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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Friday 11 October, 2013

क्रिकेट के 'भगवान' ने टेस्ट क्रिकेट को भी कहा अलविदा

0 14 नवंबर को मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलेंगे अपना आखिरी टेस्ट
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2013। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की एक विज्ञप्ति में अपने संन्यास की घोषणा की। अभी तक अटकलें लग रही थी कि सचिन इस सीरीज के बाद भी खेलते रहेंगे लेकिन टेस्ट तथा वनडे में सर्वाधिक मैचों, रनों एवं शतकों के विश्व रिकार्डधारी ने यह घोषणा कर इन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। 14 नवंबर को अपने देश में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलेंगे। मैच का वेन्यू अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह ऐतिहासिक मैच सचिन के गृहनगर मुंबई में खेलेंगे।
सचिन ने अपने संन्यास की चौंकाने वाली घोषणा करते हुए कहा कि मैंने अपने पूरे जीवन में देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा था। पिछले 24 वर्षों में मैं रोजाना इसी सपने के साथ जिया था। मेरे लिए इस बात की कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है कि क्रिकेट के बिना मेरा जीवन कैसा होगा।
वर्ष 1989 में अपना करियर शुरू करने के बाद पूरी दुनिया को अपनी बल्लेबाजी से चमत्कृत करने वाले और क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज सर डान ब्रैडमैन को अपना मुरीद बनाने वाले सचिन ने कहा कि मेरे लिए क्रिकेट के बिना खुद को महसूस कर पाना भी बहुत मुश्किल होगा क्योंकि 11 वर्ष की उम्र से मैं यही करता आ रहा हूं।

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले 40 वर्षीय सचिन ने कहा कि देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान था। मुझे घरेलू जमीन पर 200वां टेस्ट खेलने का इंतजार है। जिसके बाद मैं संन्यास ले लूंगा।
सचिन ने गत वर्ष दिसंबर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा से पहले वनडे से संन्यास ले लिया था। सचिन ने इस वर्ष अपनी टीम मुंबई इंडियन्स को आईपीएल छह जीतने के बाद आईपीएल को और हाल में चैंपियन्स लीग जीतने के बाद ट्वंटी-20 को अलविदा कह दिया था।
क्रिकेट के बेताज बादशाह ने देश की सर्वोच्च क्रिकेट संस्था बीसीसीआई को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं बीसीसीआई को इतने वर्षों में मुझे दिए गए समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं कि उसने मुझे तब संन्यास लेने की अनुमति की जब मेरे दिल ने यह फैसला किया।
सचिन ने साथ ही कहा कि मैं अपने परिवार का उनके धैर्य और समझ के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। मैं अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने अपनी प्रार्थनाओं और दुआओं से मुझे मैदान में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ताकत दी।
वर्ष 1989 में 15 नवंबर को कराची में पाकिस्तान के खिलाफ 16 वर्ष की मासूम उम्र में अपना अन्तर्राष्ट्रीय करियर शुरू करने वाले सचिन ने हाल ही में चैंपियन्स लीग के दौरान 50 हजार रन पूरे किए थे। उन्होंने अब तक 198 टेस्टों में 53.86 के औसत से 15837 रन बनाए हैं जिनमें विश्व रिकार्ड 51 शतक और 67 अर्धशतक शामिल हैं।
उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 248 रन है। सचिन ने 463 वनडे मैचों में 44.83 के औसत से 18426 रन बनाए हैं जिनमें विश्व रिकार्ड 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं। वह वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं।
सचिन दोनों तरह की क्रिकेट में शतकों का महाशतक बनाने का अद्भुत कारनामा किया है। सचिन ने अपना पिछला टेस्ट मार्च 2013 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। उनका आखिरी वनडे गत वर्ष 18 मार्च को ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ था। अपने करियर में सचिन ने मात्र एक ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था।
क्रिकेट इतिहास के सबसे संपूर्ण बल्लेबाज माने जाने वाले सचिन को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न (1997-98), अर्जुन पुरस्कार (1994), पद्मश्री (1999) और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया जा चुका है। सचिन के लिए ही देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के नियमों में संशोधन कर इसमें खिलाड़ियों के वर्ग को भी शामिल किया गया था। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के साथ सचिन भारत रत्न पाने के सबसे बड़े प्रबल दावेदार है। क्रिकेट के बाइबल विजडन में वर्ष 2002 में सचिन को ब्रैडमैन के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाज और विवियन रिचर्ड्स के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ वनडे बल्लेबाज आंका था।
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नवम्बर-दिसम्बर और दस का दिलचस्प संयोग

