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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Monday 24 December, 2012

क्रिकेट के 'भगवान' को वनडे से दिया संन्यास


सचिन के बजाय बीसीसीआई ने की घोषणा !
मुंबई, 23 दिसंबर, 2012। दुनिया में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने 23 दिसंबर रविवार को वनडे मैचों से अपने संन्यास की घोषणा कर दी है, लेकिन संन्यास की घोषणा सचिन के बजाय बीसीसीआई ने की। इससे पहले उनके पाकिस्तान के साथ होने वाली सीरीज में खेले जाने को लेकर अटकलें लग रही थीं। अचानक सचिन के संन्यास की खबर सुनकर पूरा देश सन्न रह गया। सभी को उम्मीद थी कि सचिन भारत-पाकिस्तान सीरीज जरूर खेलेंगे। उन्होंने इच्छा भी जाहिर की थी, लेकिन बीसीसीआई ने 'भगवान' पर भरोसा नहीं किया और जल्दबाजी में उनके संन्यास की घोषणा कर दी। सचिन ने अभी तक 463 वनडे मैच खेले जिसमें उन्होंने 18426 रन बनाए। इसमें उन्होंने 49 शतक 96 हाफसेंचुरी लगाई। उन्होंने अपने संन्यास की बात बीसीसीआई चेयरमेन एन श्रीनिवासन से की है। पिछली कुछ सीरीज से उनकी खराब फार्म के चलते उनपर संन्यास लेने को लेकर दबाव भी बन रहा था। उन्होंने ढाका में आखिरी वनडे खेला था। 1989 में पहली बार वह पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर दिखाई दिए थे। उस वक्त सचिन की उम्र महज 16 साल की थी। उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि छोटा सा दिखने वाला यह बच्चा आगे जाकर क्रिकेट का भगवान कहलाने लगेगा और बड़े से बड़ा गेंदबाज उसके सामने गेंद फेंकने से डरेगा।
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मास्टर के बेमिसाल कीर्तिमानों में से कुछ बेमिसाल क्षण..
मुंबई। सचिन तेंदुलकर ने अब वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। लेकिन पिछले 23 सालों से उनके बल्ले से निकले ढेरों रिकॉर्ड लंबे समय तक उनकी याद दिलाएंगे। 50-50 ओवर के इस प्रारूप में उन्होंने 49 शतकों के साथ 18 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं जो उनके कई दुर्लभ कीर्तिमानों में से एक है।
दुनियाभर के मैदानों पर रचे गए मास्टर ब्लास्टर की ढेरों कीर्तिमानों में से कुछ चुनिंदा पलों को याद करने की कोशिश की गई। जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है...

हीरो कप, 1993 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ]

दक्षिण अफ्रीका को भारत के खिलाफ इस मैच में जीतने के लिए अंतिम ओवर में छह रन की और जरूरत थी। आखिरी ओवर सचिन तेंदुलकर ने किया और महज तीन ही रन दिए जिससे भारत ने यह मुकाबला आसानी से जीत लिया।

बतौर ओपनर, 1994 [न्यूजीलैंड के खिलाफ]

तेंदुलकर इस समय टीम इंडिया के उपकप्तान थे और टीम नियमित ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू के गर्दन की नस खींच गई थी ऐसे में मास्टर ब्लास्टर ने कप्तान अजहर और कोच अजित वाडेकर से अनुरोध किया कि उन्हें एक मौका दिया जाए। और कहा कि मैं शुरुआती 15 ओवर में बड़े शॉट खेल सकता हूं। अगर मैं असफल होता हूं तो आपके पास कभी नहीं आऊंगा। इस मैच में उन्होंने विस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए 49 गेंदों में शानदार 82 रनों की पारी खेली थी।

टाइटन कप, 1996 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ]

दक्षिण अफ्रीका टूर्नामेंट में शानदार खेल रहा था और उससे पार पाने की टीम इंडिया ने अपनी नई योजना बनाई। बतौर कप्तान सचिन तेंदुलकर ने आन साइड में पांच क्षेत्ररक्षक तैनात कर दिया। उन्होंने रोबिन सिंह से धीमी गेंद करने को कहा और सुझाव दिया कि गेंद आन साइड पर ही रखे। इस तरह से लो स्कोरिंग मैच में उन्हें शानदार जीत मिली।

सहारा कप, 1997 [पाकिस्तान के खिलाफ]

पाक के खिलाफ इस चर्चित वनडे सीरीज में टीम इंडिया के तीन मुख्य गेंदबाज अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद नहीं खेल रहे थे और नए खिलाडि़यों अभय कुरुवीला, हरविंदर सिंह और देवाशीष मोहंती के दम पर शानदार प्रदर्शन करते हुए चिर-प्रतिद्वंद्वी टीम को 4-1 से हरा दिया।

शारजाह में दो शतक, 1998 [ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ]

तेंदुलकर इस समय अपने क्रिकेट करियर की ऊंचाई पर थे और उन्होंने मैदान पर विपक्षी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाकर अपने प्रशंसकों का जमकर मनोरंजन कराया। शरजाह में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 283 रन बनाए। इस मैच में भारत पर फाइनल की पात्रता हासिल करने का दबाव था। चार विकेट लगातार अंतराल पर गंवाने के बाद सचिन के साथ वीवीएस लक्ष्मण क्रीज पर थे और इस समय भारत को करीब छह की औसत से रनों की जरूरत थी। इस बीच तेज आंधी के कारण करीब आधे घंटे का खेल रोका गया। भारत को 46 ओवरों में 237 का संशोधित लक्ष्य मिला और जीत के लिए 87 गेंदों पर 94 रनों की जरूरत थी। मैदान जाते ही सचिन ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जो धुनाई की उसे आज भी याद किया जाता है। वह 143 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन उससे पहले टीम को फाइनल के लिए क्वालीफाई करवा दिया। भारत 20 रनों से मैच हार गया लेकिन रन रेट के आधार पर उसने न्यूजीलैंड को पछाड़ दिया। इसके बाद उन्होंने फाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जोरदार शतक लगाया।

विश्व कप, 1999 [पाकिस्तान के खिलाफ]

इस पारी की बदौलत भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ अपराजेय रहने का रिकॉर्ड बरकरार रखा। पाक ने विश्व कप के इस लीग मैच में सात विकेट पर 273 रन बनाए। सईद अनवर ने शतक (101) बनाया। 274 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सचिन ने पाक गेंदबाजों पर शुरुआत से ही आक्रमण बोल दिया। उन्होंने 75 गेंदों पर 12 चौकों और एक छक्के से 98 रन बनाए थे। उनकी पारी का एकमात्र छक्का शोएब अख्तर की गेंद पर लगाया था, जिसे बाद में शॉट ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। वह इस मैच में मैन ऑफ द मैच रहे और बाद में मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी बनें।

वनडे सीरीज, 2004 रावलपिंडी 2004 [पाकिस्तान के खिलाफ]

यह वह दौर था जब लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि सचिन में अब आक्रामकता खत्म हो चुकी है। पाक ने यासिर हमीद (86) और शाहीद आफरीदी (80) की पारियों से छह विकेट पर 329 रन बनाए। 330 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सचिन ने 135 गेंदों पर 17 चौकों और एक छक्के से 141 रन बनाए। उन्हें शोएब मलिक की गेंद पर अब्दुर रज्जाक ने लपका। जब तक तेंदुलकर क्रीज पर थे उस समय तक मैच भारत के कब्जे में लग रहा था लेकिन उसे 12 रनों से हार का सामना करना पड़ा।

वनडे सीरीज 2009 [ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, 175 रन]

सात मैचों की सीरीज का यह पांचवां मैच था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए शॉन मार्श के शतक (112) से चार विकेट पर 350 रन बनाए। जवाब में सचिन तेंदुलकर ने वीरेंद्र सहवाग (38) के साथ सधी शुरुआत की। लेकिन मध्यक्रम लड़खड़ा गया। 36 साल के तेंदुलकर ने सुरेश रैना (59) के साथ पांचवें विकेट के लिए 137 रन और रवींद्र जडेजा (23) के साथ सातवें विकेट के लिए 32 रन जोड़ते हुए टीम को मैच में बनाए रखा। अहम मौके पर सचिन क्लाइंट मैके का शिकार बने। आउट होने से पहले उन्होंने 175 रनों की दमदार पारी खेलकर भारत को जीत दिलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन भारत यह मैच तीन रन से हार गया।

वनडे सीरीज, 2010 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ, 200* रन]

सचिन तेंदुलकर की यह पारी वनडे इतिहास की सबसे यादगार पारियों में दर्ज है। वनडे इतिहास में पहला दोहरा शतक और वह भी विश्व के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के सामने। तेंदुलकर ने डेल स्टेन, वेन पर्नेल, जैक्स कैलिस जैसे गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए 147 गेंदों पर नाबाद 200 रन बनाए। वह भारत की पूरी पारी के दौरान मैदान पर खड़े रहे। भारत ने तीन विकेट खोकर 401 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर ख़़डा किया। जवाब में दक्षिण अफ्रीकी टीम 42.5 ओवरों में 248 रन पर सिमट गई।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक, 2012 [बांग्लादेश के खिलाफ]

मास्टर ब्लास्टर ने इसी साल 16 मार्च को बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप में शानदार शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक लगाने का कारनामा अपने नाम कर लिया। उन्होंने यह शतक जमाकर न सिर्फ सौ शतकों का कारनामा कर दिखाया बल्कि टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले सभी देशों के घर में टेस्ट व वनडे में शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज बन गए। हालांकि उनकी शतकीय पारी के बावजूद टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था।
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सचिन रिकार्ड तेंदुलकर का यादगार सफर
1989: सोलह बरस के सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करते हुए श्रीकांत की कप्तानी वाली टीम में छह पारियों में देश के लिए दो अर्धशतक बनाए।

