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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Sunday, 17 November 2013

'भारत रत्न' सचिन की ऐतिहासिक विदाई


0 सचिन का संन्यास, क्रिकेट के एक युग का अंत

मुंबई, 16 नवंबर 2013।  विश्व क्रिकेट को भारत की सबसे महान देन 'भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल और एक दिन के ओजस्वी करियर के बाद शनिवार को संन्यास ले लिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में खेलते हुए भारतीय टीम ने सचिन को उनके करियर के 200वें टेस्ट में पारी की जीत का शानदार तोहफा और गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
सचिन ने मैदान से बाहर जाते हुए अपने साथियों और दर्शकों अभिनंदन स्वीकार किया। सचिन के संन्यास के साथ ही भारत ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में एक युग का समापन हो गया। एक ऐसा युग, जिसमें इस महान खिलाड़ी ने क्रिकेट के हर रिकार्ड को अपनी धरोहर बनाकर रखा और मैदान के बाहर तथा मैदान के अंदर करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहे।
सचिन ने 10 नवम्बर को संन्यास की घोषणा की थी। सचिन ने अपने संदेश में कहा था कि मैंने जीवन में देश के लिए खेलने का सपना पाला था। बीते 24 साल से मैं हर दिन इस सपने को जी रहा हूं। मेरे लिए क्रिकेट के बगैर रहना नामुमकिन सा लगता है, क्योंकि 11 साल की उम्र से मैं इस खेल के साथ रचा-बसा हूं। देश के लिए खेलना मेरे लिए महान सम्मान की बात है। मैं अपने घरेलू मैदान पर 200वां टेस्ट मैच खेलते हुए इस महान खेल को अलविदा कहना चाहता हूं। बीते सालों में मेरा साथ देने के लिए मैं बीसीसीआई को धन्यवाद कहना चाहता हूं। साथ ही मैं अपने परिवार को उसके संयम और मेरी भावना को समझने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। सबसे बाद में और सबसे अधिक दिल से मैं अपने प्रशंसकों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने लगातार अपनी प्रार्थनाओं और हौसलाअफजाई से मुझे अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करनी की क्षमता और शक्ति प्रदान की।
सचिन के संन्यास के बाद दिग्गजों ने उनकी जमकर सराहना की। श्रीलंका की विश्वकप विजेता टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने ट्वीट करते हुए कहा, भारतीय क्रिकेट जगत के लिए यह एक दुखद दिन है। टेस्ट क्रिकेट के लिए वास्तव में यह एक बड़ा नुकसान है। अपने पूरे करियर के दौरान खेल को लेकर उनकी प्रतिबद्धता अद्वितीय रही। प्रख्यात अंपायर डिकी बर्ड ने कहा कि तेंदुलकर का खेल डॉन ब्रैडमैन के समतुल्य था। तेंदुलकर के पर्दापण मैच में कप्तान रहे के. श्रीकांत ने कहा कि सचिन का 200 टेस्ट मैचों में हिस्सा लेने और 100 शतक लगाना अद्वितीय है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने कहा, उन्होंने पूरी दुनिया के गेंदबाजों पर विजय पाई है। उनके रिकॉर्डो को तोड़ पाना बहुत मुश्किल है। इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने लिखा, सार्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक सचिन, मेरे आदर्श खिलाडिय़ों में से एक और जिनके खिलाफ खेलना सबसे बड़ी उपलब्धि होती थी।
सचिन ने अपने 24 साल के करियर में अनेक मान-सम्मान और अलंकरण हासिल किए। वह खेलों के माध्यम से राज्य सभा में आए और देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान तथा दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण हासिल किया।
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वानखेड़े की पिच को सचिन का आखिरी सलाम 

मुंबई, 16 नवंबर 2013। वानखेड़े स्टेडियम सचिन तेंदुलकर के लिए नर्सरी रहा है। सचिन ने शनिवार को संन्यास लेने के साथ इस ऐतिहासिक स्टेडियम की पिच को झुककर सलाम किया और फिर अपने परिवार के साथ ड्रेसिंग रूम में चले गए।
किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी ने आज से पहले अपने लिए नर्सरी का काम करने वाली पिच को झुककर सलाम नहीं किया लेकिन सचिन ने अपने व्यक्तित्व के साथ पूरा न्याय करते हुए न सिर्फ अपने करियर में योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया बल्कि उस पिच को भी नहीं भूले, जहां से उन्होंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट की शुरुआत की थी। सचिन अपने भावनात्मक सम्बोधन के बाद बारी-बारी से विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी के कंधे पर बैठकर मैदान का चक्कर लगाया और फिर वानखेड़े की पिच का रुख किया। वहां पहुंचकर सचिन ने उसके प्रति अपना पूरा सम्मान प्रकट किया और फिर उसे झुककर छुआ और सलाम किया।
सचिन अपने अंतिम सम्बोधन में उस शिवाजी पार्क और आजाद मैदान का भी जिक्र करना नहीं भूले, जहां उन्होंने इस खेल का ककहरा सीखा था। सचिन के मुताबिक वह अपने भाई अजीत तेंदुलकर के साथ सुबह दादर में स्थित शिवाजी पार्क में खेलते और फिर शाम को कोलाबा में स्थित आजाद मैदान में अभ्यास करते।
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यकीन नहीं होता कि 22 गज के बीच का जीवन खत्म हो गया : सचिन

