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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Monday 24 December, 2012

क्रिकेट के 'भगवान' को वनडे से दिया संन्यास


सचिन के बजाय बीसीसीआई ने की घोषणा !
मुंबई, 23 दिसंबर, 2012। दुनिया में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने 23 दिसंबर रविवार को वनडे मैचों से अपने संन्यास की घोषणा कर दी है, लेकिन संन्यास की घोषणा सचिन के बजाय बीसीसीआई ने की। इससे पहले उनके पाकिस्तान के साथ होने वाली सीरीज में खेले जाने को लेकर अटकलें लग रही थीं। अचानक सचिन के संन्यास की खबर सुनकर पूरा देश सन्न रह गया। सभी को उम्मीद थी कि सचिन भारत-पाकिस्तान सीरीज जरूर खेलेंगे। उन्होंने इच्छा भी जाहिर की थी, लेकिन बीसीसीआई ने 'भगवान' पर भरोसा नहीं किया और जल्दबाजी में उनके संन्यास की घोषणा कर दी। सचिन ने अभी तक 463 वनडे मैच खेले जिसमें उन्होंने 18426 रन बनाए। इसमें उन्होंने 49 शतक 96 हाफसेंचुरी लगाई। उन्होंने अपने संन्यास की बात बीसीसीआई चेयरमेन एन श्रीनिवासन से की है। पिछली कुछ सीरीज से उनकी खराब फार्म के चलते उनपर संन्यास लेने को लेकर दबाव भी बन रहा था। उन्होंने ढाका में आखिरी वनडे खेला था। 1989 में पहली बार वह पाकिस्तान के खिलाफ मैदान पर दिखाई दिए थे। उस वक्त सचिन की उम्र महज 16 साल की थी। उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि छोटा सा दिखने वाला यह बच्चा आगे जाकर क्रिकेट का भगवान कहलाने लगेगा और बड़े से बड़ा गेंदबाज उसके सामने गेंद फेंकने से डरेगा।
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मास्टर के बेमिसाल कीर्तिमानों में से कुछ बेमिसाल क्षण..
मुंबई। सचिन तेंदुलकर ने अब वनडे क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। लेकिन पिछले 23 सालों से उनके बल्ले से निकले ढेरों रिकॉर्ड लंबे समय तक उनकी याद दिलाएंगे। 50-50 ओवर के इस प्रारूप में उन्होंने 49 शतकों के साथ 18 हजार से ज्यादा रन बनाए हैं जो उनके कई दुर्लभ कीर्तिमानों में से एक है।
दुनियाभर के मैदानों पर रचे गए मास्टर ब्लास्टर की ढेरों कीर्तिमानों में से कुछ चुनिंदा पलों को याद करने की कोशिश की गई। जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है...

हीरो कप, 1993 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ]

दक्षिण अफ्रीका को भारत के खिलाफ इस मैच में जीतने के लिए अंतिम ओवर में छह रन की और जरूरत थी। आखिरी ओवर सचिन तेंदुलकर ने किया और महज तीन ही रन दिए जिससे भारत ने यह मुकाबला आसानी से जीत लिया।

बतौर ओपनर, 1994 [न्यूजीलैंड के खिलाफ]

तेंदुलकर इस समय टीम इंडिया के उपकप्तान थे और टीम नियमित ओपनर नवजोत सिंह सिद्धू के गर्दन की नस खींच गई थी ऐसे में मास्टर ब्लास्टर ने कप्तान अजहर और कोच अजित वाडेकर से अनुरोध किया कि उन्हें एक मौका दिया जाए। और कहा कि मैं शुरुआती 15 ओवर में बड़े शॉट खेल सकता हूं। अगर मैं असफल होता हूं तो आपके पास कभी नहीं आऊंगा। इस मैच में उन्होंने विस्फोटक बल्लेबाजी करते हुए 49 गेंदों में शानदार 82 रनों की पारी खेली थी।

टाइटन कप, 1996 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ]

दक्षिण अफ्रीका टूर्नामेंट में शानदार खेल रहा था और उससे पार पाने की टीम इंडिया ने अपनी नई योजना बनाई। बतौर कप्तान सचिन तेंदुलकर ने आन साइड में पांच क्षेत्ररक्षक तैनात कर दिया। उन्होंने रोबिन सिंह से धीमी गेंद करने को कहा और सुझाव दिया कि गेंद आन साइड पर ही रखे। इस तरह से लो स्कोरिंग मैच में उन्हें शानदार जीत मिली।