1990:
तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक [नाबाद 119] ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ जमाया।

1993: भारतीय सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट शतक [163] तेंदुलकर ने चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया।

1994: सचिन ने अपना पहला वनडे शतक अपने 79वें मैच में कोलंबो में आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिंगर कप में बनाया।

1996: भारतीय उपमहाद्वीप में हुए विश्व कप में सचिन ने दो शतक सहित 523 रन बनाए। इसी साल तेंदुलकर की कप्तानी में ही भारत ने आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को हराकर टाइटन कप जीता।

1997: टोरंटो में पाकिस्तान के खिलाफ सहारा कप में 4-1 से जीत दर्ज की। इसी साल सचिन सर्वश्रेष्ठ विजडन क्रिकेटर चुने गए।

1998: आस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 155 रन चेन्नई में बनाए जिससे भारत ने 179 रन से जीत दर्ज की।

2001: वनडे में दस हजार रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बने।

2002:
सचिन ने पोर्ट आफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 117 बनाकर सर डॉन ब्रेडमैन के 29 टेस्ट शतक की बराबरी की और फिर इंग्लैंड के खिलाफ 193 बनाकर ब्रेडमैन के रिकार्ड को पार किया।

2003: आईसीसी विश्व कप के 11 मैचों में 673 बना कर टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने।

2004: सुनील गावस्कर के 34 शतक के रिकार्ड की बराबरी करने वाले विश्व के पहले खिलाड़ी बने। 50 मैन ऑफ द मैच हासिल करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने।

2005: टेस्ट क्रिकेट में 122वें मैच में दस हजार रन पूरे किए।

2006: वनडे में 14 हजार रन पूरे कर नया विश्व रिकार्ड बनाया। 40वां शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ कुआलालंपुर में पूरा किया।

2007: 400वां वनडे मैच खेला।

2008: वनडे में 16 हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने। इसी साल टेस्ट क्रिकेट में ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

2009: हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन बनाए और 17 हजार वनडे रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने।

2010: वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने और स्टीव वॉ के 168 टेस्ट खेलने के रिकॉर्ड को पार किया।

2011: विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ पहला मैच खेलने के साथ ही वह सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाले खिलाड़ी बने और सनथ जयसूर्या के 444 मैचों के रिकार्ड को पीछे छोड़ा।

2011: विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। भारत के लिए विश्व कप में सबसे ज्यादा 482 रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।

2012: एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 114 रन बनाकर अपना अंतरराष्ट्रीय करियर का सौवां शतक पूरा किया। साल के आखिरी महीने में उनके करियर में पहली बार संन्यास शब्द आया।
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Saturday 21 July, 2012

क्रिकेट में छत्तीसगढ़ की ऊंची उड़ान

0 अंडर-19 व 22 में प्लेट ग्रुप के बाद अंडर-16 में भी सेंट्रल जोन में हुआ प्रमोट
0 बीसीसीआई की दिल्ली में हुई बैठक में लिया गया निर्णय 
0 अगले साल रणजी की पूर्ण मान्यता मिलना तय


शंकर चंद्राकर
रायपुर। क्रिकेट में छत्तीसगढ़ ने सोमवार को एक और ऊंची उड़ान भरने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ गया। दिल्ली में 16 जुलाई को हुई बीसीसीआई की बैठक में छत्तीसगढ़ को अंडर-16 में एसोसिएट से सेंट्रल जोन में प्रमोट कर दिया। छत्तीसगढ़ अंडर-19 व 22 वर्ग में पहले से ही प्लेट ग्रुप में प्रमोट हो चुका है। यह छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ की बहुत बड़ी उपलब्धि है। अब छत्तीसगढ़ तीनों वर्गों में बीसीसीआई के एसोसिएट टूर्नामेंट से प्रमोट हो गया है। इस उपलब्धि के बाद छत्तीसगढ़ को अगले साल रणजी ट्राफी की पूर्ण मान्यता मिलना लगभग तय है।
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया एवं सचिव राजेश दवे ने बताया कि छत्तीसगढ़ की अंडर-16 टीम अब सेंट्रल जोन टूर्नामेंट में राजस्थान, विदर्भ, मध्यप्रदेश व उत्तरप्रदेश के साथ खेलेगी। यह छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि है। प्रदेश की अंडर-16 टीम गत दो सालों से एसोसिएट ट्राफी चैंपियन है। इसका फायदा छत्तीसगढ़ को मिला। छत्तीसगढ़ को वर्ष 2008 में एसोसिएट मेंबर की मान्यता मिलने के बाद से प्रदेश संघ लगातार कई बड़े टूर्नामेंटों का आयोजन किया। साथ ही प्रदेश संघ ने लगातार तीन साल से तीनों वर्गों के बीसीसीआई एसोसिएट ट्राफी टूर्नामेंट का सफलतापूर्वक आयोजन किया। प्रदेश टीम तीनों वर्गों में चैंपियन रही। इसी तरह महिला सीनियर टीम भी इस साल एसोसिएट ट्राफी जीती। पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ की क्रिकेट गतिविधियों को देखकर बीसीसीआई ने कई बार प्रदेश क्रिकेट संघ के कार्यों की तारीफ की थी। बीसीसीसीआई के एसोसिएट मेंबर प्राप्त राज्यों में सिर्फ छत्तीसगढ़ ही एकमात्र राज्य है, जो तीनों वर्गों में प्रमोट हुआ है। अगले साल रणजी की पूर्ण मान्यता मिलने के बाद छत्तीसगढ़ पूर्ण मान्यता हासिल करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। 

खिलाड़ियों व प्रदेश संघ की मेहनत का फल : भाटिया
बीसीसीआई द्वारा छत्तीसगढ़ की अंडर-16 टीम को सेंट्रल जोन में प्रमोट किए जाने पर छग स्टेट क्रिकेट संघ के सचिव बलदेव सिंह भाटिया ने कहा कि यह प्रदेश के खिलाड़ियों व संघ के लिए खुशी की बात है। यह प्रदेश के खिलाड़ियों और प्रदेश संघ की कड़ी मेहनत का फल है। इसके लिए प्रदेश संघ बीसीसीआई का आभार व्यक्त करता है। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ को रणजी की मान्यता मिलेगी तो यहां कई बड़े टूर्नामेंट का भी आयोजन किया जाएगा। इसका फायदा यहां के खिलाड़ियों को मिलेगा। 

छग के खिलाड़ियों के लिए दरवाजा खुला : दवे
छग स्टेट क्रिकेट संघ के सचिव राजेश दवे ने कहा कि अंडर-16 टीम के सेंट्रल जोन में प्रमोट होने से अब छत्तीसगढ़ तीनों वर्गों में प्रमोट हो गया है। एक तरह से यहां के खिलाड़ियों के लिए बीसीसीआई का दरवाजा पूरी तरह खुल चुका है। अब सिर्फ हमें आगे बढ़ना है। 11 सालों तक यहां के खिलाड़ी बीसीसीआई के बड़े टूर्नामेंटों में हिस्सा लेने से वंचित हो जाते थे, लेकिन अब सीधे ही बोर्ड के टूर्नामेंटों में हिस्सा लेंगे। इसके लिए प्रदेश क्रिकेट संघ और खिलाड़ियों ने काफी मेहनत की है। उसी का नतीजा हम सबके सामने है। 

वर्ष 2008 के बाद संघ की गतिविधियां
0 लगातार 2009 से तीन सालों तक बीसीसीआई एसोसिएट ट्राफी का आयोजन। प्रदेश की अंडर-19, 22 व 16 टीम तीनों वर्गों में चैंपियन हुए।
0 अंडर-14, 16, 19 व 22 के टूर्नामेंट आयोजित करना और यहां की टीम को दूसरे राज्यों में खेलने के लिए भेजना।
0 नवंबर 2010 में कनाडा की राष्ट्रीय टीम विश्वकप से पहले छत्तीसगढ़ दौरे पर आई। तीनों मैचों में छत्तीसगढ़ ने कनाडा को हराया।
0 पिछले साल अंडर-22 में प्लेट ग्रुप के मैच में छत्तीसगढ़ ने गोवा, असम, विदर्भ, हरियाणा  के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन किया।

Tuesday 27 March, 2012

रायपुर में आशियाना बनाएँगे कॉमनवेल्थ चैम्पियन ओंकार सिंह


0 स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ में बसने का किया इरादा
0 रायपुर में देख रहे मकान
0 भविष्य में वे छत्तीसगढ़ की ओर से खेल सकते हैं
रायपुर में अपने मामाजी के यहाँ अंतरराष्ट्रीय शूटिंग ख़िलाड़ी ओंकार सिंह
शंकर चंद्राकर
रायपुर।
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग में तीन स्वर्ण व एक रजत जीतने वाले अंतरराष्ट्रीय शूटर ओंकार सिंह अब रायपुर में अपना आशियाना बनाएंगे। उन्होंने अब स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ में बसने का इरादा कर लिया है। इसके लिए वे यहां मकान खरीदना चाहते हैं। इसी सिलसिले में सीमित प्रवास पर अपने मामाजी के यहां रायपुर आए ओंकार ने रविवार को दो-तीन जगह मकान भी देखे। यहां सेटल हो जाने के बाद वे भविष्य में छत्तीसगढ़ की ओर से खेल सकते हैं। मूलत: मध्यप्रदेश के अनूपपुर के रहने वाले ओंकार वर्तमान में नेवी की ओर से खेलते हैं।
रायपुर आये
ओंकार सिंह ने विशेष चर्चा करते हुए बताया कि वे दूसरी बार रायपुर आए हैं अभी यहां दो-तीन मकान देखे हैं, लेकिन फाइनल नहीं किया है। पसंद आने पर शीघ्र ही वे यहां मकान खरीद लेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में 30 पदक और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 60 से अधिक पदक जीतने वाले ओंकार इस समय कोयंबटूर में भारतीय नौसेना पोत अग्रणी में चीफ पेटी आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।
वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने लंदन जाएंगे