मुंबई, 16 नवंबर 2013। भीगी पलकों के साथ सचिन तेंदुलकर ने आज जब क्रिकेट को अलविदा कहा तब दिल को छू लेने वाले अपने भाषण में परिवार, कोचों, साथियों, दोस्तों और प्रशंसकों को शुक्रिया कहना नहीं भूले और यह भी कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि पिछले 24 साल से 22 गज के दरमियान की उनकी जिंदगी खत्म हो गई है। अपने जज्बात पर काबू रखने की पूरी कोशिश करने वाले तेंदुलकर ने जब अपने उद्गार व्यक्त किए तो वानखेड़े स्टेडियम पर जमा लोग भावविभोर हो गए।
भारत की जीत के बाद तेंदुलकर पुरस्कार वितरण समारोह में जब बोलने आए तब उन्होंने सबसे पहले कहा, शांत हो जाइये दोस्तों, वरना मैं बहुत भावुक हो जाऊंगा। यह यकीन करना मुश्किल है कि मेरा अद्भुत सफर खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं पहली बार सूची लेकर आया हूं जिन्हें मुझे धन्यवाद देना है क्योंकि कई बार मैं भूल जाता हूं। तेंदुलकर ने कहा, सबसे पहले मेरे पिता (रमेश तेंदुलकर) जिनका 1999 में निधन हो गया। उनके मार्गदर्शन के बिना मैं आपके सामने खड़ा नहीं होता। उन्होंने मुझसे कहा कि अपने सपने पूरे करो, हार नहीं मानो और कभी शार्टकट मत अपनाओ। मुझे आज उनकी कमी खल रही है। पहली बार उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में खेलते देखने आई मां रजनी तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शरारती बच्चे से वह कैसे निपटती रही होंगी। जिस दिन से मैने खेलना शुरू किया, वह सिर्फ मेरे लिये दुआयें करती आई है। मैं स्कूल के दिनों में चार साल अपने काका और काकू के साथ रहा, जिन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह माना।
तेंदुलकर ने कहा, मेरा सबसे बड़ा भाई नितिन बहुत बोलता नहीं है लेकिन उसने कहा था कि तुम जो भी करोगे, मुझे पता है कि अपना शत प्रतिशत दोगे। मेरा पहला बल्ला मेरी बहन सविता ने दिया था। अभी भी जब मैं बल्लेबाजी करता हूं तो वह उपवास रखती है। अपने भाई अजित के बारे में उन्होंने कहा कि अजित और मैने यह सपना साथ देखा था। उसने मेरे लिये अपना कैरियर कुर्बान कर दिया। वह मुझे आचरेकर (रमाकांत) सर के पास लेकर गया। पिछली रात भी उसने मुझे फोन करके मेरे विकेट के बारे में बात की। जब मैं नहीं खेलता हूं तब भी हम तकनीक पर बात करते हैं। तेंदुलकर ने फिर अपनी पत्नी अंजलि को धन्यवाद देते हुए उन्हें अपना सबसे बेहतरीन जोड़ीदार बताया। उन्होंने कहा कि अंजलि से शादी मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पल था। मुझे पता था कि एक डाक्टर होने के नाते उसके सामने सुनहरा कैरियर था। जब हमारा परिवार बढ़ा तो उसने फैसला किया कि मैं खेलता रहूं और वह घर संभालेंगी। इतने सालों तक मेरी सारी बकवास सुनने के लिये शुक्रिया। मेरे जीवन की तुम सबसे उम्दा साझेदारी हो। उन्होंने वहां मौजूद अपने बच्चों अर्जुन और सारा से भी वादा किया कि अब वह उनके साथ अधिक समय बिताकर इतने साल समय नहीं दे पाने की भरपाई करेंगे। उन्होंने अपने सास-ससुर और दोस्तों को भी धन्यवाद दिया।
तेंदुलकर ने बीसीसीआई और एमसीए को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने साथी क्रिकेटरों, सहयोगी स्टाफ, डाक्टरों और ट्रेनरों को भी शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा, मेरे साथ खेल चुके सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद। राहुल (द्रविड़), वीवीएस लक्ष्मण, सौरव (गांगुली) और अनिल (कुंबले) जो यहां नहीं हैं। उन्होंने कहा, जब एम एस धोनी ने मुझे 200वें टेस्ट की कैप सौंपी तो मैने टीम को एक संदेश दिया कि हम सभी देश का प्रतिनिधित्व करके गौरवान्वित हैं। मुझे पूरा यकीन है कि आप इसी तरह देश की सेवा करते रहेंगे।
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क्रिकेट के बिना सचिन की कल्पना तक नहीं कर सकती : अंजलि तेंदुलकर

मुंबई, 16 नवंबर 2013।  अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अंजलि तेंदुलकर ने आज कहा कि उनके लिये अपने पति सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के बिना सोच पाना कठिन है और अब क्रिकेट नहीं खेलना उनके ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिये काफी भावुक होगा। अंजलि ने कहा, मैं सचिन की क्रिकेट के बिना कल्पना नहीं कर सकती। मैं उनके बिना क्रिकेट के बारे में सोच सकती हूं लेकिन क्रिकेट के बिना सचिन के बारे में नहीं सोच सकती । सचिन ने आज वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे और आखिरी टेस्ट में भारत की जीत के साथ 24 साल के कैरियर को अलविदा कह दिया।
अंजलि ने कहा कि घर में अब हालात काफी अलग होंगे। उन्होंने कहा कि अब हालात अलग होंगे। हम सभी को अब उनके घर पर होने की आदत हो जायेगी लेकिन मैं उन्हें कुछ जिम्मेदारियां सौंपना चाहूंगी। उन्होंने कहा कि सचिन अपने जज्बात जाहिर नहीं करते । सचिन हालांकि मैदान पर आज उस समय भावुक हो गए जब साथी खिलाडिय़ों ने जीत के बाद उन्हें गार्ड आफ आनर दिया।
अंजलि ने कहा कि मैं जितने साल से उन्हें जानती हूं, सचिन अपने जज्बात छिपाने में माहिर है। उन्होंने हमें कभी नहीं जताया कि वह मैच से पहले तनाव में हैं या अपने बारे में कही गई किसी बात से निराश हैं। यह पूछने पर कि क्या उन्होंने अपने जज्बात छिपाने के लिये चश्मा पहन रखा है, अंजलि ने कहा कि मैं अपनी भावनायें जाहिर नहीं करती, लेकिन पिछले एक महीने में इसके बारे में सोच सोचकर ही मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं। यह काफी जज्बाती पल है।
अंजलि ने कहा कि सचिन ने संन्यास को बखूबी निभाया और भविष्य के बारे में उनसे मशविरे के बाद ही यह फैसला लिया। उन्होंने कहा, मैं बता नहीं सकती कि हमारे लिये इसके क्या मायने हैं। इस बारे में काफी सोचा कि संन्यास लेना है और कब लेना है। लेकिन एक बार फैसला लेने के बाद उन्होंने इसे बखूबी निभाया। इसके बारे में शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, वह हमेशा कहते थे कि जिस पल उन्हें लगेगा कि वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे, उसी समय संन्यास का फैसला ले लेंगे। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि वह समय आ गया है। मुझे लगता है कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिये।
अंजलि ने कहा कि लोगों के प्यार से वह अभिभूत हैं। सिर्फ मुंबई ही नहीं, पूरे देश और पूरी दुनिया से उन्हें जिस तरह की प्रतिक्रियायें मिली हैं, उससे हम भावविहल हैं। उन्होंने कहा कि सचिन कभी खुद को क्रिकेट से अलग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, वह कभी भी पूरी तरह से क्रिकेट से अलग नहीं हो सकते। इतने साल में जब भी एक महीने का ब्रेक होता तो हम छुट्टियों पर चले जाते। वह हमेशा कहते हैं कि मैं ज्यादा नहीं खा सकता क्योंकि मुझे फिर खेलना है । वह हमेशा जिम जाते या अजरुन के साथ खेलते। उन्होंने कहा कि उनके बच्चे सारा और अजरुन भी अपनी भावनाओं को हावी नहीं होने देते। अंजलि ने यह भी कहा कि शादी से पहले उन्हें पता था कि सचिन पहले मुंबई के और फिर पूरे देश के हैं। उन्होंने कहा, हमारी शादी से पहले मुझे पता था कि वह सिर्फ मेरे नहीं बल्कि मुंबई और पूरे देश के हैं और उसके बाद ही वह मेरे हैं।
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खेल मंत्री ने सचिन को शानदार करियर के लिए दी बधाई
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। । खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज सचिन तेंदुलकर को शानदार करियर सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये बधाई देते हुए कहा कि उनका 24 साल का करियर एक दुर्लभ उपलब्धि है। मंत्री ने बयान में कहा कि सचिन तेंदुलकर ऐसे खिलाड़ी के बेहतरीन उदाहरण है जिसने खेल को इतनी शिद्दत से प्यार किया है। वह इतने विनम्र, ईमानदार, निष्ठावान और प्रतिभा के धनी हैं।
उन्होंने कहा कि 24 साल तक खेल के सभी प्रारूपों टेस्ट, वनडे और टी-20 में उनके चमकदार प्रदर्शन एक दुर्लभ उपलब्धि है जो उनकी प्रतिबद्धता बयां करता है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि खेल मंत्रालय देश में सभी खेलों में अच्छे संचालन को बढावा देने के लिये इस महान बल्लेबाज का इस्तेमाल करना चाहेगा। उन्होंने कहा, सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट के मैदान पर अनुभव अन्य खेल के खिलाडिय़ों को भी प्रेरित करेगा। खेल मंत्रालय उनके अनुभव का इस्तेमाल करना चाहेगा।
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क्रिकेट से अलविदा कहते हुए रो पड़े सचिन

