जंप रोप खिलाड़ी

0 5 जुलाई को कलर्स में प्रसारित होगा कार्यक्रम

रायपुर।
छत्तीसगढ़ के जंप रोप खिलाड़ी कलर्स टीवी चैनल में प्रसारित होने वाले कार्यक्रम 'इंडिया गॉट टैलेंट" में जलवा बिखेरेंगे। इसमें हिस्सा लेने के लिए 10 सदस्यीय टीम राजदीप सिंह हरगोत्रा के नेतृत्व में रविवार को मुंबई रवाना हुई। कार्यक्रम का प्रसारण 5 जुलाई को कलर्स में होगा। टीम में अभिजीत मोहदीकर, रक्षक वाजरे, हिमांशु बिट्टुरवार, धनशिखा मेथानी, अंकित तिग्गा, दिव्यांश झा, प्रवीण शर्मा, शिखर क्षत्रीय व अंजलि साहू शामिल हैं। इसके पूर्व राजदीप सिंह इसी कार्यक्रम में अपना जलवा बिखेरकर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज करा चुके हैं।

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सबा अंजुम ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की

मुख्यमंत्री के साथ महिला होसके कैप्टन सबा अंजुम, नागरिक संघर्ष समिति के पदाधिकारी विश्वजीत मित्रा, अमिताभ दीक्षित व मुश्ताक अली प्रधान.

रायपुर. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से  शनिवार रात यहां उनके निवास पर भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सुश्री सबा अंजुम ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बनने पर अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

Saturday 2 July, 2011

सुविधाओं में अभी पीछे है छत्तीसगढ़

0 भारतीय हॉकी टीम की कप्तान व प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम ने कहा
रायपुर। आयरलैंड से अंतरराष्ट्रीय हॉकी टूर्नामेंट में भारतीय टीम का नेतृत्व कर लौटीं प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सबा अंजुम ने कहा कि हॉकी में सुविधाओं के मामले में अभी छत्तीसगढ़ पीछे है। यहांॅ अभी तक एक भी एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। यदि यहांॅ एस्टोटर्फ मैदान बन जाए और अकादमी या हॉस्टल खुल जाए, तो बाकी काम अपने आप हो जाएगा। अंजुम शनिवार को प्रेस क्लब में 'प्रेस से मिलिए" कार्यक्रम में पत्रकारों से चर्चा कर रही थीं।
अंजुम ने कहा कि बस्तर, सरगुजा जैसे आदिवासी इलाके में प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, उन्हें सिर्फ थोड़ी-सी सुविधा देने की जरूरत है। भारतीय टीम में ऐसे खिलाड़ी हैं, जो दूरस्थ इलाकों से हैं और अभावों के बावजूद आगे बढ़ी हैं। उनकी इच्छा है कि भविष्य में छत्तीसगढ़ से एक नहीं, बल्कि पांॅच-छह लड़कियांॅ भारतीय टीम से खेलें, मगर भारतीय टीम का हिस्सा होना बहुत मुश्किल है। इसके लिए यहांॅ के खिलाड़ियों को कठिन मेहनत करनी होगी। 
उन्होंने कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान को ज्यादा अधिकार नहीं है। कप्तान का काम बस टॉस उछालना है। भारतीय टीम की कप्तान बनने के बारे में कभी सोचा नहीं था। टीम की कमान संभालकर खुश हैं, लेकिन इसे वे सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में ही लेती हैं और उसी रूप में खेलती हैं।

अब ओलिंपिक पर नजरउन्होंने कहा कि भारतीय टीम की नजर अब ओलिंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट पर है, जो फरवरी में होगी। अभी इसका फिक्चर तय नहीं है। भारतीय टीम शीघ्र ही इसकी तैयारी में लग जाएगी। उन्होंने विदेशी कोच के बारे में कहा कि हर कोच का अपनी टेक्निक होती है। देशी हो या विदेशी कोच खिलाड़ियों को उससे सीखने में थोड़ा समय लगता है। खिलाड़ियों का काम सिर्फ खेलना होता है।