रायपुर में चर्चा करते हुए ओंकार सिंह
ओंकार ने बताया कि यहां से वे दिल्ली जाएंगे। वहां वे 10 दिवसीय ट्रांजिट शिविर में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे भारतीय टीम के साथ 16 से 24 अप्रैल तक लंदन में होने वाली वर्ल्ड कप शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने इंग्लैंड रवाना हो जाएंगे। उनका पूरा ध्यान वर्ल्ड कप में पदक जीतने पर है। लंदन के बाद वे 14 से 22 मई तक इटली के मिलान और फिर 23 से 28 मई तक जर्मनी के म्यूनिख में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे। लंदन ओलिंपिक में क्वालीफाई नहीं कर पाने का अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि अब वे उसकी कमी को वर्ल्ड कप में पदक जीतकर पूरा करेंगे। ओलिंपिक 50 मी. फ्री पिस्टल और 10 मी. एयर पिस्टल में हिस्सा लेने वाले ओंकार वर्ल्ड कप में 10 मी. एयर पिस्टल कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने वाले अकेले भारतीय खिलाड़ी हैं। साथ ही वे पिछले साल कुवैत में हुई चौथी एशियन एयरगन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
ओलिंपिक में तीन-चार पदक
दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी रहे ओंकार ने कहा कि इस बार लंदन ओलिंपिक में पदकों की संख्या में निश्चित रूप से इजाफा होगा। खासकर शूटिंग में इस बार तीन से चार पदक मिलने की पूरी संभावना है। इसमें पूर्व ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और रोंजन सोढ़ी से पदक की उम्मीद है। साथ ही गगन नारंग व विजय कुमार की भी तैयारी अच्छी है। उनसे भी पदक की उम्मीद है।
स्पोर्ट्स कल्चर व ग्रास रूट पर सपोर्ट जरूरी

15 वर्ल्ड कप में पदक जीत चुके ओंकार का मानना है कि भारत में स्पोर्ट्स कल्चर व ग्रास रूट में सपोर्ट की कमी है। इसके कारण हम अभी भी ओलिंपिक में पीछे हैं। इसके लिए चीन व रूस की तरह यहां स्पोर्ट्स कल्चर डेवलप करने की जरूरत है। खिलाड़ियों को मोटिवेट करने के लिए सरकार व अभिभावकों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। देश में इकॉनामी के साथ ही स्पोर्ट्स को भी महत्व देना जरूरी है। खेलों को आगे बढ़ाने के लिए कार्पोरेट सेक्टर को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर क्रिकेट की तरह शूटिंग को भी 10 प्रतिशत कार्पोरेट सहयोग मिल जाए तो देश में 10 अभिनव बिंद्रा निकल जाएंगे। इस समय शूटिंग में भारत दुनिया के टॉप टेन में शामिल है। लंदन ओलिंपिक क्वालीफाई के हिसाब से देखें तो भारत सिर्फ अपने पड़ोसी देश चीन व रूस से ही पीछे है।
शूटिंग खर्चीला गेम नहीं
ओंकार ने कहा कि आमतौर में शूटिंग को खर्चीला गेम के तौर पर देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। आम मध्यमवर्गीय खिलाड़ी भी शूटिंग में आगे बढ़ सकते हैं। वे खुद इसका उदाहरण है, बशर्ते उन्हें घर से पूरा सपोर्ट मिलना चाहिए। देश में शूटिंग को आगे बढ़ाने व लोकप्रिय बनाने के लिए स्कूल लेवल पर सीमित संसाधनों में भी प्रैैक्टिस रेंज बनाई जा सकती है। 

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रुस्तम ने ओलिंपिक के लिए कसी कमर

 0 पटियाला साई सेंटर में खूब बहा रहे पसीना
0 एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण जीते तो ओलिंपिक की उम्मीद
0 अगले महीने कोरिया जाएंगे एशियन में हिस्सा लेने
शंकर चंद्राकर
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर रुस्तम सारंग ओलिंपिक की तैयारी के लिए पूरी तरह कमर कस लिया है। रुस्तम इस समय पटियाला साई सेंटर में लगे विशेष ओलिंपिक कैंप में खूब पसीना बहा रहे हैं। अगले महीने वे भारतीय टीम के साथ 22 से 30 अप्रैल तक कोरिया के प्योंगटेक में होने वाली एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे। इसमें स्वर्ण पदक जीतने पर भारतीय टीम को लंदन ओलिंपिक के लिए एक कोटा हासिल हो जाएगा।
पटियाला से फ़ोन पर रुस्तम ने चर्चा करते हुए कहा कि इस समय उनका पूरा फोकस एशियन चैंपियनशिप पर है, जो कांटिनेंटल ओलिंपिक क्वालीफिकेशन इवेंट है। इसमें विजेता टीम को लंदन ओलिंपिक का एक कोटा हासिल होगा, इसलिए पूरी टीम का लक्ष्य हर हालत में स्वर्ण जीतना है। रुस्तम ने कहा कि स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर भी ओलिंपिक के लिए चयन निश्चित नहीं है। सब कुछ भारतीय वेटलिफ्टिंग संघ और उस समय संबंधित खिलाड़ी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। एशियन चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले खिलाड़ी भी यदि ओलिंपिक आयोजन के समय फिट नहीं रहे तो उनका चयन मुश्किल होगा, इसलिए अपने प्रदर्शन को निरंतर बरकरार रखना जरूरी है।

चार खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धा
भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने लंदन ओलिंपिक के लिए 17 खिलाड़ियों का कोर ग्रुप बनाया है। ग्रुप के सभी खिलाड़ी इस समय पटियाला में विशेष प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। यदि भारतीय टीम एशियन चैंपियनशिप में ओलिंपिक कोटा हासिल कर लिया तो लंदन जाने के लिए होने वाले ट्रायल में कोर ग्रुप के चार खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। उन चारों में रुस्तम भी शामिल हैं। रुस्तम 62 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेते हैं। उनके वर्ग में भी तीन खिलाड़ी हैं। रुस्तम ने कहा कि सबसे पहले उन्हें अपने ही वर्ग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। फिर उनके सामने कोर ग्रुप के अन्य खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती होगी। तैयारी के दौरान वे चोटिल न होने का पूरा ख्याल रख रहे हैं, क्योंकि दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कलाई में लगी चोट से वे मुश्किल से उबर पाए हैं।
छोटे भाई भी ओलिंपिक कोर ग्रुप में
 राज्य बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब वेटलिफ्टिंग में ओलिंपिक के लिए लगाए गए विशेष प्रशिक्षण शिविर के कोर ग्रुप में छत्तीसगढ़ से एक साथ दो भाइयों का चयन हुआ है। रुस्तम के छोटे भाई अजयदीप सारंग भी 17 सदस्यीय ओलिंपिक के कोर ग्रुप में शामिल हैं। अजयदीप ने मंगलवार को नेपाल में समाप्त हुए प्रथम दक्षिण एशिया (सैफ) वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ हिस्सा लिया और इसमें उन्होंने 77 किग्रा वर्ग में अपना प्रदर्शन जारी रखते हुए देश के लिए तीन कांस्य पदक जीते। अजयदीप भी इस समय पटियाला में विशेष प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं।  

छत्तीसगढ़ की महिला बास्केटबाल टीम ने जीता रजत

 0 26वीं फेडरेशन कप बास्केटबाल चैंपियनशिप में दक्षिण रेलवे से हारा
रायपुर।
केरल के कोचिन में हुई 26वीं फेडरेशन कप बास्केटबाल चैंपियनशिप के महिला वर्ग के फाइनल में रविवार को गत चैंपियन छत्तीसगढ़ को संघर्षपूर्ण मैच में दक्षिण रेलवे चेन्नाई से 82-93 से हार का सामना करना पड़ा।
छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के महासचिव व महिला टीम के कोच राजेश पटेल ने बताया कि फाइनल में खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन रेलवे की खिलाड़ियों ने अंतिम समय में बढ़त हासिल कर खिताब पर कब्जा कर लिया। टीम की ओर से पूनम चतुर्वेदी ने सर्वाधिक 17 अंक, अंजू लकड़ा 16, सीमा सिंह 15, कविता 14, आकांक्षा सिंह आठ, एल. दीपा पांच व अंजना डेज्जी इक्का ने चार अंक हासिल किए।
इसके पूर्व शनिवार को खेले गए सेमीफाइनल में छत्तीसगढ़ की महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए मेजबान केरल को 69-66 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। मैच में अंजू लकड़ा ने सर्वाधिक 29 अंक, सीमा सिंह 15, कविता 12, एल. दीपा पांच और आकांक्षा सिंह व पूनम चतुर्वेदी ने चार-चार अंक अर्जित किए।
मैच में रजत पदक जीतने वाली छत्तीसगढ़ की महिला टीम को पुरस्कार के रूप में 75000 रुपए और ट्राफी मिली।