0 विदाई टेस्ट : सचिन को मिला पारी की जीत का तोहफा

मुंबई, 16 नवंबर 2013। मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की विदाई टेस्ट में भारत ने रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा के शतक और सचिन के 74 रन की बदौलत वेस्टइंडीज को पारी और 126 रन से हरा दिया है। भारत दो मैचों की सीरीज 2-0 से जीत ली है। भारत ने लगातार छठा टेस्ट जीता।
इस जीत के बाद सचिन भावुक हो गए। मैदान से पवेलियन लौटते वक्त सचिन की आखों से आंसू छलक आए। सचिन के बेटे अर्जुन की भी आंखों में आंसू थे। श्रीलंका सरकार ने सचिन को ट्रॉफी दी। सचिन अब मैदान पर नहीं दिखेंगे। सचिन के विदाई के बाद पूरा देश भावुक हो गया।
भारतीय क्रिकेट टीम ने वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शनिवार को वेस्टइंडीज को एक पारी और 126 रनों के अंतर से हराकर इस मैच के साथ संन्यास लेने वाले अपने सबसे बड़े स्टार सचिन तेंदुलकर को शानदार तोहफा दिया। मैदान से निकलते वक्त भारतीय टीम ने सचिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया और सचिन ने दर्शकों तथा साथियों का अभिनंदन स्वीकार किया।
वेस्टइंडीज ने अपनी पहली पारी में 182 रन बनाए थे। भारत की ओर से प्रज्ञान ओझा ने पांच और रविचंद्रन अश्विन ने तीन विकेट लिए थे। इसके बाद भारत ने चेतेश्वर पुजारा (113) और रोहित शर्मा (नाबाद 111) के शानदार शतक और अपना 200वां तथा अंतिम मैच खेल रहे सचिन के 74 रनों की बदौलत अपनी पहली पारी में 495 रन बनाकर 313 रनों की बढ़त हासिल की। वेस्टइंडीज की ओर से शेन शिलिंगफोर्ड ने पांच विकेट झटके।
वेस्टइंडीज की टीम दूसरी पारी में 187 रन ही बना सकी। दूसरे दिन की समाप्ति तक वेस्टइंडीज ने 43 रनों पर तीन विकेट गंवा दिए थे। कैरेबियाई टीम ने शुक्रवार को अंतिम पहर में 12.2 ओवर बल्लेबाजी की और कीरन पॉवेल (9), नाइटवॉचमैन टीनो बेस्ट (9) और ब्रावो के विकेट गंवाए। क्रिस गेल छह रनों पर नाबाद लौटे थे।
तीसरे दिन गेल का साथ निभाने मार्लन सैमुएल्स आए लेकिन वह 11 रनों के निजी योग पर ओझा का शिकार बने। सैमुएल्स का विकेट 74 के कुल योग पर गिरा। गेल ने सुबह के सत्र में तीन चौके और एक छक्का लगाया लेकिन वह भी 87 के कुल योग पर ओझा की गेंद पर विकेट के पीछे लपके गए। गेल ने 53 गेंदों पर 35 रन बनाए।
इन दोनों की विदाई के बाद अपना 150वां टेस्ट खेल रहे शिवनारायण चंद्रपॉल पर पारी की हार टालने की जिम्मेदारी आई। चद्रपॉल वेस्टइंडीज के सबसे अनुभवी टेस्ट खिलाड़ी हैं और रनों के मामले में वह ब्रायन लारा के बाद दूसरे क्रम पर आते हैं। चंद्रपॉल का साथ नरसिंह देवनारायण निभा रहे थे लेकिन ओझा ने उन्हें खाता भी नहीं खोलने दिया। सचिन का विकेट लेकर क्रिकेट इतिहास में अमर होने वाले देवनारायण 89 के कुल योग पर ओझा द्वारा उनकी ही गेंद पर लपके गए।
इसके बाद चंद्रपॉल ने नए साथी दिनेश रामदीन (नाबाद 53) के साथ सातवें विकेट के लिए 68 रन जोड़े और अपनी टीम को पारी की हार से बचाने की उम्मीद जगाई लेकिन 157 के कुल योग पर अश्विन ने चंद्रपॉल को पलम्ब कर दिया। चंद्रपॉल ने 62 गेंदों पर चार चौके लगाए और निराशा का भाव लिए पवेलियन लौटे। चंद्रपॉल ने 150 टेस्ट मैचों की 255 पारियों में 44 बार नाबाद रहते हुए 10926 रन बनाए हैं। रनों के लिहाज से वह वेस्टइंडीज के दूसरे सबसे सफल बल्लेबाज हैं। लारा ने 11912 रन बनाए हैं।
लारा ने 130 मैचों में इतने रन जोड़े हैं जबकि चंद्रपॉल ने वेस्टइंडीज के लिए सबसे अधिक 150 मैच खेले हैं। उनके नाम सर्वाधिक 61 टेस्ट अर्धशतक दर्ज हैं। चंद्रपॉल टेस्ट इतिहास के 10 हजारी क्लब में शामिल सातवें बल्लेबाज हैं। चंद्रपॉल के जाने के बाद कप्तान डारेन सैमी (1) को ओझा ने 162 के कुल योग पर चलता कर भारत को आठवीं सफलता दिलाई। भोजनकाल से पहले ही भारत की जीत की सम्भावना को देखते हुए उसे 15 मिनट के लिए आगे कर दिया गया।
इसी दौरान अश्विन ने 185 के कुल योग पर शेन शिलिंगफोर्ड को चलता कर नौवीं सफलता ऐलान किया। अंतिम विकेट के तौर पर शेनॉन गेब्रियल आउट हुए। मोहम्मद समी ने उन्हें खाता खोलने नहीं दिया। भारत की ओर से दूस पारी में ओझा ने पांच और अश्विन ने चार विकेट हासिल किए। एक विकेट समी को मिला। ओझा ने इस मैच में कुल 10 विकेट लिए। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया और इस श्रृंखला में पर्दापण करने के बाद लगातार दो शतक लगाने वाले रोहित शर्मा को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। ओझा ने अपना पुरस्कार सचिन को समर्पित किया। इसके साथ ही भारत ने दो मैचों सीरीज 2-0 से जीत ली। उनसे कोलकाता में खेले गए पहले मैच में पारी व 51 रनों से जीत हासिल की थी।
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सचिन तेंदुलकर 'स्पोर्टिंग जीनियस' हैं : आईसीसी