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2013। क्रिकेट के बादशाह सचिन तेंदुलकर के 24 वर्षों के शानदार करियर में नवम्बर और दिसम्बर महीने तथा दस की संख्या का दिलचस्प संयोग रहा। सचिन के गुरुवार को घोषणा की कि वह नवम्बर में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।
टेस्ट और वनडे के विश्व रिकार्डधारी सचिन ने 16 वर्ष की उम्र में अपना टेस्ट करियर 15 नवम्बर 1989 को कराची में पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किया था और वह नवम्बर 2013 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेंगे। यानी उनका टेस्ट पदार्पण और संन्यास का एक ही महीना नवम्बर रहेगा।
सचिन ने अपने वनडे करियर की शुरुआत 18 दिसम्बर को गुजरांवाला में पाकिस्तान के खिलाफ की थी और वनडे से संन्यास भी उन्होंने दिसम्बर में ही लिया। मास्टर ब्लास्टर ने गत वर्ष दिसम्बर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले वनडे से अपने संन्यास का ऐलान किया था। हालांकि सचिन ने अपना आखिरी वनडे मार्च 2012 में खेला था, लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट से उन्होंने संन्यास दिसम्बर में लिया। सचिन के लिए दस की संख्या बेहद शुभ है। वह वनडे में दस की जर्सी पहनकर खेला करते थे और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान उन्होंने जिस तारीख को किया वह 10 अक्टूबर है। यानी अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा तारीख के लिए उन्होंने अपनी पसंदीदा दस की संख्या चुनी।
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10 सबसे यादगार पारियां
 
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर, 2013।
भारत में धर्म बन चुके क्रिकेट के भगवान, साथी खिलाड़ियों के पाजी और विपक्षी टीम के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपनी 24 साल पुरानी क्रिकेट पारी को अलविदा कहने का दिन तय कर दिया है। वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले अपने 200वें टेस्ट के बाद वह क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।
लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर बताया कि 14 नवंबर को वेस्टइंडीज के साथ अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह अपनी 24 साल की ‘टेस्ट पारी’ घोषित कर देंगे।
बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने सचिन की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें इस बात का जिक्र है। बीसीसीआई को लिखे एक पत्र में सचिन ने बीसीसीआई को करियर के दौरान समर्थन और अपनी पसंद से सन्यास के लिए समर्थन देने का भी धन्यावाद दिया है। हालांकि लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझने के कारण सचिन तेंदुलकर पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव था। खासकर युवा खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन करके उनपर दबाव बना रहे थे।
तेंदुलकर ने संभावना जताई है कि वह अपना अंतिम टेस्ट घरेलू मैदान मुंबई पर खेलेंगे। हालांकि कोलकाता का ईडन गार्डंस भी इस ऐतिहासिक मैच की मेजबानी का प्रबल दावेदार है। बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दो टेस्ट स्थलों की घोषणा नहीं की है। बहरहाल, सचिन के इस फैसले के बाद जहां उनके प्रशंसकों ने अफसोस जताया है, वहीं पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने सही समय पर लिया गया निर्णय करार दिया है।
क्रिकेट का भगवान...मास्टर ब्लास्टर...छोटा बाबू...नाम अनेक पर शख्स एक। जी, हम बात कर रहे हैं सचिन तेंदुलकर की। आइये आपको बताते हैं चालीस साल के सचिन की दस पारियां, जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा बेमिसाल रहेंगी।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एक ऐसा मशहूर नाम है, जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में जन्मा टीम इंडिया का यह सितारा इस उम्र में भी दनादन रन बरसाने के लिए बेचैन रहता है। क्रिकेट में ऐसा कोई भी बड़ा रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें इस महान बल्लेबाज का नाम शामिल न हो। भारत को कई मैचों में जीत दिलाने वाले इस सितारे ने पिछले साल दिसंबर में अचानक ही वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इनका जलवा अभी भी बरकरार है।

1. सिडनी टेस्ट

ऑस्ट्रेलिया के महान फिरकी गेंदबाज शेन वार्न के सपने में आकर डराने वाले तेंदुलकर ने उनके पहले ही टेस्ट मैच में भी यादगार पारी खेली। 1991-92 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच (सिडन) में उन्होंने 148 रनों की नाबाद पारी खेली। इस टेस्ट में 206 रन बनाने वाले रवि शास्त्री के साथ उन्होंने 196 रनों की साझेदारी भी की, जिसके दम पर भारत लगातार दो मैच में मिल रही हार का सिलसिला तोड़ पाया।

2. फरवरी 1990

तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्गगाह कहे जाने वाले न्यूजीलैंड में फरवरी, 1990 में तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में खेली गई। सीरीज का दूसरा मैच नेपियर में खेला गया और यह मैच बारिश से खासा प्रभावित रहा, जिससे मैच ड्रा हो गया, लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने इस मैदान पर 88 रनों की उम्दा पारी खेली। अब तक छह टेस्ट मैच खेल चुके सचिन की यह अर्धशतकीय पारी उस समय तक उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारी थी।

3. 1992-93

इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई और उसे सभी तीनों मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा। सीरीज का दूसरा मैच चेन्नई के चेपक मैदान पर खेला गया और इस मैच में सचिन ने पहली पारी में 296 गेंदों में 165 रनों की लाजवाब पारी खेली, जिसके दम पर भारत ने 560 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके बाद भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने इंग्लिश बल्लेबाजों को इस कदर नचाया कि दोनों पारियों में वह भारत के बराबर स्कोर नहीं बना सके और मेहमान टीम को पारी और 22 रनों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