सहारा कप, 1997 [पाकिस्तान के खिलाफ]

पाक के खिलाफ इस चर्चित वनडे सीरीज में टीम इंडिया के तीन मुख्य गेंदबाज अनिल कुंबले, जवागल श्रीनाथ और वेंकटेश प्रसाद नहीं खेल रहे थे और नए खिलाडि़यों अभय कुरुवीला, हरविंदर सिंह और देवाशीष मोहंती के दम पर शानदार प्रदर्शन करते हुए चिर-प्रतिद्वंद्वी टीम को 4-1 से हरा दिया।

शारजाह में दो शतक, 1998 [ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ]

तेंदुलकर इस समय अपने क्रिकेट करियर की ऊंचाई पर थे और उन्होंने मैदान पर विपक्षी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाकर अपने प्रशंसकों का जमकर मनोरंजन कराया। शरजाह में त्रिकोणीय सीरीज के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 283 रन बनाए। इस मैच में भारत पर फाइनल की पात्रता हासिल करने का दबाव था। चार विकेट लगातार अंतराल पर गंवाने के बाद सचिन के साथ वीवीएस लक्ष्मण क्रीज पर थे और इस समय भारत को करीब छह की औसत से रनों की जरूरत थी। इस बीच तेज आंधी के कारण करीब आधे घंटे का खेल रोका गया। भारत को 46 ओवरों में 237 का संशोधित लक्ष्य मिला और जीत के लिए 87 गेंदों पर 94 रनों की जरूरत थी। मैदान जाते ही सचिन ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जो धुनाई की उसे आज भी याद किया जाता है। वह 143 रन बनाकर आउट हुए, लेकिन उससे पहले टीम को फाइनल के लिए क्वालीफाई करवा दिया। भारत 20 रनों से मैच हार गया लेकिन रन रेट के आधार पर उसने न्यूजीलैंड को पछाड़ दिया। इसके बाद उन्होंने फाइनल में भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जोरदार शतक लगाया।

विश्व कप, 1999 [पाकिस्तान के खिलाफ]

इस पारी की बदौलत भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ अपराजेय रहने का रिकॉर्ड बरकरार रखा। पाक ने विश्व कप के इस लीग मैच में सात विकेट पर 273 रन बनाए। सईद अनवर ने शतक (101) बनाया। 274 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सचिन ने पाक गेंदबाजों पर शुरुआत से ही आक्रमण बोल दिया। उन्होंने 75 गेंदों पर 12 चौकों और एक छक्के से 98 रन बनाए थे। उनकी पारी का एकमात्र छक्का शोएब अख्तर की गेंद पर लगाया था, जिसे बाद में शॉट ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। वह इस मैच में मैन ऑफ द मैच रहे और बाद में मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी बनें।

वनडे सीरीज, 2004 रावलपिंडी 2004 [पाकिस्तान के खिलाफ]

यह वह दौर था जब लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि सचिन में अब आक्रामकता खत्म हो चुकी है। पाक ने यासिर हमीद (86) और शाहीद आफरीदी (80) की पारियों से छह विकेट पर 329 रन बनाए। 330 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए सचिन ने 135 गेंदों पर 17 चौकों और एक छक्के से 141 रन बनाए। उन्हें शोएब मलिक की गेंद पर अब्दुर रज्जाक ने लपका। जब तक तेंदुलकर क्रीज पर थे उस समय तक मैच भारत के कब्जे में लग रहा था लेकिन उसे 12 रनों से हार का सामना करना पड़ा।

वनडे सीरीज 2009 [ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ, 175 रन]

सात मैचों की सीरीज का यह पांचवां मैच था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए शॉन मार्श के शतक (112) से चार विकेट पर 350 रन बनाए। जवाब में सचिन तेंदुलकर ने वीरेंद्र सहवाग (38) के साथ सधी शुरुआत की। लेकिन मध्यक्रम लड़खड़ा गया। 36 साल के तेंदुलकर ने सुरेश रैना (59) के साथ पांचवें विकेट के लिए 137 रन और रवींद्र जडेजा (23) के साथ सातवें विकेट के लिए 32 रन जोड़ते हुए टीम को मैच में बनाए रखा। अहम मौके पर सचिन क्लाइंट मैके का शिकार बने। आउट होने से पहले उन्होंने 175 रनों की दमदार पारी खेलकर भारत को जीत दिलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन भारत यह मैच तीन रन से हार गया।

वनडे सीरीज, 2010 [दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ, 200* रन]