दुबई, 16 नवंबर 2013।। आईसीसी ने आज सचिन तेंदुलकर की प्रशंसा की और इसके मुख्य कार्यकारी डेव रिचड्र्सन ने कहा कि 'स्पोर्टिंग जीनियसÓ सचिन एक बिरले खिलाड़ी है। तेंदुलकर ने आज अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। रिचडर्सन ने तेंदुलकर के खिलाफ 1991 से 1998 के बीच 10 टेस्ट और 26 वनडे खेले हैं। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा क्रिकेटर है जिसने अपनी प्रतिभा और प्रतिस्पर्धा के लिये अपने साथियों, सीनियरों, प्रतिद्वंद्वियों और दुनिया भर के प्रशंसकों से सम्मान पाया।
उन्होंने कहा कि स्पोर्टिंग जीनियस जैसे सचिन ऐसे ही दुर्लभ क्रिकेटर हैं और हम खुद को सम्मानित महसूस करते हैं कि हमने उन्हें खेलते हुए देखा। आईसीसी और पूरे क्रिकेट जगत की ओर से मैं सचिन का शुक्रिया अदा करता हूं और हम उन्हें भविष्य में अच्छा करने की शुभकामना करते हैं। रिचर्डसन ने बयान में कहा, उनके 24 साल में 664 अंतरराष्ट्रीय, 34,357 रन और 100 शतक उनके खेल के प्रति प्रतिबद्धता और दृढनिश्चय का ही नहीं, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक मजबूती भी बयां करते हैं जो किसी भी खेल में शीर्ष पर पहुंचने के लिये अहम होते हैं।
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विदाई के दिन सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्न'

नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013 भारत सरकार ने 200 टेस्ट मैच खेलकर शनिवार को क्रिकेट को अलविदा कहने वाले सचिन तेंदुलकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्नÓ से नवाजने की घोषणा की है। ये सम्मान पाने वाले वो पहले खिलाड़ी होंगे। वैज्ञानिक सीएनआर राव को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई है।

सबसे कम उम्र के 'भारत रत्न' बनेंगे सचिन
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013 प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शनिवार को महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्नÓ से सम्मानित करने की घोषणा की। शनिवार को ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले तेंदुलकर यह सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी हैं। 'भारत रत्नÓ पाने वाले वे सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए हैं। पीएमओ ने तेंदुलकर को जीवित किंवदंती बताया, जो देश के करोड़ों लोगों के प्रेरणास्रोत बने। पीएमओ द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार 16 वर्ष की आयु में खेलना शुरू करने वाले तेंदुलकर ने पिछले 24 वर्षों में पूरी दुनिया में क्रिकेट खेलकर देश को अनेक गौरवों से नवाजा। वक्तव्य में आगे कहा गया है कि वह (तेंदुलकर) खेलों में भारत के सच्चे दूत रहे। क्रिकेट में उनकी उपलब्धियां अतुलनीय हैं। उन्होंने जो कीर्तिमान स्थापित किए वे अद्वितीय हैं तथा जिस खेल भावना का परिचय उन्होंने दिया वह अनुकरणीय है। पीएमओ ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि तेंदुलकर को अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, जो एक खिलाड़ी के रूप में उनकी असाधारण प्रतिभा का परिचायक है। विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने शनिवार को वेस्टइंडीज के साथ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में अपने 200वें टेस्ट मैच के साथ ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
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अब टाइम पत्रिका ने सचिन तेंदुलकर को 'पर्सन ऑफ द वीक' चुना
न्यूयॉर्क, 16 नवंबर 2013। सचिन तेंदुलकर को कल 'पर्सन ऑफ द मूमेंटÓ बताने वाली टाइम पत्रिका ने आज इस चैम्पियन बल्लेबाज को 'पर्सन ऑफ द वीकÓ चुना है। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने जा रहे तेंदुलकर को आनलाइन वोटिंग में सबसे ज्यादा वोट मिले। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शि चिनफिंग को पछाड़ा।
अमेरिकी पत्रिका ने पाठकों को 10 नवंबर से शुरू हुए सप्ताह के लिये 'पर्सन आफ द वीकÓ चुनने को कहा था। तेंदुलकर को 54 यानी 88 प्रतिशत वोट मिले। वहीं चिनफिंग को 6.1 प्रतिशत वोट मिले। पत्रिका ने कहा कि भारत के शीर्ष क्रिकेटर और अपनी पीढ़ी के महानतम क्रिकेटर माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने संन्यास से पहले अपना आखिरी टेस्ट खेला। टाइम पत्रिका ने तेंदुलकर के दस महानतम पलों को समेटे एक विशेष आनलाइन फीचर भी डाला है।
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ट्विटर पर भी सचिन ही सचिन

नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013।। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले सचिन तेंदुलकर को अलविदा कहने का सिलसिला ट्विटर पर भी जारी रहा और बॉलीवुड कलाकारों, खिलाडिय़ों से लेकर राजनीतिज्ञों ने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामना देने के लिए सोशल नेटवर्किंग का सहारा लिया।
टेनिस स्टार रोजर फेडरर ने लिखा कि क्या यादगार करियर रहा। भविष्य के लिए शुभकामनाएं। इंग्लैंड के स्पिनर ग्रेम स्वान ने लिखा कि सचिन तेंदुलकर आज संन्यास ले रहे हैं। क्या महान खिलाड़ी रहा है। क्रिस गेल ने लिखा कि सचिन के ऐतिहासिक 200वें टेस्ट का हिस्सा बनना खुशी की बात रहा। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने लिखा कि यह सचिन का करिश्मा ही है कि उनके खेलने के दौरान और बाद में भी हम उनकी चर्चा कर रहे हैं। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने सचिन का पसंदीदा गीत तू जहां-जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा उन्हें समर्पित किया। उन्होंने कहा कि सचिन खामोश रहते हैं। उनका दिल बहुत बड़ा है और हमेशा दूसरों की मदद को तत्पर रहते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी कि उन्हें जीवन में सारी खुशियां मिलें। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सचिन के बिना क्रिकेट की कल्पना करना मुश्किल है। इतने उतार, चढ़ाव, जश्न और खुशियां। मैं क्रिकेट का धुर समर्थक नहीं रहा हूं, लेकिन आज सचिन को संन्यास लेते देखकर मेरा गला भी भर आया।
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बड़ी मुश्किल से होता है चमन में सचिन सा दीदावर पैदा

नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। क्रिकेट को मजहब और उन्हें खुदा मानने वाले देश में एक अरब से अधिक क्रिकेटप्रेमियों की अपेक्षाओं का बोझ भी कभी सचिन तेंदुलकर को उनके लक्ष्य से विचलित नहीं कर सका और ऐसा उनका आभामंडल रहा कि करियर की आखिरी पारी तक भारत ही नहीं दुनिया की नजरें उनके बल्ले पर गड़ी रही।
मुंबई में शनिवार को अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलने वाले तेंदुलकर महान खिलाडिय़ों की जमात से भी ऊपर उठ गए। क्रिकेट खुशकिस्मत रहा कि उसे तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी मिला, जिसने न सिर्फ समूची पीढ़ी को प्रेरित किया, बल्कि उसके इर्द गिर्द क्रिकेट प्रशासकों ने करोड़ों कमाई करने वाला एक उद्योग स्थापित कर डाला। चौबीस बरस तक सचिन ने जिस सहजता से अपेक्षाओं का बोझ ढोया, उससे सवाल उठने लगे थे कि वह इंसान हैं या कुछ और।
पूरे करियर में एक भी गलतबयानी नहीं, मैदान के भीतर या बाहर कोई विवाद नहीं, शर्मिंदगी का एक पल नहीं। तेंदुलकर एक संत से कम नहीं रहे, जिन्होंने अपनी विनम्रता से युवा पीढ़ी के क्रिकेटरों को सिखाया कि शोहरत और दबाव का सामना कैसे करते हैं। सिर्फ 16 बरस की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरे सचिन का सामना चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से पहले ही कदम पर हुआ। वसीम अकरम और वकार युनूस के सामने उन्होंने जिस परिपक्वता का परिचय दिया, क्रिकेट पंडितों को इल्म हो गया कि एक महान खिलाड़ी पदार्पण कर चुका है।
दुनिया ने सचिन की शख्सियत का एक और पहलू देखा जब 1999 विश्व कप के दौरान अपने पिता की मौत के शोक में डूबे होने के बावजूद उन्होंने अंतिम संस्कार के बाद लौटकर कीनिया के खिलाफ शतक जड़ा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जडऩे वाले एकमात्र बल्लेबाज सचिन को डान ब्रैडमेन के बाद सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के रूप में याद रखा जाएगा।
बतौर कप्तान वह कामयाब नहीं रहे और वह ऐसा दौर था जब बल्लेबाजी का दारोमदार उन पर इस हद तक था कि उनके आउट होने को भारतीय पारी का अंत माना जाता था। पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ वह खराब फार्म में थे और आस्ट्रेलिया के दौरे पर भी अपेक्षाओं का बोझ उन पर बढ़ गया, लेकिन सचिन ने आत्मविश्वास की नई परिभाषा गढ़ते हुए सुनिश्चित किया कि अपने घरेलू दर्शकों के सामने अपनी शर्तों पर क्रिकेट को अलविदा कहेंगे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण से काफी पहले तेंदुलकर ने 1988 में लार्ड हैरिस शील्ड अंतर विद्यालय मैच में विनोद कांबली के साथ 664 रन की साझेदारी करके अपनी प्रतिभा की बानगी पेश कर दी थी। उन्होंने पहला टेस्ट शतक 1990 में इंग्लैंड में लगाया। इसके बाद उन्होंने ब्रायन लारा के सर्वोच्च टेस्ट पारी (नाबाद 400) और सर्वोच्च प्रथम श्रेणी स्कोर (नाबाद 501) को छोड़कर बल्लेबाजी के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये।
वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक जडऩे वाले भी वह पहले बल्लेबाज थे। उन्होंने फरवरी 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यह कमाल किया। ब्रेडमैन ने 1999 में कहा था कि सचिन की शैली उनकी शैली से मेल खाती है। सचिन की इन सब उपलब्धियों के देखकर कहा जा सकता है कि बड़ी मुश्किल से होता है चमन में सचिन सा दीदावर पैदा।
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अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हुए सचिन 