4. 22 अप्रैल, 1998
शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए 143 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। भारत के सामने उस मुकाबले को जीतने के लिए 285 रनों का लक्ष्य था, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 254 रन बनाने जरूरी थी। उसी बीच धूल भरी आंधी के कारण खेल को करीब 25 मिनट रोकना पड़ा। उसके बाद लक्ष्य फिर से निर्धारित किया गया। इस बार 46 ओवरों में जीत के लिए 276 रनों का लक्ष्य दिया गया, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 237 रन निर्धारित किए गए। भारत वह मैच तो नहीं जीत सका, लेकिन सचिन तेंदुलकर द्वारा 131 गेंदों में बनाए गए 143 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने 46 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 250 रन बनाए और न्यूजीलैंड को पछाड़कर फाइनल में अपनी जगह पक्की की।

5. 24 अप्रैल, 1998
कोका कोला कप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए 134 रनों का कोई जवाब नहीं। उस यादगार पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया था। सचिन ने अपनी पारी में 12 चौके और 3 छक्के लगाए थे। ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की नजर में भी यह पारी सचिन की सबसे यादगार पारियों में से एक है।

6. 1 मार्च, 2003
विश्व कप क्रिकेट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा 75 गेंदों में बनाए गए 98 रनों की याद आज भी ताजा है। उस मुकाबले में सचिन शतक से महज 2 रन दूर रह गए, लेकिन शोएब अख्तर की गेंद पर बैकवर्ड प्वाइंट क्षेत्र में लगाया गया शानदार छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के लंबे छक्कों में से एक है। भारत ने 26 गेंद शेष रहते वह मुकाबला 6 विकेट से अपने नाम किया था।

7. जनवरी, 2004
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में सिडनी में सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए नाबाद 241 रन उनकी बेहतरीन यादगार पारियों में से एक है। सचिन तेंदुलकर ने 613 मिनट तक 436 गेंदों का सामना कर 33 चौकों की मदद से नाबाद 241 रन बनाए थे।

8. 5 नवंबर, 2009

अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 141 गेंदों में बनाए गए 175 रन यादगार पारियों में से एक है। हालांकि उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 351 रनों के लक्ष्य को टीम इंडिया हासिल नहीं कर सकी और महज 3 रन से मैच हार गई, लेकिन सचिन तेंदुलकर की जबरदस्त पारी ने उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिलवाया। सचिन ने उस मैच में 19 चौके और 4 छक्के लगाए थे।

9. 24 फरवरी, 2010
ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने वो कारनामा किया, जिसका इंतजार विश्व क्रिकेट को जमाने से था। सचिन ने नाबाद 200 रनों की पारी खेली और वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर बने। सचिन ने सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौके और 3 छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए।

10. 30 मार्च, 2011
विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल मुकाबले में सचिन तेंदुलकर द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बनाए गए शानदार 85 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। मोहाली में खेले गए उस हाई वोल्टेज मुकाबले में सचिन ने 115 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 85 रन बनाए थे, जिसकी बदौलत टीम इंडिया निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बना सकी। भारत ने वह मुकाबला 29 रन से जीता और सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
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तेंदुलकर आनलाइन पोल में ब्रैडमैन से आगे
 