मौके का इंतजार
अंजुम ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएंॅ देने के लिए मौके का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने कहा, 'मैं छत्तीसगढ़ की बेटी हूंॅ और मौका मिला तो छत्तीसगढ़ की सेवा करना चाहती हूंॅ।" वे हर स्तर पर छत्तीसगढ़ को सेवाएंॅ देने के लिए तैयार हैं। चाहे कोच के रूप में हों या खिलाड़ी के रूप में। शासन की ओर से नौकरी मिले तो उसे वे सहर्ष स्वीकार कर लेंगी। इसके लिए उन्होंने आवेदन भी दे दिया है। वर्तमान में वे वेस्टर्न रेलवे मुंबई में अपनी सेवाएंॅ दे रही हैं।
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सम्मानित हुईं
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सबा अंजुम को प्रेस क्लब में आयोजित 'प्रेस से मिलिए" कार्यक्रम में रायपुर प्रेस क्लब, नागरिक संघर्ष समिति व शेरा क्रीड़ा समिति की ओर से स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सबा ने हॉकी की अपनी संघर्ष यात्रा के बारे में पत्रकारों से चर्चा की। अपने अनुभव बांटते हुए सबा ने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने कठिन मेहनत की। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उनके माता-पिता और कोच की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कार्यक्रम में रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल पुसदकर ने सबा को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। नागरिक संघर्ष समिति की ओर से विश्वजीत मित्रा, डॉ. राकेश गुप्ता व अमिताभ दीक्षित ने स्मृति चिन्ह व स्पोर्ट्स बेग भेंटकर सम्मान किया। इसी तरह शेरा क्रीड़ा समिति की ओर से समिति के सचिव मुश्ताक अली प्रधान, पवन झुनझुनवाला व शिरीष यादव ने शाल भेंटकर सबा का सम्मान किया। इस मौके पर अनेक पत्रकार मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने दिया नौकरी देने का आश्वासन
सबा अंजुम ने शनिवार शाम को मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह से उनके निवास में मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री से छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं देने की इच्छा प्रकट की। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने उन्हें शीघ्र ही योग्यातानुसार डीएसपी के पद पर नियुक्ति देने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हॉकी को बढ़ावा देने के लिए राज्य में रायपुर, राजनांदगांव समेत तीन स्थानों पर शीघ्र ही एस्ट्रोटर्फ का निर्माण शुरू किया जाएगा। सबा के साथ गए नागरिक संघर्ष समिति के पदाधिकारी विश्वजीत मित्रा, अमिताभ दीक्षित व मुश्ताक अली प्रधान ने मुख्यमंत्री से मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी स्टेट हॉस्टल खोलने की मांग की। मुख्यमंत्री ने इस पर भी शीघ्र कार्यवाही करने की बात कही।



 

भारतीय जंपरोप टीम में आधे खिलाड़ी छत्तीसगढ़ से

0 24 सदस्यीय टीम छग के 12 खिलाड़ी शामिल
0 काठमांडू में होने वाली साउथ एशियन चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे


रायपुर।
छत्तीसगढ़ के 12 खिलाड़ियों का चयन भारतीय जंपरोप टीम में हुआ है। यह पहला मौका है कि जब छत्तीसगढ़ से एक साथ इतने खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल किए गए हैं। 24 सदस्यीय भारतीय टीम में आधे खिलाड़ी सिर्फ छत्तीसगढ़ से हैं।  चयनित खिलाड़ी नेपाल की राजधानी काठमांडू में 15 से 19 जुलाई तक होने वाली साउथ एशियन जंपरोप चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे।
भारतीय बालक टीम में प्रदेश के आठ खिलाड़ी चुने गए हैं, जिनमें रायपुर से अनुराग भट्टाचार्य, अनुभव पंथेरे, रक्षक वाजरे, अमन ध्रुव, उत्कर्ष त्रिपाठी व यश रूपरेला, राजनांदगांव से हर्ष रामटेके तथा बिलासपुर से मोहन निषाद शामिल हैं। इसी तरह भारतीय बालिका टीम में प्रदेश की चार लड़कियों ने जगह बनाई। इनमें रायपुर की धनशिखा मेथानी व ओमकारेश्वरी तथा महासमुंद की अनिता साहू व अंबा साहू शामिल हैं।
इन सभी खिलाड़ियों का चयन उड़ीसा के बरगढ़ में हुई सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में प्रदर्शन के आधार पर हुआ है। इसमें छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 9 स्वर्ण, 9 रजत व 7 कांस्य पदक जीते थे। प्रदेश जंपरोप संघ के महासचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि प्रदेश के खिलाड़ियों से साउथ एशियन चैंपियनशिप में पदक की उम्मीद है। अब तक सभी राष्ट्रीय स्पर्धाओं में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पदक जीतने में कामयाब रहे हैं।