0 1997 में सचिन को विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया।
0 केंद्र सरकार ने 1997-98 में ही सचिन को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा था।
0 वर्ष 1999 में सचिन पद्मश्री से नवाजे गए थे। उससे पहले 1994 में सचिन को अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।
0 सचिन को 2008 में उनकी उपलब्धियों के लिए देश के दूसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण-पद्म विभूषण से नवाजा गया।
0 वर्ष 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े नागरिक अलंकरण-महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा।
0 2003 में सचिन विश्व कप के सबसे अच्छे खिलाड़ी रहे।
0 वह 2004, 2007 और 2010 में आईसीसी वर्ल्ड ओडीआई इलेवन का हिस्सा रहे।
0 2005 में सचिन को राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया।
0 सचिन ने 2009, 2010 और 2011 में आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट इलेवन में जगह बनाई।
0 वर्ष 2010 में सचिन को विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वल्र्ड पुरस्कार मिला था।
0 2010 में ही आईसीसी ने सचिन को वर्ष के श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी का सर गैरी सोबर्स ट्रॉफी प्रदान किया था।
0 2010 में ही सचिन को एली पीपुल्स च्वाइस अवार्ड मिला था।
0 2011 में सचिन को कैस्ट्राल इंडियन क्रिकेटर ऑफ द इअर अवार्ड से नवाजा गया।
0 2011 में ही सचिन को बीसीसीआई क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।
0 2010 में सचिन को भारतीय वायु सेना ने मानद ग्रुप कैप्टन नियुक्त किया।
0 2012 में सचिन को विजडन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।
0 2012 में ही सचिन को आस्ट्रेलिया सरकार ने ऑनरेरी मेम्बर ऑफ द आर्डर ऑफ आस्ट्रेलिया से नवाजा।
0 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने उनके अंतिम टेस्ट विदाई पर देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्नÓ देने की घोषणा की। 

रिकॉर्ड पुरुष हैं सचिन
0 सर्वाधिक 200 टेस्ट , सचिन ने अपना पहला टेस्ट 15 नवम्बर, 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला और अंतिम टेस्ट मुम्बई में 14 नवम्बर, 2013 को वेस्टइंडीज के साथ खेला।
0 सर्वाधिक 463 एकदिवसीय मैच, सचिन ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ गुजरावाला में खेला। अंतिम एकदिवसीय मैच 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 15,921 रन, टेस्ट मैचों में सचिन के नाम 68 अर्धशतक और 115 कैच भी दर्ज हैं।
0 एकदिवसीट मैचों में सर्वाधिक 18,426 रन, एकदिवससीय मैचों में सचिन के नाम 96 अर्धशतक और 140 कैच हैं।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 51 शतक, सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 248 रन है।
0 एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक 49 शतक, एकिदवसीय मैचों में सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 200 रन है।
0 एकदिवसीय मैच में सबसे पहले 200 रनों का व्यक्तिगत आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज
0 प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में 50,000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले भारतीय
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक छह शतक लगाने वाले बल्लेबाज
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में 2000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले बल्लेबाज
0 एक कैलेंडर वर्ष (1998) में सर्वाधिक 1894 एकदिवसीय रनों का रिकॉर्ड।
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वो 22 गज मेरे लिए मंदिर की तरह है : सचिन
मुंबई, 17 नवंबर 2013।  इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहकर पूरे देश को भावुक करने के बाद भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने रविवार को पहली बार मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि वो 22 गज की पिच मेरे लिए मेरे लिए मंदिर के समान है, उसने मुझे सब कुछ दिया। अपने 24 साल के करियर को सपनों का सफर बताते हुए सचिन ने कहा कि अभी भी मुझे यकीन नहीं हो रहा कि बस अब क्रिकेट और नहीं खेल पाऊंगा. क्रिकेट मेरी जिंदगी रहा है। ये मेरे लिए ऑक्सीजन है। अब भी मैं टीवी पर विदाई का विजुअल देखकर भावुक हो जाता हूं।
किसी भी भारतीय खिलाड़ी को अब तक कि सबसे यादगार विदाई मिलने के बाद सचिन ने कहा कि आज (रविवार) की सुबह काफी राहत भरी थी। मैं आज सुबह साढ़े 6 बजे उठा तो मुझे लगा कि जल्दी तैयार होकर मैच के लिये भागना नहीं है। किसी तरह की जल्दी नहीं थी। आज खुद चाय बनाई और पत्नी के साथ शानदार नाश्ता किया। साथ ही एसएमएस से लोगों की शुभकामनाओं के जवाब दिए। 
वेस्टइंडीज के खिलाफ शनिवार को अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर 24 बरस के इंटरनेशनल करियर को विराम देने वाले सचिन तेंदुलकर ने संन्यास के अपने फैसले पर कहा कि मेरे संन्यास को लेकर सालों से सवाल उठ रहे थे और मैं हमेशा कहता आया था कि जिस दिन यह अहसास होगा कि मुझे खेलना रोक देना चाहिये, मैं खुद ऐलान करूंगा। मुझे लग रहा था कि मेरा शरीर अब खेलने के लिए फिट नहीं रहा है तो मैंने फैसला ले लिया। अभ्यास में प्रयास करना पड़ रहा था और यह अहसास होते ही मैने फैसला ले लिया, जिसका मुझे कोई खेद नहीं है। उन्होंने कहा कि 24 साल तक देश के लिये खेलते हुए मैंने अलग-अलग चुनौतियों का सामना किया, लेकिन परिवार, कोचों, दोस्तों और साथी खिलाडिय़ों की मदद से यह सफर स्वर्णिम रहा। मुझे कल (शनिवार) रात तक यकीन नहीं हो रहा था कि अब कहीं नहीं खेलूंगा,  लेकिन मुझे कोई खेद नहीं है। यह सही वक्त था और मैने अपने 24 साल के सफर का पूरा मजा लिया। तेंदुलकर ने यह भी कहा कि वह भविष्य में क्रिकेट से जुड़े रहेंगे। संन्यास लेते वक्त मैं इतना इमोशनल नहीं हुआ था। परिवार उस दौरान जरूर भावुक हो गया था

आगे क्या करेंगे सचिन 
भविष्य की प्लानिंग से जुड़े सवालों पर मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि क्रिकेट अकादमी खोलने का आइडिया अच्छा है। वैसे अभी मैं आराम करना चाहता हूं। व्यंग्य भरे लहजे में उन्होंने कहा कि 24 साल खेला हूं तो कम से कम 24 दिन तो आराम करूंगा ही। उन्होंने कहा कि मैं युवा खिलाडिय़ों की मदद करता रहूंगा। देश के लिए काम करता रहूंगा। 