लंदन, 10 अक्टूबर 2013। सचिन तेंदुलकर को एक अंग्रेजी अखबार के आनलाइन पोल में सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में डान ब्रैडमैन और ब्रायन लारा से ऊपर शीर्ष स्थान मिला है। इस भारतीय महान बल्लेबाज ने आज टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।
द टेलीग्राफ ने अपने पाठकों से 10 बल्लेबाजों से सर्वश्रेष्ठ को चुनने को कहा, जिसमें तेंदुलकर, ब्रैडमैन, लारा, विवियन रिचर्ड्स, रिकी पोंटिंग, गैरी सोबर्स, जाक कैलिस, लेन हटन, राहुल द्रविड़ और एलेन बोर्डर शामिल थे। भारतीय समयानुसार शाम साढ़े आठ बजे तक 2108 मत पड़े थे जिसमें तेंदुलकर को 1,146 वोट (54.36 प्रतिशत) मिले। वह ब्रैडमैन से आगे रहे जिन्हें 558 (26.47 प्रतिशत) मत मिले। लारा और रिचर्ड्स क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
इस अखबार ने हालांकि कहा कि तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में किसी भी अन्य खिलाड़ी से ज्यादा रन और शतक जुटाए हों लेकिन वह आईसीसी की करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग में शीर्ष 10 में जगह नहीं बना सके जिसकी पेचीदा गणना खिलाड़ियों को उनकी उनकी फार्म में हासिल उपलब्धियों से रैंकिंग देती है।
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सचिन को भारत रत्न मिलना चाहिये : अनुराग ठाकुर
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2013।
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से नवाजने की मांग करते हुए बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि वह इसकी सिफारिश खेल मंत्रालय से करने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे।
तेंदुलकर ने गुरुवार को घोषणा की कि वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने उनका 200वां टेस्ट करियर का आखिरी टेस्ट भी होगा।
हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद ठाकुर ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और देश के करोड़ों युवा सचिन तेंदुलकर से प्रेरणा लेते हैं। वह सिर्फ मैदान पर टूर्नामेंट जिताने के लिए नहीं जाने जाते बल्कि मैदान के बाहर भी अपने आचरण से युवाओं के रोलमॉडल हैं। अब उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा कर दी है तो सरकार को खुद पहल करते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सचिन सही मायने में भारत रत्न के हकदार हैं और उन्हें यह सम्मान देने में देर नहीं की जानी चाहिए। बीसीसीआई को भी उनके नाम की सिफारिश खेल मंत्रालय से करनी चाहिए और मैं खुद बोर्ड अध्यक्ष एन.श्रीनिवासन को आज इस बारे में पत्र लिखूंगा। बोर्ड की अगली बैठक में भी यह मसला उठाउंगा।
तेंदुलकर के विदाई टेस्ट की तैयारियों के बारे में पूछने पर ठाकुर ने कहा कि इस बारे में फैसला मंगलवार को टूर और फिक्चर्स समिति की बैठक के बाद लिया जाएगा। ठाकुर ने कहा कि निश्चित तौर पर तेंदुलकर की विदाई यादगार होगी। उनके विदाई टेस्ट के बारे में फैसला मंगलवार की बैठक में लिया जाएगा।
गृह मंत्रालय के भारत रत्न की श्रेणी में खेल को शामिल करने के खिलाफ होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार में निर्णय लेने की क्षमता होती तो तेंदुलकर को बहुत पहले ही भारत रत्न मिल गया होता। सरकार की रूचि खेलों से ज्यादा खेल संघों की आपसी खींचतान में रही है जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 
तेंदुलकर को भारत रत्न देने की बढ़ती मांग के मद्देनजर केंद्र सरकार ने तत्कालीन खेलमंत्री अजय माकन के अनुरोध पर 2011 में भारत रत्न के लिए पात्रता में खेलों को शामिल किया था। बाद में खेल मंत्रालय ने महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने की सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय ने हालांकि खेलों को भारत रत्न के दायरे से बाहर रखने का सुझाव यह कहकर दिया था कि इससे दावेदारों की कतार खड़ी हो जाएगी।
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स्वर्णिम युग का अंत हो गया: पवार
नई दिल्ली।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने से स्वर्णिम युग का अंत हो गया। पूर्व आईसीसी अध्यक्ष पवार ने कहा कि सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसले से भारतीय क्रिकेट के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के क्रिकेट के स्वर्णिम युग का अंत हो गया। उन्होंने क्रिकेट पर बादशाह की तरह राज किया है और उनकी लंबी पारियों ने खुद उनके और खेल के लिये कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
   
उन्होंने बयान में कहा कि उनकी उपलब्धियां सभी क्रिकेटरों के लिए प्रेरणादायी हैं और वह भविष्य में भी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। बतौर खिलाड़ी उन्होंने मैदान के अंदर और बाहर जो जज्बा दिखाया है, वह अद्भुत है। पवार ने कहा कि उनकी खेल के प्रति एकाग्रता, प्यार और उत्साह ही उनकी उपलब्धियों की प्रेरक शक्ति है। क्रिकेट खेलने वाले सभी देश उनकी प्रशंसा करते हैं और दुनिया में उनके लाखों प्रशसंक हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी तुलना खेल के कई महान खिलाड़ियों से की गई है और उन्हें उचित रूप से आधुनिक युग के डान ब्रैडमैन कहा जाता है। मुझे भरोसा है कि वह इस खेल से जुड़े रहेंगे। हमारी शुभकामनायें हमेशा उनके साथ रहेंगी।
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भारतीय क्रिकेट के सम्मान और कीर्तिमान पुरुष हैं सचिन
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर सही मायने में भारतीय क्रिकेट के सम्मान और कीर्तिमान पुरुष हैं। सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के करियर में अनेक मान-सम्मान और अलंकरण हासिल किए। वह खेलों के माध्यम से राज्य सभा में आए और देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान तथा दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण हासिल किया। सचिन को 2008 में उनकी उपलब्धियों के लिए देश के दूसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण-पद्म विभूषण से नवाजा गया।