सचिन तेंदुलकर की यह पारी वनडे इतिहास की सबसे यादगार पारियों में दर्ज है। वनडे इतिहास में पहला दोहरा शतक और वह भी विश्व के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के सामने। तेंदुलकर ने डेल स्टेन, वेन पर्नेल, जैक्स कैलिस जैसे गेंदबाजों की धज्जियां उड़ाते हुए 147 गेंदों पर नाबाद 200 रन बनाए। वह भारत की पूरी पारी के दौरान मैदान पर खड़े रहे। भारत ने तीन विकेट खोकर 401 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर ख़़डा किया। जवाब में दक्षिण अफ्रीकी टीम 42.5 ओवरों में 248 रन पर सिमट गई।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक, 2012 [बांग्लादेश के खिलाफ]

मास्टर ब्लास्टर ने इसी साल 16 मार्च को बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप में शानदार शतक लगाकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक लगाने का कारनामा अपने नाम कर लिया। उन्होंने यह शतक जमाकर न सिर्फ सौ शतकों का कारनामा कर दिखाया बल्कि टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले सभी देशों के घर में टेस्ट व वनडे में शतक लगाने वाले एकमात्र बल्लेबाज बन गए। हालांकि उनकी शतकीय पारी के बावजूद टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था।
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सचिन रिकार्ड तेंदुलकर का यादगार सफर
1989: सोलह बरस के सचिन तेंदुलकर ने पाकिस्तान के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करते हुए श्रीकांत की कप्तानी वाली टीम में छह पारियों में देश के लिए दो अर्धशतक बनाए।

1990:
तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट शतक [नाबाद 119] ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ जमाया।

1993: भारतीय सरजमीं पर अपना पहला टेस्ट शतक [163] तेंदुलकर ने चेन्नई में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया।

1994: सचिन ने अपना पहला वनडे शतक अपने 79वें मैच में कोलंबो में आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिंगर कप में बनाया।

1996: भारतीय उपमहाद्वीप में हुए विश्व कप में सचिन ने दो शतक सहित 523 रन बनाए। इसी साल तेंदुलकर की कप्तानी में ही भारत ने आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को हराकर टाइटन कप जीता।

1997: टोरंटो में पाकिस्तान के खिलाफ सहारा कप में 4-1 से जीत दर्ज की। इसी साल सचिन सर्वश्रेष्ठ विजडन क्रिकेटर चुने गए।

1998: आस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 155 रन चेन्नई में बनाए जिससे भारत ने 179 रन से जीत दर्ज की।

2001: वनडे में दस हजार रन बनाने वाले विश्व के पहले बल्लेबाज बने।

2002:
सचिन ने पोर्ट आफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ 117 बनाकर सर डॉन ब्रेडमैन के 29 टेस्ट शतक की बराबरी की और फिर इंग्लैंड के खिलाफ 193 बनाकर ब्रेडमैन के रिकार्ड को पार किया।

2003: आईसीसी विश्व कप के 11 मैचों में 673 बना कर टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने।

2004: सुनील गावस्कर के 34 शतक के रिकार्ड की बराबरी करने वाले विश्व के पहले खिलाड़ी बने। 50 मैन ऑफ द मैच हासिल करने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने।

2005: टेस्ट क्रिकेट में 122वें मैच में दस हजार रन पूरे किए।

2006: वनडे में 14 हजार रन पूरे कर नया विश्व रिकार्ड बनाया। 40वां शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ कुआलालंपुर में पूरा किया।

2007: 400वां वनडे मैच खेला।

2008: वनडे में 16 हजार रन बनाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने। इसी साल टेस्ट क्रिकेट में ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

2009: हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन बनाए और 17 हजार वनडे रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने।

2010: वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने और स्टीव वॉ के 168 टेस्ट खेलने के रिकॉर्ड को पार किया।

2011: विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ पहला मैच खेलने के साथ ही वह सबसे ज्यादा वनडे खेलने वाले खिलाड़ी बने और सनथ जयसूर्या के 444 मैचों के रिकार्ड को पीछे छोड़ा।

2011: विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। भारत के लिए विश्व कप में सबसे ज्यादा 482 रन बनाने वाले बल्लेबाज बने।

2012: एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ 114 रन बनाकर अपना अंतरराष्ट्रीय करियर का सौवां शतक पूरा किया। साल के आखिरी महीने में उनके करियर में पहली बार संन्यास शब्द आया।
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