अर्जुन को अपने हाल पर छोड़ दें
सचिन ने मीडिया से अपने बेटे अर्जुन पर दबाव नहीं बनाने का आग्रह किया। अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं और मुंबई की अंडर-14 टीम के सदस्य रह चुके हैं। उनके प्रदर्शन पर हालांकि मीडिया की निगाह लगी रहती है, जिससे सचिन खुश नहीं नजर आए। सचिन ने कहा कि पिता होने के नाते मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उसे अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उसे क्रिकेट का मजा लेने दीजिए। उससे अपेक्षाएं मत रखो कि उसके पिता ने ऐसी क्रिकेट खेली तो उसे भी वैसा ही खेलना होगा। उन्होंने कहा कि मैंने कभी इस तरह की अपेक्षाएं नहीं झेली हैं। मेरे पिताजी प्रोफेसर थे और मेरे समय में मेरे पिताजी से यह सवाल नहीं किया गया कि आपके बेटे ने कलम के बजाय क्रिकेट का बल्ला क्यों थाम लिया। तेंदुलकर ने कहा कि अर्जुन भी क्रिकेट से भरपूर प्यार करता है और उसे भी इस खेल का पूरा लुत्फ उठाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये प्यार जरूरी है और वह इस खेल से प्यार करता है। मैं उस पर प्रदर्शन का दबाव नहीं डालना चाहूंगा। आप भी दबाव मत डालो. उसे खुला छोड़ दो और खेल का मजा लेने दो। आगे क्या होता यह भगवान तय करेंगे, हम नहीं। 

विकेट से बात करते वक्त हो गया था भावुक
सचिन ने यह भी कहा कि विदाई के दौरान मैदान पर अपने जज्बात काबू में रखने की उन्होंने पूरी कोशिश की लेकिन विकेट से बात करते समय वह आंसू नहीं रोक सके. उन्होंने कहा कि उस समय मुझे लगा कि मैं अब कभी भारत के लिये नहीं खेलूंगा तो मैं काफी भावुक हो गया. मुझे लगा कि मैं आखिरी बार स्टेडियम में खेल रहा हूं। जब ड्रेंसिंग रूम में लौट रहा था तो मेरी आंख में आंसू थे। उस अहसास को जाहिर कर पाना मुश्किल है, लेकिन इस सबके बावजूद मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका दिल हमेशा भारत की जीत के लिये दुआ करता रहेगा। 

मेरी मां का मुझे खेलते देखना बेहद स्पेशल था
सचिन ने कहा कि मेरी मां ने कभी मुझे मैदान में खेलते नहीं देखा था। मैंने बीसीसीआई से अनुरोध किया कि मेरा आखिरी टेस्ट मुंबई में आयोजित करे। यह मेरी मां के लिये सरप्राइज था। उन्होंने कहा कि मेरी मां बहुत खुश थी। पहले मुझे लगा कि स्वास्थ्य कारणों से वह आएगी भी या नहीं। मैने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से एक कमरा भी रखने के लिये कहा था लेकिन मेरी मां ने पूरा मैच देखा। यह मेरे लिये खास पल था। 

मुझ पर परिवार की अपेक्षाओं का बोझ नहीं था
सचिन ने कहा कि मेरे परिवार ने मेरी हमेशा हौसलाअफजाई की है। चाहे मैं शतक बनाऊं या 15-20 रन। मैं अच्छा प्रदर्शन इसलिए कर सका, क्योंकि परिवार से अपेक्षाओं का बोझ नहीं था। हर भारतीय परिवार की तरह हम भगवान को मिठाई चढ़ाकर खुशी मनाते हैं और मेरी मां ने कल (शनिवार को) भी यही किया। अपने भाई और प्रेरक अजीत तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा कि हम दोनों का यह साझा सपना था। मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि अजीत ने मेरे लिये क्या किया है। कल वह भावुक था, लेकिन मुझे दिखा नहीं रहा था। 

चोटों के दौरान लगा कि बस अब नहीं खेल पाऊंगा
करियर में कई चोटों का सामना करने वाले लिटिल मास्टर ने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा था कि वह दोबारा बल्ला भी नहीं पकड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां काफी मुश्किल थी और करियर खत्म होने का डर था। टेनिस एल्बो के बाद तो मैं अपने बेटे अर्जुन का प्लास्टिक का बैट भी नहीं उठा पा रहा था। मैदान पर उतरा तो 10-12 साल के बच्चे मेरे शाट्स रोक रहे थे जिससे मुझे लगा कि अब दोबारा नहीं खेल पाऊंगा। उस समय कई लोगों की मदद से मैं वापसी कर सका। उन सभी को धन्यवाद। 

म्यूजिक के शौकीन मास्टर ब्लास्टर
संगीत के शौकीन सचिन तेंदुलकर से उनके पसंदीदा फनकारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी एक का नाम लेना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि संगीत मेरा शौक और साथी है। मैं खूब गाने सुनता हूं। अच्छे मूड में होता हूं तो अलग और खराब मूड में अलग। सभी कलाकारों की कद्र करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं होता. कुछ तो बरसों से लगातार बेहतरीन गा रहे हैं। 
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मेरा भारत रत्न देश की सभी मांओं 
को समर्पित : सचिन 


मुंबई, 17 नवंबर 2013। क्रिकेट से संन्यास ले चुके सचिन तेंदुलकर ने रविवार को खुद को मिलने वाले भारत रत्न को देश की सभी माताओं को समर्पित किया। सचिन ने कहा कि माताओं को अपने बच्चों को पालने और काबिल बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है, उसका उन्हें पूरा अहसास है इसलिए वह इस अलंकरण को सभी माताओं को समर्पित कर रहे हैं।
संन्यास लेने और भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा किए जाने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में सचिन ने कहा कि भारत रत्न मेरी मां के लिए है। एक पुत्र होने के नाते मैं समझ सकता हूं कि मुझे पालने में मेरी मां को कितनी तकलीफ हुई। मेरे माता-पिता ने मुझे बड़ा करने और काबिल बनाने के लिए कितना बलिदान किया है। सिर्फ मेरी मां ने ही नहीं बल्कि दुनिया और देश की करोड़ों मांएं अपने बच्चों को बड़ा करने और काबिल बनाने के लिए अनगिनत बलिदान करती हैं। मैं उन सभी माताओं को यह सम्मान समर्पित करता हूं। वानखेड़े स्टेडियम में अपने 200वें और अंतिम टेस्ट के बाद पिच को झुककर सलाम करने से जुड़े सवाल पर सचिन ने कहा कि दरअसल वह क्रिकेट को उन सभी चीजों के लिए धन्यवाद देना चाहते थे, जो क्रिकेट ने उनको दी हैं।
सचिन ने कहा कि उनका क्रिकेट जीवन वानखेड़े स्टेडियम से शुरू हुआ और उन्होंने हमेशा इसे तथा दुनिया के अन्य सभी स्टेडियमों को मंदिर की तरह पूजा है। चूंकि मैं वानखेड़े स्टेडियम में अपना अंतिम मैच खेल रहा था, इसलिए मैं इस मंदिर के पटल को छूकर धन्यवाद करना चाहता था। मैंने ऐसा ही किया। पिच को छुआ और पूरे सम्मान के साथ उसका धन्यवाद किया।
सचिन ने कहा कि उनके शरीर ने उन्हें ये संदेश दे दिया था कि संन्यास का वक्त आ चुका है। मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। आगे क्या करूंगा ये सोचने के लिए अभी वक्त चाहिए क्योंकि फिलहाल तो 24 साल क्रिकेट खेलने के बाद कम से कम 24 दिन आराम करना चाहूंगा। सचिन ने कहा कि उनके करियर में सबसे यादगार दिन विश्व कप की जीत और संन्यास का कल का दिन था जबकि सबसे दुखद क्षण 2003 के विश्व कप के फाइनल में मिली हार।
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पीएम ने सचिन तेंदुलकर को लिखा पत्र, बताया दूत