उपलब्धियां एक नजर
0 केंद्र सरकार ने 1997-98 में ही सचिन को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा था।
0 वर्ष 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े नागरिक अलंकरण-महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा।
0 वर्ष 1999 में सचिन पद्मश्री से नवाजे गए थे। उससे पहले 1994 में सचिन को अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।
0 वर्ष 2010 में सचिन को विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वल्र्ड पुरस्कार मिला था।
0 2010 में ही आईसीसी ने सचिन को वर्ष के श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी का सर गैरी सोबर्स ट्रॉफी प्रदान किया था।
0 2010 में ही सचिन को एली पीपुल्स च्वाइस अवार्ड मिला था।
0 सचिन ने 2009, 2010 और 2011 में आईसीसी वल्र्ड टेस्ट इलेवन में जगह बनाई।
0 वह 2004, 2007 और 2010 में आईसीसी वल्र्ड ओडीआई इलेवन का हिस्सा रहे।
0 1997 में सचिन को विजडन क्रिकेटर ऑफ द इअर चुना गया।
0 2003 में सचिन विश्व कप के सबसे अच्छे खिलाड़ी रहे।
0 2005 में सचिन को राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया।
0 2011 में सचिन को कैस्ट्राल इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवार्ड से नवाजा गया।
0 2011 में ही सचिन को बीसीसीआई क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।
0 2010 में सचिन को भारतीय वायु सेना ने मानद ग्रुप कैप्टन नियुक्त किया।
0 2012 में सचिन को विजडन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।
0 2012 में ही सचिन को आस्ट्रेलिया सरकार ने ऑनरेरी मेम्बर ऑफ द आर्डर ऑफ आस्ट्रेलिया से नवाजा।

24 में अनेक कीर्तिमान
सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला कर लिया है। अगले महीने वेस्टइंडीज के साथ होने वाली दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला के बाद सचिन अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर को विराम देंगे। इन 24 साल में सचिन ने अनेक कीर्तिमान अपने नाम किए हैं। उन्होंने इतने सारे रिकार्ड अपने नाम किए कि एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें कीर्तिमान पुरुष या फिर रिकार्ड पुरुष कहा जाने लगा।