20 प्रशिक्षकों ने सीखीं क्रिकेट की बारीकियां

 0 एनसीए लेवल-बी कोचिंग कोर्स का समापन
0 प्रदेश के तीन कोच ने लिया हिस्सा
रायपुर। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ की मेजबानी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम परसदा में 13 मार्च से शुरू हुए राष्ट्रीय क्रिकेट एकादमी लेवल-बी कोचिंग कोर्स का सोमवार को समापन हुआ। हफ्तेभर चले इस कोचिंग कोर्स में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नगालैंड, राजस्थान व उत्तरप्रदेश समेत कुल 9 राज्यों के 20 प्रशिक्षकों ने क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। 
 सभी प्रशिक्षकों को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच एजुकेशन प्रोग्राम के हेड डॉ. किंजल सूरतवाला, बैटिंग कोच दिनेश नानावती, अंडर-19 भारतीय कोच बी. अरुण, फील्डिंग कोच अपूर्व देसाई, राजस्थान रणजी टीम के कोच अमित असावा एवं एनसीए के वीडियो एनालिस्ट व टेक्निकल हेड संजू सिंह ने क्रिकेट की सभी तकनीकी जानकारियांॅ दीं। इसमें छत्तीसगढ़ से तीन कोच दिलीप सिंह, राजेय सिंह परिहार एवं मुजाहिद हक ने हिस्सा लिया। कोर्स के दौरान प्रशिक्षकों को क्रिकेट की विभिन्ना छोटी-छोटी बारीकियों जैसे स्किल सुधारना, समय-समय पर युवा खिलाड़ियों के खेल में सुधारना, बैटिंग, बालिंग, फील्डिंग, विकेटकीपिंग, स्पोर्ट्स साइंस एवं वीडियो एनालिस्ट आदि विषयों से अवगत कराया गया।

369 दिनों के बाद आया सचिन का महाशतक


एशिया कप में बंगलादेश के खिलाफ शतकों का शतक पूरा किया.
ढाका (16 march 2012). मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (114) को अपने महाशतक के लिए कुल 369 दिनों का इंतजार करना पड़ा। पिछले साल 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक जमाने के बाद 33 पारियों के बाद यह स्वप्निल शतक आया है। शतकों के महाशतक लगाने वाले सचिन के लिए यह शतक इस मामले में भी खास है क्योंकि अपनी इस महान पारी में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय करियर में 2008 चौके मार लिए हैं। 
आस्ट्रेलिया में खेली गई त्रिकोणीय वनडे सीरीज में सचिन महाशतक का सपना नहीं पूरा कर सके थे। उन्होंने अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए एशिया कप में खेलने की इच्छा जताई थी जिस कारण उन्हें इस टूर्नामेंट के लिए शामिल किया गया। सचिन ने इससे पूर्व बांग्लादेश के खिलाफ 12 वनडे मैच खेले थे लेकिन उसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 82 रन था। इस तरह से उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे क्रिकेट में शतक के सूखापन को समाप्त किया।
ऐसा पहली बार हुआ है जब उनका बल्ला पूरे एक साल यानी 365 दिन तक बिना किसी शतक के रहा। तेंदुलकर ने अपना आखिरी शतक विश्व कप 2011 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नागपुर में लगाया था और इसके बाद वह टेस्ट और वनडे में कुल मिलाकर 33 पारियां खेलने के बाद उनका महाशतक आया। इस बीच उन्होंने आठ अर्धशतक जमाए जिनमें से दो बार 90 रन के पार भी पहुंचे। एशिया कप के अपने पहले मैच में भारत ने बड़ी जीत हासिल की थी लेकिन सचिन इस मैच में दहाई का आंकड़ा नहीं छू सके थे।
मास्टर ब्लास्टर अपने करियर में एक बार 34 अंतरराष्ट्रीय पारियों तक शतक नहीं लगा पाए थे लेकिन तब समय इतना लंबा नहीं खिंचा था। तेंदुलकर ने 26 मई 2007 से चार जनवरी 2008 के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34 ऐसी पारियां खेली थी जिनमें वह तिहरे अंक में नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने तब हालांकि 223 दिन के अंदर ये पारियां खेल ली थी। वह तब कई अवसरों पर नर्वस नाइंटीज के शिकार बने और तीन बार तो 99 रन पर आउट हुए थे। तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद अपना पहला शतक जमाने के लिए भी 272 दिन का समय लिया था। पाकिस्तान के खिलाफ 15 नवंबर 1989 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले सचिन ने अपना पहला शतक 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में लगाया था।
इसके बाद 1992 में भी 299 दिन तक उनके नाम पर कोई अंतरराष्ट्रीय शतक दर्ज नहीं हो पाया था लेकिन इस बीच बल्लेबाजी के बादशाह ने केवल 11 पारियां ही खेली थी। तेंदुलकर ने वर्तमान दौर से पहले अपने अंतरराष्ट्रीय शतक के लिए सबसे लंबा समय 1995-96 में लिया था। वह तब 315 दिन तक शतक नहीं लगा पाए थे लेकिन इस बीच भारत ने बहुत कम क्रिकेट खेली थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सचिन ने इस दौरान केवल दस अंतरराष्ट्रीय पारियां खेली थी। इसके बाद 2004 में भी ऐसा दौर आया था जबकि तेंदुलकर को शतक के लिए 257 दिन तक का इंतजार करना पड़ा था।
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पहले शतक से महाशतक तक का सफरनामा
मीरपुर। महान बल्लेबाल सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में हर उस टीम के खिलाफ सैकड़ा जड़ा है जिसके खिलाफ उन्होंने दस या इससे अधिक मैच खेले लेकिन उन्होंने सर्वाधिक शतक दुनिया की सबसे मजबूत टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए हैं। 
मास्टर ब्लास्टर ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ सर्वाधिक 20 शतक लगाए हैं। इनमें से 11 शतक उन्होंने टेस्ट मैच और नौ शतक वनडे मैचों में लगाए हैं। इसके बाद श्रीलंका [17], दक्षिण अफ्रीका [12], इंग्लैंड और न्यूजीलैंड [दोनों 9], जिंबाब्वे [8], वेस्टइंडीज और पाकिस्तान [7], बांग्लादेश [5], केन्या [4] और नामीबिया [1] का नंबर आता है। यह बांग्लादेश के खिलाफ वनडे मैचों में सचिन का पहला शतक है। तेंदुलकर के 100 शतकों में से 42 शतक भारतीय सरजमीं पर बने हैं। उन्होंने 41 शतक विदेशी टीमों की धरती और 17 शतक तटस्थ स्थानों पर बनाए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में वह अब तक 71 शतक जमा चुके हैं।
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महाशतक से फिर चमका 'ब्रांड' सचिन
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर के 100वें शतक को लेकर न केवल उनके प्रशंसक, बल्कि वे ब्रांड भी उत्साहित हैं जिनका तेंदुलकर प्रमोशन करते हैं। ऐसे ब्रांडों की कंपनियों ने नए विज्ञापन अभियान शुरू करने की तैयारी भी कर ली है। 
 सचिन तेंदुलकर एडिडास, कोका-कोला, बूस्ट, आईटीसी, रेनाल्ड्स, अवीवा और कैनन सहित 17 ब्रांडों का प्रमोशन करते हैं। तेंदुलकर के अनूठे रिकार्ड को उत्सव के तौर पर मनाने के लिए कोका कोला ने भारत में पहली बार अपने कैन पर तेंदुलकर की तस्वीर छापी है और कंपनी तेंदुलकर के सबसे शानदार शतकों के ब्यौरे वाले नौ कैन जारी भी कर चुकी है। वहीं, एडिडास अप्रैल के पहले सप्ताह में तेंदुलकर के साथ एक नया मार्केटिंग अभियान शुरू करने की तैयारी की है। सचिन तेंदुलकर ने आज ढाका के शेरे बंगला नेशनल स्टेडियम में चल रहे एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ अपना बहुप्रतीक्षित 100वां शतक पूरा किया। 
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कालसर्प ने बनाया सचिन को 'भगवान'

मेरठ। कालसर्प दोष यानी अपशय, दुर्घटना, बीमारी और हानि। आपको जानकार हैरानी होगी कि सचिन तेंदुलकर की कुंडली में काल सर्पयोग है। इसी योग के चलते ग्रहों ने अच्छे समीकरण बनाए और सचिन को क्रिकेट का भगवान बना दिया। यह उन लोगों के लिए सुखद बात है, जिन्होंने ढपोरशंख ज्योतिषियों के फेर में पड़कर अपनी जिंदगी को इतना खौफनाक बना लिया है कि कालसर्प के नाम पर उन्हें अपनी परछाई से भी डर लगता है। जबकि शास्त्रों के मुताबिक यह योग रंक से राजा भी बना देता। 