सचिन के नाम दर्ज प्रमुख रिकार्ड
0 सर्वाधिक 198 टेस्ट (यह आंकड़ा 200 तक पहुंचेगा), सचिन ने अपना पहला टेस्ट 15 नवम्बर, 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला और अंतिम टेस्ट सम्भवत: मुम्बई में 15 नवम्बर, 2013 को वेस्टइंडीज के साथ खेलेंगे।
0 सर्वाधिक 463 एकदिवसीय मैच, सचिन ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ गुजरावाला में खेला। अंतिम एकदिवसीय मैच 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 15,837 रन (यह अंतिम आंकड़ा नहीं है), टेस्ट मैचों में सचिन के नाम 67 अर्धशतक और 115 कैच भी दर्ज हैं।
0 एकदिवसीट मैचों में सर्वाधिक 18,426 रन, एकदिवससीय मैचों में सचिन के नाम 96 अर्धशतक और 140 कैच हैं।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 51 शतक, सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 248 रन है।
0 एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक 49 शतक, एकिदवसीय मैचों में सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 200 रन है।
0 एकदिवसीय मैच में सबसे पहले 200 रनों का व्यक्तिगत आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज
0 प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में 50,000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले भारतीय
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक छह शतक लगाने वाले बल्लेबाज
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में 2000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले बल्लेबाज
0 एक कैलेंडर वर्ष (1998) में सर्वाधिक 1894 एकदिवसीय रनों का रिकार्ड।
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सचिन सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में से एक : श्रीनिवासन
नई दिल्ली।
बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का फैसला करने वाले सचिन तेंडुलकर की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि वह दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में शुमार हैं।
तेंडुलकर ने गुरुवार को घोषणा की कि वह वेस्ट इंडीज के खिलाफ अगले महीने अपने करियर का 200वां मैच खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। श्रीनिवासन ने कहा कि मैं तब से सचिन तेंडुलकर का बड़ा मुरीद और प्रशंसक रहा हूं जब वह बुची बाबू टूर्नामेंट में खेलने के लिए चेन्नई आया करते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि वह भारत के सबसे महान क्रिकेटर हैं। लोगों को तो बल्कि कहना चाहिए कि वह दुनिया के सर्वकालिक टॉप महान खिलाडिय़ों में शुमार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोबारा बीसीसीआई प्रसिडेंट पद संभालने वाले श्रीनिवासन ने कहा कि तेंडुलकर भारत और भारतीय क्रिकेट के सच्चे ऐंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि किसी ने भी भारतीय क्रिकेट की उतनी सेवा नहीं की, जितनी सचिन ने की। वह सिर्फ क्रिकेटरों नहीं बल्कि खिलाडिय़ों की पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे। हम उनके संन्यास के फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि हमारे में से कई लोग सचिन के बिना भारतीय टीम की कल्पना नहीं कर सकते।
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सचिन की जिंदगी का अनजाना, अनदेखा पहलू...
नई दिल्ली।
क्रिकेट के 'भगवानÓ कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने आखिरकार क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। क्रिकेट के इस सबसे बड़े सितारे के बारे में कई ऐसी बाते हैं, जो आप नहीं जानते। आइए आपको बताते हैं सचिन की जिंदगी का अनजाना, अनदेखा पहलू...
- सचिन का नाम पुराने जमाने के मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया है
- सचिन तेंदुलकर का घर का नाम तेंदुलिया है। जब सचिन ने सबसे पहला पाकिस्तान का टूर (1989) किया था तब उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उनके साथ गए थे।
- सचिन पहले फास्ट बॉलर बनना चाहते थे और उन्होंने एमआरएफ पेस एकेडमी, चेन्नई में जा कर डेनिस लिली से ट्रेनिंग भी ली।
- सचिन को पहली शेविंग क्रीम (पाल्मोलिव) उनके फास्ट फ्रेंड और पूर्व क्रिकेटर सलिल अंकोला ने दी।
- पहला इंग्लिश विलो का क्रिकेट बैट दिलीप वेंगसरकर ने दिया।
- अपनी पहली कमाई से अपने पिता रमेश तेंदुलकर को आर्मचेयर भेंट की।
- सचिन ने 1989 के टूर पर पहली बार खुद ऑमलेट बनाया था जो उनके भाई ने मिलकर खाया।
- थर्ड अंपायर द्वारा आउट दिए जाने वाले सचिन पहले बैट्समैन हैं
- पत्नी अंजली से 1990 में मिले, एक इंटरव्यू में सचिन ने कहा कि मुझे उनसे इसलिए प्यार हो गया, क्योंकि वह शरमाना जानती हैं।
- 17 साल की उम्र में अपनी पहली कार खरीदी, नीले रंग की मारुति 800 लेकिन इस कार से अपने दोस्तों को बांद्रा स्टेशन छोडऩे जाते वक्त उन्हें डर था कि कहीं उनका चालान न हो जाए
- 1990 के कामयाब दौरे के बाद अपनी सोसायटी साहित्य सहवास के लोगों को बांद्रा इंटरनैशनल होटल खाना खिलाने लेकर गए थे
- किसी बढिय़ा शॉट के लिए सचिन चुम्मा शॉट शब्द का इस्तेमाल करते हैं
- 1990 में इंग्लैंड दौरे पर मनोज प्रभाकर से तैराकी सीखी, सिर्फ आधे घंटे में
- सचिन कभी-कभी मेहमानों के लिए खुद ही चाय बनाते हैं
- सचिन को बैगन का भर्ता बनाना आता है
- उन्हें घडिय़ां बेहद पसंद हैं, उनके पसंदीदा ब्रैंड हैं कातिये और रॉलेक्स
- मुंबई के लिए खेलने के बाद उनका लोकल ट्रेनों में सफर करना छूट गया
- वर्ली के सत्यम सिनेमा में रोजा फिल्म देखने के लिए भेस बदल कर गए थे सचिन
- उनके हेल्मेट और किट बैग पर तिरंगे का स्टिकर लगा है
- टेस्ट मैच का पहला अनुभव इतना कठिन था कि सचिन को लगा कि वह कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे
- सचिन को अफसोस है कि उन्हें कभी वेस्ट इंडीज के महान फास्ट बोलर मार्शल, रॉबर्ट्स, होल्डिंग और गार्नर का सामना करने का मौका नहीं मिला
- फैसलाबाद टेस्ट में इमरान खान की इनस्विंगर जिसपर सचिन आउट हुए, उसके लिए सचिन ने कहा कि 'फुट भर आत आलाÓ यानी एक फीट अंदर आई...
- सचिन को गुस्सा भी आता है। अपनी इच्छा के खिलाफ परिवार के साथ फोटो खींचने के लिए एक पत्रकार को सचिन ने खूब लताड़ा था
- सचिन जब छोटे थे तब उन्हें क्रिकेट के आंकड़ों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी
- पहली बार किसी अखबार को इंटरव्यू एक ईरानी रेस्त्रां में बैठकर दिया था
- पत्रकारों के फोन कॉल से परेशान होकर एक बार उन्होंने उसी कॉलनी में एक दोस्त के घर फिल्में देखकर कई दिन बिताए
- उनकी पसंदीदा फिल्म है जाने भी दो यारो
- सचिन को ऐक्शन फिल्में काफी पसंद हैं
- रणजी, ईरानी और दलीप ट्रॉफी में अपने पहले मैचों में ही शतक जड़े थे सचिन ने
- परंपरागत पोशाक शायद ही कभी पहनते हैं
- सचिन फॉर्मूला वन के शौकीन हैं और माइकल शुमाकर के फैन हैं
- अमिताभ ने सचिन को देश की धड़कन बताया था
- सचिन खाने के काफी शौकीन हैं। सलिल अंकोला के साथ वह ज्यादा खाने की शर्त लगाते थे और हमेशा जीत जाते थे
- एक ऐसा भी वक्त था जब सचिन एक ही बार में 8 वड़ा पाव खा सकते थे
- भारत और न्यूजीलैंड के बीच 1989-90 में नेपियर टेस्ट में जॉन राइट ने 88 के स्कोर पर उनका कैच लपका और सचिन सबसे कम उम्र में टेस्ट सेंचुरी लगाने से चूक गए
- सचिन पहले फास्ट बोलर बनना चाहते थे और इसके लिए एमआरएफ पेस एकैडमी भी गए जहां डेनिस लिली ने उनसे बोलिंग की बजाय बैटिंग पर ध्यान देने के लिए कहा
- सचिन टेबल टेनिस खेलते हैं, दोनों हाथों से खेल सकते हैं और टूअर पर जाते हैं तो अपना रैकेट साथ ले जाते हैं
- सचिन को अपनी मां के हाथ का बना खाना बहुत पसंद है, खासकर मछली
- सचिन कभी-कभी अपने स्कूल शारदा आश्रम की टीम के लिए बोलिंग की शुरुआत करते थे
- सचिन के किट बैग में उनकी बेटी साराह और अर्जुन द्वारा बनाया एक कॉर्ड रहता है जिस पर लिखा है ऑल द बेस्ट पापा।
- सचिन आज भी अपनी मां रजनी के पांव छुए बगैर घर से नहीं निकलते।
- सचिन के पास 50 से अधिक घडिय़ों की क्लेक्शन है जिनमें देशी और विदेशी दोनों शामिल हैं।
- सचिन को पतंग उड़ाने का शौक है।
- दिल्ली आने पर बटर चिकन और दाल बुखारा खाना नहीं भूलते। जब मुंबई में रहते हैं तो वड़ा पाव खाना पसंद करते हैं।
- उनको लॉफ्टर चैलेंज में राजू श्रीवास्तव की परफॉर्मंस बहुत अच्छी लगती है।
- सचिन अपने क्रिकेट के सामान को लेकर काफी पजेजिव हैं, उनका बैट, पैड या कोई और चीज कोई छुए, उन्हें पसंद नहीं
- सचिन को अपने बच्चों को रात में कहानियां सुनाना अच्छा लगता है। उनकी कहानियों में रोहन नाम का काल्पनिक पात्र है। यह नाम उन्होंने ही रखा है।
- सचिन की ख्वाहिश एक बार महान बॉक्सर मोहम्मद अली से मिलने की है। सचिन एक दिन फॉर्म्युला 1 कार भी चलाना चाहते हैं।
- सचिन गणेश भगवान के भक्त हैं और उन्होंने अपने घर में उनकी कई प्रतिमाएं रखी हैं।
- वह अमिताभ बच्चन के फैन हैं और शोले, दीवार, ब्लैक, हेरा फेरी और सत्ते पे सत्ता फिल्में उनकी पसंदीदा हैं।
- सचिन वास्तु शास्त्र में विश्वास करते हैं। बांद्रा में बन रहा उनका नया घर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बन रहा है
- टीवी पर सचिन को डिस्कवरी चैनल देखना बेहद पसंद है।
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क्रिकेटरों ने तेंदुलकर की तारीफों के पुल बांधे
नई दिल्ली।
सचिन तेंदुलकर के अगले महीने अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा करने के बाद मौजूदा और पूर्व क्रिकेटरों ने इस महान बल्लेबाज की तारीफों के पुल बांधे। क्रिकेट की दुनिया में हर तरफ तेंदुलकर की सराहना ही देखने को मिली।  
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजी में इतना बड़ा निर्वात्त आ गया है। उसकी जगह लेना आसान नहीं होगा। देखिए लक्ष्मण, गांगुली और द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद क्या हुआ। मध्यक्रम को एकजुट होने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट में चौथे नंबर पर कुछ महान खिलाड़ी खेले हैं। जो भी चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है वह काफी दबाव में होता है और उसे बड़ी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होता है।
आधुनिक क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर ने आज घोषणा की कि वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देंगे जिससे 24 साल के उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का भी अंत हो जाएगा।
गावस्कर ने कहा कि उन्होंने जब तेंदुलकर को पहली बार नेट पर बल्लेबाजी करते हुए देखा था तभी उन्हें समझ में आ गया था कि वह महान उपलब्धियां हासिल करेगा। गावस्कर ने कहा कि ऐसे किसी खिलाड़ी की कल्पना करना मुश्किल है जिसने खेल के इतिहास में लिटिल मास्टर की तरह पारंपरिक तकनीक और आक्रामकता का ऐसा मिश्रण किया हो। ऐसा कोई शाट नहीं है जिसे वह नहीं खेल सकता।