सचिन की कुंडली में जन्म लग्न तुला राशि और चंद्र राशि धनु है। सारे ग्रह राहु और केतु के परिक्षेत्र में हैं। कालसर्प योग की मौजूदगी में मंगल ग्रह रुचक योग बना रहा है। इस योग का जातक प्रसिद्धि, साहसी और शत्रु को शिकस्त देने वाला होता है। इसके अलावा सचिन की कुंडली में पारिजात योग भी बन रहा है। इन योगों ने सचिन को क्रिकेट का भगवान बना दिया। हालांकि सचिन का चंद्रमा राहु से पीड़ित है, इसलिए वह कप्तानी के मोर्चे पर उतने सफल नहीं रहे। चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतरदशा के चलते सचिन की कप्तानी में भारत ने कई मैच खेले। इस दौरान सचिन की बल्लेबाजी में गिरावट आई। और कप्तानी से भी हटना पड़ा।
इनकी कुंडली में भी कालसर्प
दुनिया के कई नामचीन खिलाड़ियों की कुडली में कालसर्प दोष है। इनमें कपिल देव, मोहम्मद अजहरुद्दीन, शाहिद आफरीदी जैसे नामचीन क्रिकेटर तो टेनिस स्टार लिएंडर पेस भी हैं।
सूचना का अधिकार है ज्योतिष
सितारों की गतिविधियां और इरादे जानने के लिए सृष्टि के रचनाकार ने इंसान को सूचना का अधिकार यानी ज्योतिष विज्ञान की सुविधा दी है। हाइटेक युग में स्वार्थी ज्योतिषियों ने इस पवित्र विद्या का भी बाजारीकरण कर दिया। कालसर्प योग जैसे डरावने शब्दों की ब्रांडिंग की गई। जबकि सच्चाई यह है कि इस योग के चलते आदमी बुलंदियों को भी छू लेता है।
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रो पड़े थे सचिन के गुरु आचरेकर
सचिन के गुरु रमाकांत आचरेकर सर ने टीवी पर मैच का लिया आनंद.
मुंबई। भारत-बांग्लादेश के बीच शुक्रवार 16 मार्च को खेले गए मैच के दौरान सचिन तेंदुलकर के प्रशंसक सांसें थाम कर महाशतक का इंतजार कर रहे थे। इन प्रशंसकों में शतकों के शहंशाह सचिन के कोच रमाकांत आचरेकर भी शामिल रहे। अपने सबसे प्रिय चेले के महाशतक पर वे अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर सके और उनकी आंखें भर आई।
80 वर्षीय आचरेकर की भीगी आंखें एक साथ बहुत कुछ बयां कर रही थीं। 
उन्होंने बातचीत में बताया, 'मुझे पूरा विश्वास था कि सचिन अपना बहुप्रतीक्षित शतक आज पूरा करेगा और जैसे ही उसने इस जादुई आंकड़े को छूआ पूरे भारत ने राहत की सांस ली।' शरीर के दाएं हिस्से को लकवा मार देने की वजह से आचरेकर ठीक से बोल और चल पाने में असमर्थ हैं। अपने सबसे चहेते शिष्य की बैटिंग देखने के लिए वे सुबह से ही अपने परिवार के साथ सोफे से चिपक गए। जब सचिन 89 पर खेल रहे थे तो उनसे यह पूछने पर कि क्या आज सचिन अपना सौवां शतक पूर कर पाएंगे? इस पर आचरेकर ने बड़े विश्वास के साथ जवाब दिया कि सचिन आज अपना शतक पूरा कर लेगा। जब सचिन रन आउट होते-होते बचे उस वक्त वह काफी मायूस हो गए थे, उनके चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती थी।
सचिन के शतक पूरा करते ही आचरेकर की आंखें आंसूओं से भर आईं। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों जब सचिन शतक नहीं बना पा रहा था तब मैं काफी डरा रहता था। लेकिन, इस समय सचिन ने उस खुशी को दी है जिसका पूरा देश काफी दिनों से इंतजार कर रहा था। मैं काफी खुश हूं कि उसने ऐसा कर दिखाया। आचरेकर के पोते वैदिक मुरकर ने बताया, 'आज सुबह ही मैंने दादा से सचिन के शतक को लेकर शर्त लगाई थी। मैंने कहा था कि वह अपना शतक पूरा नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि सचिन अपना शतक आज जरूर पूरा करेगा।' मुरकर ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं शर्त हार गया।
यह हर कोई जानता है कि सचिन अपने गुरु आचरेकर का बहुत सम्मान करते हैं। वे हर दौरे की शुरुआत बिना उनसे आशीर्वाद लिए नहीं करते हैं। दौरे से लौटने के बाद भी उनसे मिलने जरूर आते हैं। खुद आचरेकर को विश्वास नहीं होता कि शिवाजी पार्क में जिस लड़के को वह कोचिंग दिया करते थे वो इन बुलंदियों पर पहुंचेगा। आचरेकर चाहते हैं कि सचिन ईमानदारी से खेलता रहे और नई ऊंचाइयों को छूए।
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महाशतक की खुशी हुई फीकी
बांग्लादेश ने टीम इंडिया को दी पटखनी

मीरपुर।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर (114) के सौंवे अंतरराष्ट्रीय शतक की खुशी उस समय फीकी हो गई जब भारत को एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट के रोमांचक मुकाबले में बांग्लादेश से 4 गेंदें शेष रहते 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेश की यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है। भारत की बांग्लादेश के खिलाफ यह तीसरी हार है। शकीब अल हसन को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया।
बांग्लादेश को हर हाल में जीत की दरकार थी, जिसे उसने शानदार तरीके से हासिल करते हुए फाइनल में पहुँचने की उम्मीदों को जीवित रखा। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 5 विकेट पर 289 रन बनाए। जवाब में बांग्लादेश ने 49.2 ओवर में 5 विकेट खोकर जीत दर्ज कर ली। लक्ष्य का पीछा करने उतरे बांग्लादेशी बल्लेबाजों ने अर्द्धशतकीय पारियाँ खेलते हुए टीम को यादगार जीत दिला दी। नजीमुद्दीन (5) का विकेट सस्तेे में गँवाने के बाद तमिम इकबाल (70) और जहुरूल इस्लाम (53) ने दूसरे विकेट के लिए 113 रन जोड़ते हुए टीम को लक्ष्य की ओर बढ़ाया। इसके बाद नासिर हुसैन (54) और शकीब अल हसन (49) ने उपयोगी पारियाँ खेलीं। अंतिम ओवरों में कप्तान मुश्फिकुर रहीम ने 25 गेंदों पर आक्रामक 46 रन बनाए। मेजबान टीम को जीत के लिए 4 ओवरों में 37 रनों की जरूरत थी। पठान द्वारा फेंके गए 48वंे ओवर में 17 रन बने, जिसमें रहीम के दो छक्के शामिल थे। इसके बाद बांग्लादेश की जीत औपचारिकता रह गई, जिसे उसने आसानी से पा लिया। 
इससे पहले भारतीय पारी पूरी तरह सचिन के इर्द-गिर्द घुमती रही और तमाम प्रशंसकों का लंबा इंतजार अंतत: समाप्त हो गया। सचिन ने पारी के 43वें ओवर में शकीब अल हसन की गेंद पर एक रन लेते हुए अपने शतकों का शतक पूरा कर लिया। उन्होंने शतक पूरा करने में 138 गेंदें लगी, जो संभवत: उनकी वन-डे की धीमी पारियों में से एक है। शतक पूरा करने के बाद उन्होंने अपने हाथ खोले और शहादत हुसैन की गेंद पर लगातार दो चौके लगाए। दूसरे छोर पर उनके साथी सुरेश रैना ने विपक्षी गेंदबाजों की धुनाई करते हुए 38 गेंदों पर 51 रनों की पारी खेली। सचिन पर शतक का दबाव साफ तौर पर देखा जा सकता था। उन्होंने 80 से 100 तक पहुँचने में 36 गेंदों का सामना किया। कई बार ऐसे मौके भी आए जहाँ तेज रन लिए जा सकते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया। सचिन अंतत: 47वें ओवर में मशरफे मुर्तजा की गेंद पर विकेट के पीछे मुश्फिकुर रहीम द्वारा लपके गए। उन्होंने 147 गेंदों पर 12 चौकों और एक छक्के की मदद से 114 रन बनाए। सचिन और रैना के बीच 86 रनों की साझेदारी हुई।
इससे पहले गौतम गंभीर (11) के जल्द आउट होने के बाद सचिन और विराट कोहली (66) ने पारी को आगे बढ़ाया। हालाँकि कोहली भाग्यशाली रहे और शफीउल इस्लाम की पहली गेंद पर वे साफ पगबाधा आउट थे लेकिन अंपायर पॉल रफेल ने अपील नकार दी। दोनों ने बिना जोखिम उठाए दूसरे विकेट के लिए 148 रन जोड़े। पारी के अंत में कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ने नाबाद 21 रन बनाए, जिसमें से अंतिम ओवर में 16 रन बने।
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स्कोर बोर्ड
भारत                                                                    रन    गेंद    4    6   
गंभीर बो. इस्लाम                                                  11    16    1    0
तेंडुलकर कै. रहीम बो. मुर्तजा                                114    147    12    1
कोहली बो. रज्जाक                                                66    82    5    0
रैना कै. तमिम बो. मुर्तजा                                       51    38    5    2
धोनी नाबाद                                                          21    11    2    0
रोहित रन आउट                                                    4    6    0    0
जडेजा नाबाद                                                        4    2    0    0
अतिरिक्त : (लेगबाई 6, वाइड 10, नोबॉल 2) 18, कुल : (5 विकेट पर, 50 ओवर में) 289, विकेट पतन : 1-25, 2-173, 3-259, 4-259, 5-267, गेंदबाजी : मुर्तजा 10-1-44-2, इस्लाम 5-0-24-1, शहादत 10-0-81-0, शकीब 10-0-63-0, रज्जाक 10-0-41-1, महमदुल्ला 4-0-24-0, नासिर 1-0-6-0
बांग्लादेश :                                                      
रन    गेंद    4    6
तमिम कै. जड़ेजा बो. प्रवीण                                 70    99    6    0
नजीमुद्दीन कै. रोहित बो. प्रवीण                           5    15    0    0
जहुरूल कै. रोहित बो. जड़ेजा                                53    68    4    1
नासिर कै. रैना बो. प्रवीण                                    54    58    5    0
शकीब स्ट. धोनी बो. अश्विन                              49    31    5    2
मुश्फिकुर नाबाद                                               46    25    3    3
महमदुल्लाह नाबाद                                          4    2    1    0
अतिरिक्त : (लेगबाई 7, वाइड 3, नोबॉल 2) 12, कुल : (5 विकेट पर 49.2 ओवर में) 293, विकेट पतन : 1-15, 2-128, 3-156, 4-224, 5-288, गेंदबाजी : प्रवीण कुमार 10-0-56-3, इरफान पठान 9-0-61-0, अशोक डिंडा 5.2-1-38-0, सुरेश रैना 7-1-30-0, रोहित शर्मा 2-0-13-0, आर. अश्विन 10-0-56-1, रवीन्द्र जड़ेजा 6-0-32-1. 

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'मीडिया' में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 








































































इस साल छत्तीसगढ़ को घरेलू मैचों की मेजबानी तय


0 बीसीसीआई की उम्मीदों पर खरे उतरा छग क्रिकेट संघ
0 प्रदेश संघ अब तक बोर्ड के कई टूर्नामेंटों का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुका

शंकर चंद्राकर 

रायपुर। छत्तीसगढ़ को इस साल बीसीसीआई के घरेलू टूर्नामेंटों के मैच की मेजबानी मिलना अब तय हो चुका है। बीसीसीआई के आला अफसर भी छत्तीसगढ़ को घरेलू मैचों की मेजबानी देने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। घरेलू मैचों की मेजबानी मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ भी बीसीसीआई के फ्रंट स्टेट में आ जाएगा।
अब तक उपेक्षित रहा छत्तीसगढ़ एसोसिएट मेंबर मिलने के बाद बीसीसीआई की नजरों में आ गया है। बोर्ड ने भी यहांॅ के क्रिकेट कल्चर व लोकप्रियता को देखते हुए अपना फोकस छत्तीसगढ़ पर कर दिया है। प्रदेश क्रिकेट संघ ने हाल ही में स्पिन व तेज गेंदबाजों की खोज के लिए यहां रॉ-टैलेंट अभियान का सफल आयोजन कर बीसीसीआई को संतुष्ट कर दिया। बीसीसीआई अब पूरी तरह आश्वस्त हो चुका है कि छत्तीसगढ़ बड़े टूर्नामेंटों का आयोजन भी सफलतापूर्वक कर सकता है। यही कारण है कि जब बोर्ड ने देशभर में गेंदबाजों की खोज के लिए अभियान चलाया तो इसकी मेजबानी के लिए चार राज्यों में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ को चुना। इस पूरे अभियान में बाकी अन्य तीनों राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व झारखंड के मुकाबले यहां ट्रायल में सबसे ज्यादा रिकार्ड 1790 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें छत्तीसगढ़ के 1483 खिलाड़ी शामिल हुए। ट्रायल लेने आए पूर्व क्रिकेटर व एनएसीए के डायरेक्टर (क्रिकेट आपरेशन) संदीप पाटिल ने सिर्फ छह खिलाड़ियों का चयन किया, जिसमें एक लेग स्पिनर छत्तीसगढ़ के मोहन सोनी भी शामिल हैं। इसके पूर्व भी छत्तीसगढ़ बीसीसीआई के अंडर-22, 19 व 16 एसोसिएट ट्राफी की सफलतापूर्वक मेजबानी कर चुका है।
छत्तीसगढ़ का नाम तय
सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई जुलाई में घरेलू टूर्नामेंटों के आयोजन के लिए सूची तैयार करेगा तो उसमें कुछ मैचों की मेजबानी के लिए छत्तीसगढ़ का नाम लगभग तय कर लिया है। छत्तीसगढ़ को इस साल घरेलू टूर्नामेंटों के दो-तीन मैचों की मेजबानी मिलना निश्चित है। 
स्टेडियम के पूरे होने का इंतजार
छत्तीसगढ़ में किसी भी घरेलू या बड़े टूर्नामेंटों के आयोजन में स्टेडियम का अधूरा होना सबसे बड़ा रोड़ा है। अभी स्टेडियम में अधूरे काम का निर्माण तेजी से चल रहा है। आयोजन के बहाने हर बार बीसीसीआई के पदाधिकारी रायपुर आते हैं और वे स्टेडियम का मुआयना भी करते हैं। सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई को भी स्टेडियम के पूर्ण होने का इंतजार है।
अगले साल रणजी की मान्यता
छत्तीसगढ़ को वर्ष 2008 में एसोसिएट मेंबर की मान्यता मिली थी। बीसीसीआई के नियमानुसार पांच साल बाद ही किसी राज्य को उनके प्रदर्शन के आधार पर रणजी की मान्यता मिलना है। वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ मेंबरशिप मिलने का पांॅच साल पूरा हो जाएगा। इस हिसाब से अगले साल छत्तीसगढ़ को रणजी की मान्यता मिलना भी तय है, क्योंकि अब तक छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन शानदार रहा है और छत्तीसगढ़ अंडर-22 वर्ग में चैंपियन बनकर प्लेट ग्रुप में पहुंच चुका है। साथ ही अंडर-19 व 16 में भी चैंपियन बन चुका है। 
हर स्तर पर बोर्ड संतुष्ट : दवे 

 छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के सचिव राजेश दवे का कहना है कि प्रदेश संघ ने हर स्तर पर बीसीसीआई को संतुष्ट किया है। हमारे खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है और तीनों वर्गों में एसोसिएट ट्राफी जीती है। महिला टीम भी इस साल चैंपियन बनी। छत्तीसगढ़ तीनों वर्गों की एसोसिएट ट्राफी की सफलतापूर्वक मेजबानी भी कर चुका है। बोर्ड के अधिकारी हर बार यहांॅ से संतुष्ट होकर गए हैं। इस साल हमें घरेलू टूर्नामेंटों की मेजबानी मिलना तय है और अगले साल छत्तीसगढ़ को रणजी की मान्यता मिलने की पूरी उम्मीद है।

Monday 26 March, 2012

क्वालीफाइंग हॉकी टूर्नामेंट में रही छत्तीसगढ़ की भागीदारी


रायपुर। हाल ही में दिल्ली में हुए लंदन ओलिंपिक हॉकी क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ की भी भागीदारी रही। इस टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ हॉकी के महासचिव फिरोज अंसारी ने आयोजन समिति के डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएंॅ दीं। 
श्री अंसारी ने बताया कि टूर्नामेंट के दौरान वे अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष लिएंड्रो नेग्रे से भी मुलाकात की। इस दौरान वे छत्तीसगढ़ में हॉकी की उपलब्धियों की जानकारी दी। इस दौरान हॉकी इंडिया के महासचिव नरेंद्र बत्रा भी मौजूद थे। श्री अंसारी ने फाइनल में भारत की जीत के बाद भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों से मुलाकात कर बधाई भी दी।

एनसीए के लिए चुना गया रायपुर का मोहन


बेंगलुरू के लिए छह गेंदबाजों का चयन
1790 खिलाड़ियों ने दिया ट्रायल
रायपुर। तेज गेंदबाज और फिरकी स्पिनर की खोज में छत्तीसगढ़ आए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को छह हीरे मिल गए हैं, जिन्हें राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बेंगलुरू में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में देशभर के 1790 गेंदबाजों के ट्रायल का समापन हुआ। बीसीसीआई के अधिकारियों ने अंतिम छह खिलाड़ियों की घोषणा की, जिसमें राजधानी का मोहन सोनी भी शामिल है। वे छत्तीसगढ़ से अकेले गेंदबाज हैं, जिन्होंने देश के अन्य गेंदबाजों को पीछे छोड़ दिया। चयनित खिलाड़ियों में मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा तीन शामिल हैं, उत्तरप्रदेश के दो खिलाड़ियों ने जगह बनाई है।
 ट्रायल के पहले दिन छत्तीसगढ़ के 870 व दूसरे राज्यों के 265 खिलाड़ियों ने दमखम दिखाया। अंतिम दिन खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी और छत्तीसगढ़ से 1483 व अन्य राज्यों से 327 खिलाड़ियों ने गेंदबाजी की। कुल 1790 खिलाड़ियों ने ट्रायल दिया। इस दौरान मुख्य चयनकर्ता पूर्व क्रिकेटर व एनसीए के क्रिकेट ऑपरेशन के डायरेक्टर संदीप पाटिल ने गेंदबाजों की कड़ी परीक्षा ली। मैदान पर बीसीसीआई के अधिकारी भी मौजूद रहे। पहले चरण के बाद दूसरे चरण में अंतिम 55 खिलाड़ियों को फाइनल ट्रायल के लिए चयनित किया गया। इनमें से छह चुने गए। श्री पाटिल के अलावा बीसीसीआई अकादमी के मुख्य कोच करसन गावरी, बीसीसीआई मोहाली के कोच योगिंदर पुरी व एनसीए के वीएसएम मैनेजर रिटायर्ड विंग कंमाडर एके झा मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के अधिकारी भी पूरे समय मैदान पर जुटे रहे।  
  खिलाड़ियों के नाम- मोहन सोनी (रायपुर, छत्तीसगढ़), प्रभन्शु कप्पल (रीवा, मध्यप्रदेश), विनोद शर्मा (आगरा, उत्तरप्रदेश), रोहित (नोएडा, उत्तरप्रदेश), पवन तिवारी (जबलपुर, मध्यप्रदेश), रोनित सिंह (छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश)।

Wednesday 29 February, 2012

बीएसपी की बास्केटबाल टीम बनी चैंपियन


पदक के साथ बीएसपी बास्केटबाल टीम की खिलाड़ी और कोच राजेश पटेल.  