एक अन्य पूर्व भारतीय कप्तान और लंबे समय तक तेंदुलकर के टीम के साथी रहे सौरव गांगुली ने का कि वेस्टइंडीज सीरीज की शुरुआत से पहले संन्यास की घोषणा करके इस दिग्गज बल्लेबाज ने सही फैसला किया। गांगुली ने कहा कि यह सही फैसला है और उसने इसे सही समय पर लिया। मैं बेहद खुश हूं कि उसने सीरीज की शुरुआत से पहले ऐसा किया। मैं देश के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इन दो टेस्ट मैच को देखने आए, फिर भले ही यह कोलकाता में हो या मुंबई में, सिर्फ इस महान व्यक्ति के प्रति सम्मान दिखाने के लिए आएं।   
पूर्व भारतीय कप्तान और लोकसभा सदस्य मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कहा कि तेंदुलकर का फैसला हैरानी भरा नहीं है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर ऐसा होने वाला था लेकिन मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं थी कि कब ऐसा होने वाला है। लेकिन यह उसका फैसला है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। हमें उसके करियर को ऐसी चीज के रूप में देखना चाहिए जिसने हमेशा हमें खुशी दी और गौरवांवित किया।
अजहर ने कहा कि मैंने पहली बार उसे हैदराबाद बनाम मुंबई रणजी मैच में खेलते हुए देखा जहां उसने अच्छी बल्लेबाजी की। इसके बाद मैंने उसका गजब का साहस अब्दुल कादिर के खिलाफ ड्रेसिंग रूम से देखा। काफी लोगों में प्रतिभा होती है लेकिन जिस चीज ने उसे अलग बनाया वह उसका जुनून है।
तेंदुलकर से जुड़े सबसे यादगार लम्हें के बारे में पूछने पर अजहर ने कहा कि ऐसे कई मौके है लेकिन बेशक 1996 केपटाउन टेस्ट मैच जहां हम दोनों ने शतक बनाया। दक्षिण अफ्रीका के आक्रमण में एलेन डोनाल्ड, शान पोलाक, ब्रायन मैकमिलन और लांस क्लूसनर शामिल थे लेकिन खेल के निश्चित समय के दौरान हमने उनके जबर्दस्त धुनाई की।
गांगुली ने कहा कि तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ विदेशों में जिस तरह से बल्लेबाजी की उससे भारत को क्रिकेट की दुनिया में सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि उसने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ विदेशों में जिस तरह बल्लेबाजी की उससे भारत को वर्ष 2000 के बाद सम्मान मिला। इसमें उसकी अहम भूमिका रही। मेरे लिए यह सबसे बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में सिडनी में उसकी पारी सर्वश्रेष्ठ थी। सिडनी में अंतिम टेस्ट में 240 रन की पारी के दौरान उसने एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया। यह उस व्यक्ति की क्षमता और मानसिक मजबूती को दिखाता है। महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने इसे क्रिकेट के लिए बुरा दिन करार दिया।
मुरलीधरन ने कहा कि मुझे लगता है कि यह भारतीय क्रिकेट और विश्व क्रिकेट के लिए बुरा दिन है। हम सचिन को दोबारा खेलते हुए नहीं देखेंगे। वह अपने शर्तों पर संन्यास ले रहा है। श्रीलंका के इस स्टार खिलाड़ी ने कहा कि निश्चित तौर पर हम हमेशा सचिन का विकेट लेना चाहते थे। सभी विरोधी उसे आउट करना चाहते हैं। अधिकांश समय वह जंग में जीत जाता है। वह इतना महान खिलाड़ी है।
तेंदुलकर को महानतम क्रिकेटर करार देते हुए पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि इस दिग्गज बल्लेबाज का यह फैसला उनके लिए हैरानी भरा था। उन्होंने कहा कि सचिन भारत का सबसे महान क्रिकेटर है और सभी क्रिकेटरों के लिए मैदान के अंदर और बाहर बेहतरीन आदर्श। उसने सभी प्रारूपों में लगभग हर रिकार्ड अपने नाम किया और खेल के इतिहास के उसका करियर सबसे महान करियर में से एक है।
भारत की ओर से 116 टेस्ट खेलने वाले वेंगसरकर ने कहा कि मुझे उससे संन्यास की उम्मीद नहीं थी। मैंने सोचा था कि वह पूरा साल (सत्र) खेलेगा। उसने 200 टेस्ट के बाद शीर्ष पर रहते हुए संन्यास का फैसला किया।
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सचिन ने सही वक्त पर किया संन्यास का फैसला: गांगुली
कोलकाता। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने गुरुवार को कहा कि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सही समय पर संन्यास का फैसला किया है। गांगुली ने कहा कि अब बीसीसीआई को सचिन के अनुभव का उपयोग क्रिकेट के होनहारों को तराशने के लिए किया जाना चाहिए। सचिन के साथ लम्बे समय तक एकदिवसीय मैचों में जोड़ीदार रहे गांगुली ने कहा कि सचिन ने सही समय पर फैसला किया है।
सचिन के साथ अच्छी साझेदारियां निभा चुके गांगुली ने कहा कि सचिन की सबसे बड़ी खासियत उनका खेल के प्रति समर्पण और उनका नजरिया रहा है।
गागुंली ने कहा कि वह सचिन से सबसे पहले इंदौर में आयोजित एक अंडर-16 कैम्प में मिले थे। गांगुली ने कहा कि मैंने जब उन्हें देखा था, तब मैं उनकी प्रतिभा से हैरान था। वह सभी तरह के शॉट खेल सकते थे। उनमें इस खेल में सफल होने की जबरदस्त भूख थी। सचिन के अनुभव का कैसे उपयोग किया जाए, इस सम्बंध में गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट में सचिन की महान उपयोगिता है। वह भारतीय क्रिकेट के अनमोल धरोहर हैं। उन्हें इस देश में क्रिकेट प्रतिभाओं को तराशने के लिए कहा जाना चाहिए।
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मीडिया में सचिन का संन्यास......