0 हैदराबाद में हुई आल इंडिया बीएचईएल आमंत्रण बास्केटबाल चैंपियनशिप
रायपुर। हैदराबाद में हुई आल इंडिया बीएचईएल आमंत्रण बास्केटबाल चैंपियनशिप में बीएसपी की बालिका टीम चैंपियन बनी। फाइनल में टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बीएचईएल रामचंद्रपुरम को 69-51 से हराकर खिताब पर कब्जा किया। 
बास्केटबाल के अंतर्राष्ट्रीय कोच राजेश पटेल का हुआ सम्मान. 
छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के महासचिव व टीम के कोच राजेश पटेल ने बताया कि फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा। टीम की ओर से संगीता कौर ने सर्वाधिक 14 अंक, पूनम सिंह ने अपनी लम्बाई का फायदा उठाते हुए 12, कप्तान अंजना डेजी इक्का 11, शरणजीत कौर 10, रिया वर्मा आठ,  संगीता दास, पी. दिव्या, रश्मि वानखेड़े व अनामिका लकड़ा ने चार-चार अंक हासिल किए। संगीता कौर को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार मिला। इसके पूर्व बीएसपी की टीम ने एनबीए हैदराबाद, बीएचईएल रामचंद्रपुरम, केरल हुपस्टर्स, एवं वायएमसीए सिकंदराबाद को पराजीत कर फाइनल में जगह बनाई। बीएसपी की बालिका बास्केटबाल टीम को 7500 रुपए ट्रॉफी मिली। समारोह में बीएचईएल रामचंद्रपुरम के प्रबंधन ने बीएसपी के अंतरराष्ट्रीय कोच राजेश पटेल को बास्केटबाल को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए शाल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। 
टीम में अंजना डेजी इक्का (कप्तान), पूनम चतुर्वेदी, शरणजीत कौर, संगीता कौर (सभी यूथ अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी), संगीता दास, रश्मि वानखेड़े, पी. दिव्या, अनामिका लकड़ा, रिया वर्मा, रागिनी झा, निशा नेताम, वंदना आर्य व शीतल कौर शामिल थीं। कोच राजेश पटेल एवं मैनेजर सागरिका महापात्रा थीं। शशिकांत पांडे ने निर्णायक के रूप टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था। 
 भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य कोच राजेश पटेल ने कहा कि बीएसपी की महिला टीम की यह भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा दी जा रही सुविधाओं का परिणाम है। भिलाई इस्पात संयंत्र की महिला बास्केटबाल टीम की महत्वपूर्ण उपलिब्ध पर छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के चेयरमैन सोनमोनी बोरा, अध्यक्ष राजीव जैन, बीएसपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी  पंकज गौतम, बीईसी के एमडी अरविंद जैन, छत्तीसगढ़ लान टेनिस संघ के अध्यक्ष विक्रम सिसोदिया, बीएसपी के कार्यपालक निदेशक कार्मिक एम. अखोरी , बीएसपी के मैनेजमेंट सर्विसेज के महाप्रबंच्च्क माधुरी मेनन, बीएसपी कार्मिक महाप्रबंध्ाक आरके शर्मा, बीएसपी के बास्केटबाल क्लब के अध्यक्ष एसआरए रिजवी, बीएसपी के उपमहाप्रबंध्ाक एके कयाल, बीएसपी के खेल एवं सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविध्ााएं विभाग के सहायक महाप्रबंच्च्क मेहमुद हसन, बीएसपी बास्केटबाल क्लब के उपाध्यक्ष कमल सिंघल, बीएसपी के खेल प्रबंध्ाक सहीराम जाखड़, उपप्रबंध्ाक खेल बशीर अहमद खान, छग बास्केटबाल संघ के सहसचिव विजय देशपाण्डे, साजी टी. थॅामस, सरजीत चक्रवर्ती, इकबाल अहमद खान, आरएस गौर, एस. दुर्गेश राजू, एमवीवीजे सूर्यप्रकाश, अशोक धर, रामकुमार चंद्रा, शशिकांत पाण्डे आदि ने हर्ष व्यक्त करते हुए टीम की उपलब्ध्ाि पर बध्ााई दी है।
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ट्रायल देने आने वाली थी पर आई नहीं

पूर्ति के घर के बहार नेटबाल संघ के पदाधिकारी और खिलाड़ी. 
0 मैदान पर खिलाड़ी करते रहे इंतजार
0 उनकी जगह आई मौत की सूचना
0 शोक में डूबे नेटबाल खिलाड़ी, ट्रायल रद्द

रायपुर। 
सप्रे शाला मैदान पर छत्तीसगढ़ की जूनियर व सीनियर नेटबाल टीम चयन के लिए ट्रायल का आयोजन था। रविवार को सीनियर टीम का ट्रायल होना था। इसमें प्रदेश की नेशनल खिलाड़ी पूर्ति तिवारी हिस्सा लेने आने वाली थी। सभी खिलाड़ी मैदान पर उनका इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आई। उनकी जगह मौत की सूचना आई तो मैदान पर किसी को यकायक विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि पूर्ति शनिवार को भी जूनियर टीम के ट्रायल में आई थी और वह सीनियर टीम के चयन ट्रायल में हिस्सा लेने रविवार को सुबह 11 बजे मैदान पर आने की बात कहकर गई थी।
नेटबाल खिलाड़ी पूर्ति तिवारी 
उनकी मौत की सूचना मिलते ही सभी खिलाड़ी शोक में डूब गए। नेटबाल का ट्रायल रद्द कर दिया गया। सभी खिलाड़ी व नेटबाल संघ के पदाधिकारी तुरंत दावड़ा कालोनी उनके निवास पर गए तो वहां का गमगीन महौल देखकर सभी की आखें नम हो गईं। किसी को कुछ समझ ही नहीं आया कि शनिवार को ट्रायल में सबसे मिलकर आई मिलनसार खिलाड़ी अचानक आत्महत्या कैसे कर ली। पूर्ति ने असम नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली छत्तीसगढ़ टीम का प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा उन्होंने चार सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया था। नेशनल गेम्स में प्रदर्शन के आधार पर उन्हें शहीद राजीव पांडे अवार्ड से सम्मानित किया गया था। उत्कृष्ट खिलाड़ी के तहत सेल्स टैक्स विभाग दुर्ग में सहायक ग्रेड-दो के पद पर उनकी नियुक्त हुई थी। 

सबको हंसाने वाली रुलाकर चली गईछत्तीसगढ़ नेटबाल संघ के सचिव संजय शर्मा का कहा कि इस अप्रत्याशित घटना पर वे बेहद आहत हैं। पूर्ति हंसमुख व मिलसार लड़की थी। प्रदेश संघ ने एक बेहतर नेशनल खिलाड़ी खो दिया। उनकी भरपाई मुश्किल है। उनके साथी खिलाड़ी व प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रीति बंछोर का कहना है कि पूर्ति शनिवार को जब ट्रायल में आई थी तो हमेशा की तरह बेहद खुश थी। वे उनके बेहद क्लोज थीं और उन्होंने कभी भी उनको कोई प्राब्लम नहीं बताई। वे बेहद हेल्पिंग नेचर की थी। अपनी कामेडी से सबको हंसाते रहती थी, लेकिन वे आज सबको रुलाकर चली गई। उनके कोच सुधीर वर्मा ने कहा कि पूर्ति बेहद मिलनसार, लेकिन अनुशासित खिलाड़ी थी। पूर्ति पहले बास्केटबाल खेलती थी, लेकिन उपलब्धि नेटबाल में हासिल की। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर ही उनका चयन लगातार चार सीनियर नेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ। रविवार को भी वे सीनियर टीम के ट्रायल में हिस्सा लेने आने वाली थी, लेकिन अचानक यह घटना घट गई। 

नेटबाल संघ ने दी श्रद्धांजलि
पूर्ति के निधन पर छत्तीसगढ़ नेटबाल संघ ने शोक सभा आयोजित कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर संघ पदाधिकारी व खिलाड़ी मौजूद थे। संघ के सचिव संजय शर्मा ने बताया कि सीनियर टीम के रद्द ट्रायल बाद में आयोजित किया जाएगा।




राजदीप का गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बरकरार


0 जंप रोप स्कीपिंग में वर्ल्ड रिकार्ड के एक साल पूरे
रायपुर। एक साल बाद भी प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय जंप रोप खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बरकरार है। राजदीप ने पिछले साल 25  फरवरी को कलर्स टीवी पर प्रसारित कार्यक्रम 'गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड्स, अब इंडिया तोड़ेगा" में जापान की मेगुमी सुजुकी के 30 सेकंड में 154 स्किप्स के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए 30 सेकंड में 159 जंप कर भारत के नाम के साथ ही छत्तीसगढ़ के खेल जगत का नाम भी विश्व पटल पर अंकित किया था।
 राजदीप को पिछले साल अगस्त में चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित सीसीटीवी के कार्यक्रम में सम्मान के लिए आमंत्रित किया गया था। यहां भी जापान की मेगुमी सुजुकी ने पुन: राजदीप सिंह के 30 सेकंड में 159 के रिकॉर्ड को सीसीटीवी के कार्यक्रम 'जंग डा जोंग यी" में तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रही। राजदीप ने वहां नया गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड रोलर स्केट्स पहनकर 30 सेकंड में 111 जंप का भी रिकार्ड बनाया। यह रिकार्ड भी अभी सुरक्षित है। 
  पहली वर्ष गाथ पूरी करने पर बधाई देने वालो में छत्तीसगढ़ प्रदेश प्लाम्पिक ससंघ के महासचिव श्री बलदेव सिंह भाटिया, श्री परमजीत सिंह दत्ता, कोशाध्यक्ष्य श्री विष्णु श्रीवाश्तव,त्रय्लाथान के महासचिव श्री अलोक दुबे, कोशाध्यक्ष्य संदीप गोविलकर, छत्तीसगढ़ जम्प रोपे संघ के महासचिव श्री अखिलेश दुबे, कोशाध्यक्ष्य श्री संजय शुक्ला, उपाध्याक्ष्य उमेश सिंह ठाकुर, सुधीर पिल्लै, वरुण पाण्डेय(टेबल साकार महासचिव), क्लुस्टर के रोहित श्रीवास्तव आदि ने बधाई दी |
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राजदीप सिंह एवं साउथ एशियन पदक वीरों का हुआ सम्मान 
सम्मानित हुए जम्प रोप के खिलाड़ी. 
० जम्प रोप संघ ने मनाया पालक स्नेह सम्मलेन 
जम्प रोप खिलाड़ी एवं उनके अभिभावक. 
26  फरवरी रविवार जम्प रोप संघ एवं पलक प्रकोष्ठ के संयुक्त आयोजन में राजदीप सिंह के गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के एक वर्ष पूर्ण होने पर एवं प्रथम साउथ एशियन चैम्पियनशिप में ऐतिहासिक प्रदर्शन कर भरत के लिए पदक जितने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश जम्प रोप खिलाडियों का सम्मान उनके पलको की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ प्रदेश ओलंपिक संघ के कोशाध्यक्ष्य श्री विष्णु श्रीवास्तव एवं प्रशांत रघुवंशी, स्कूल शिक्षा विभाग के डिप्टी डिरेक्टर ऑफ़ स्पोर्ट्स (DPI) श्री एस आर कर्ष के हाथो सम्मान हुआ | अपने उद्बोधन में श्री विष्णु जी ने कहा की खेल के च्चेत्र में एवं खेल संघो के इतिहास में एक नविन परम्परा की शुरुवात हुई की खिलाडियों का उत्साह बढ़ने के सभी खिलाडियों के परिवार के लोगो ने सामूहिक आयोजन करके और खेल - खिलाडी, खेल संघ और उनके परिवार के साथ मजबूत संबंधो को और मजबूत बनता है | श्री एस आर कर्ष जी ने सभी सफल पदक विजेता खिलाडी एवं उनके पलको को उनके अथक प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी | 
सर्वप्रथम बच्चो ने केक काट कर अपने सफलता के  उत्सव का आगाज किया, डीजे के मधुर संगीत पर खूब थिरके | छत्तीसगढ़ प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव श्री बलदेव सिंह भाटिया जी ने सभी पदक विजेता खिलाडियों को उनकी उप्लाद्धि पर हार्दिक शुभकामनाये दी | इस अवसर पर श्री बलवीर सिंह हरगोत्रा, दीपक बित्तुर्वार, बप्पी भट्टाचार्य, श्याम मोह्दिकर, नवनीत झा, प्रकाश वजरे, प्रवीण त्रिपाठी, रोहित श्रीवास्तव(क्लस्टर) आदि उपस्थित थे |

Tuesday 21 February, 2012

जंप रोप में छत्तीसगढ़ ने जीते सात स्वर्ण समेत 22 पदक


0 12 रजत और तीन कांस्य पदक भी मिले
0 औरंगाबाद में हुई 8वीं जूनियर व सीनियर नेशनल चैंपियनशिप

रायपुर।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई 8वीं जूनियर एवं सीनियर नेशनल जंप रोप चैंपियनशिप में छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सात स्वर्ण, 12 रजत व तीन कांस्य समेत कुल 22 जीते।
छत्तीसगढ़ जंप रोप एसोसिएशन के सचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि प्रदेश को जूनियर वर्ग में पहला स्वर्ण अभिजीत मोहिदकर ने 30 सेकंड स्पीड में दिलाया। दूसरा स्वर्ण डबल अंडर में जीता। साथ ही फ्री-स्टाइल और एंड्युरेंस तीन मिनट में रजत पदक हासिल किया। टीम के रक्षक वजरे को अंडर 20 आयु वर्ग में 30 सेकंड स्पीड में रजत पदक ,  तीन मिनट एंड्युरेंस में रजत व डबल अंडर में कांस्य पदक मिला। 20 वर्ष से कम आयु वर्ग के टीम इवेंट स्पीड रिले में दिव्यांश झा, प्रतीक राठौड़, हिमांशु बितुरवार व अमन ध्रुव ने रजत एवं डबल अंडर रिले में रजत पदक पर कब्जा किया। डबल डच स्पीड रिले में अभिजीत मोहिदकर, रक्षक वजरे, हिमांशु बितुरवार ने स्वर्ण पदक जीता। साथ ही डबल डच पैर्स रिले में अभिजीत, हिमांशु, रक्षक एवं दिव्यांश झा की टीम ने रजत पदक हासिल किया। डबल डच फ्री-स्टाइल में इस जोड़ी ने 15 अंकों के साथ स्वर्ण पदक पर कब्जा किया।
जूनियर वर्ग में 14 राज्यों के बीच हुए टीम डेमो स्पर्धा में छत्तीसगढ़ की टीम ने शानदार संगीतमय प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक हासिल किया। जूनियर टीम में अभिजीत मोहिदकर, रक्षक वजरे, हिमांशु बितुरवार, अमन ध्रुव, उत्कर्ष त्रिपाठी, प्रतीक राठौड़, यश राज सिंह, रितेश जोशी, आकाश साहू, मयंक लहरें व दिव्यांश झा शामिल हैं।
सीनियर वर्ग में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा के नेतृत्व में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। सीनियर वर्ग का पहला पदक सलज जैन ने तीन मिनट एंड्युरेंस में रजत पदक जीता। राजदीप के नेतृत्व में टीम इवेंट की स्पीड रिले में अभिजीत, रक्षक व अंकित तिग्गा ने रजत पदक एवं डबल अंडर रिले में रजत पदक जीता। डबल डच स्पीड रिले में राजदीप सिंह ने अभिजीत एवं रक्षक के साथ मिलकर स्वर्ण पदक हासिल किया। साथ ही डबल डच पैर्स रिले में राजदीप सिंह ने अभिजीत, रक्षक व अंकित तिग्गा के साथ रजत पदक जीता एवं डबल डच फ्री-स्टाइल में सर्वाधिक 15 अंक अर्जित कर स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
बालिकाओं ने स्वर्ण व कांस्य जीते
सीनियर बालिका वर्ग में सिदरा फातमा, तुर्षा रजवाड़े, अंजलि शर्मा, सुष्मिता पटेल की टीम ने स्पीड रिले में एक मात्र कांस्य पदक हासिल किया। सीनियर वर्ग की टीम डेमो स्पर्धा में संगीतमय रोप के साथ जंप की सभी स्किल का प्रयोग करते हुए स्वर्ण पदक जीता।
जंप रोप खिलाड़ियों की उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ ओलिंपिक संघ के महासचिव बलदेव सिंह भाटिया समेत प्रदेश जंप रोप के पदाधिकारियों हर्ष व्यक्त करते हुए भविष्य में भी बेहतर प्रदर्शन की कामना की है।
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राजदीप फेडरेशन के तकनीकी अधिकारी नियुक्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय जंप रोप खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा को भारतीय जंप रोप महासंघ ने तकनीकी अधिकारी नियुक्त किया है। उन्हें देशभर में प्रशिक्षक तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है।
छत्तीसगढ़ जंप रोप संघ के सचिव अखिलेश दुबे ने बताया कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई 8वीं राष्ट्रीय जूनियर एवं सीनियर जंप रोप चैंपियनशिप के दौरान फेडरेशन की वार्षिक बैठक आयोजित की गई। इसमें फेडरेशन की महासचिव सुनीता जोशी ने वर्ष 2011-12 का वार्षिक आय-व्यय प्रस्तुत किया। साथ ही वर्ष 2012-13 के लिए आवश्यक निर्णय लिए गए। इसके तहत 9वीं सब-जूनियर चैंपियनशिप उत्तरप्रदेश, जूनियर प्रतियोगिता हरियाणा तथा सीनियर राष्ट्रीय जंप रोप चैंपियनशिप की मेजबानी तमिलनाडु को सौंपी गई।
जंप रोप संघ के विभिन्ना प्रदेशों से आए सचिवों के मध्य दिल्ली के उपाध्यक्ष राजेश तोमर ने तकनीकी समिति बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन कर्नाटक के सचिव टीए रजाक ने किया। इस समिति का कार्य राष्ट्रीय स्पर्धा का संचालन एवं पूरे देश में जंप रोप के रेफरी सेमिनार एवं प्रशिक्षक तैयार करना होगा। इसमें नार्थ जोन से पंजाब के राजेश थापा, साउथ जोन से कर्नाटक के चंद्रू, ईस्ट जोन से मणिपुर के श्याम कुमार, वेस्ट जोन से महाराष्ट्र के विक्रम दुधारे एवं सेंट्रल जोन से छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजदीप सिंह हरगोत्रा को तकनीकी अधिकारी नियुक्त किया गया। समिति के चेयरमैन उत्तरप्रदेश के अभिषेक जोशी को बनाया गया है।