नई दिल्ली,  17 नवंबर 2013।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और जानेमाने वैज्ञानिक सी एन आर राव को पत्र लिखकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए चुने जाने पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने तेंदुलकर को लिखे पत्र में उन्हें खेल जगत में सही मायने में भारत का दूत बताया। सिंह ने कहा कि आपको यह सम्मान देकर देश ने जीवंत किदवंती को सम्मानित किया है, जिसकी कई उपलब्धियों और क्रिकेट के मैदान पर असाधारण प्रदर्शन ने विश्व में लाखों लोगों को प्रेरित किया है। आप सही मायने में खेल जगत में भारत के दूत रहे हैं। हम आपको एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और वैश्विक खेल प्रतीक के रूप में सलाम करते हैं। 
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर देशवासियों को न केवल खेलों में बल्कि मानव प्रयास के अन्य क्षेत्रों में भी प्रेरित करते रहेंगे। सिंह ने राव को लिखे बधाई पत्र में युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा को  'धर्यपूर्वक निखारनेÓ करने के उनके प्रयासों के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ने लिखा कि आपको यह पुरस्कार देकर देश ने एक विख्यात वैज्ञानिक और 'सॉलिड स्टेट एंड मैटेरियल्स केमेस्ट्रीÓ की एक जानीमानी अंतरराष्ट्रीय हस्ती का सम्मान किया है। हम न केवल वैज्ञानिक के रूप में आपके कार्य बल्कि युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा को धर्यपूर्वक निखारने तथा हमारे देश में वैज्ञानिक ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए सलाम करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों को उनका मार्गदर्शन आगे भी मिलता रहेगा। तेंदुलकर (40) और राव (79) दोनों देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता भी हैं। तेंदुलकर और राव भारत रत्न प्राप्त करने वाली 41 प्रमुख हस्तियों में शामिल हो गए हैं। इस सम्मान की शुरुआत 1954 में हुई थी।
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भारतीय मीडिया में सचिन की विदाई......




































Friday, 11 October 2013

क्रिकेट के 'भगवान' ने टेस्ट क्रिकेट को भी कहा अलविदा

0 14 नवंबर को मुंबई में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलेंगे अपना आखिरी टेस्ट
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2013। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की एक विज्ञप्ति में अपने संन्यास की घोषणा की। अभी तक अटकलें लग रही थी कि सचिन इस सीरीज के बाद भी खेलते रहेंगे लेकिन टेस्ट तथा वनडे में सर्वाधिक मैचों, रनों एवं शतकों के विश्व रिकार्डधारी ने यह घोषणा कर इन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। 14 नवंबर को अपने देश में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलेंगे। मैच का वेन्यू अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह ऐतिहासिक मैच सचिन के गृहनगर मुंबई में खेलेंगे।
सचिन ने अपने संन्यास की चौंकाने वाली घोषणा करते हुए कहा कि मैंने अपने पूरे जीवन में देश के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा था। पिछले 24 वर्षों में मैं रोजाना इसी सपने के साथ जिया था। मेरे लिए इस बात की कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है कि क्रिकेट के बिना मेरा जीवन कैसा होगा।
वर्ष 1989 में अपना करियर शुरू करने के बाद पूरी दुनिया को अपनी बल्लेबाजी से चमत्कृत करने वाले और क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाज सर डान ब्रैडमैन को अपना मुरीद बनाने वाले सचिन ने कहा कि मेरे लिए क्रिकेट के बिना खुद को महसूस कर पाना भी बहुत मुश्किल होगा क्योंकि 11 वर्ष की उम्र से मैं यही करता आ रहा हूं।

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले 40 वर्षीय सचिन ने कहा कि देश का प्रतिनिधित्व करना और पूरी दुनिया में खेलना मेरे लिए एक बड़ा सम्मान था। मुझे घरेलू जमीन पर 200वां टेस्ट खेलने का इंतजार है। जिसके बाद मैं संन्यास ले लूंगा।
सचिन ने गत वर्ष दिसंबर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम की घोषणा से पहले वनडे से संन्यास ले लिया था। सचिन ने इस वर्ष अपनी टीम मुंबई इंडियन्स को आईपीएल छह जीतने के बाद आईपीएल को और हाल में चैंपियन्स लीग जीतने के बाद ट्वंटी-20 को अलविदा कह दिया था।
क्रिकेट के बेताज बादशाह ने देश की सर्वोच्च क्रिकेट संस्था बीसीसीआई को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं बीसीसीआई को इतने वर्षों में मुझे दिए गए समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं कि उसने मुझे तब संन्यास लेने की अनुमति की जब मेरे दिल ने यह फैसला किया।
सचिन ने साथ ही कहा कि मैं अपने परिवार का उनके धैर्य और समझ के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। मैं अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों का भी शुक्रगुजार हूं जिन्होंने अपनी प्रार्थनाओं और दुआओं से मुझे मैदान में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की ताकत दी।
वर्ष 1989 में 15 नवंबर को कराची में पाकिस्तान के खिलाफ 16 वर्ष की मासूम उम्र में अपना अन्तर्राष्ट्रीय करियर शुरू करने वाले सचिन ने हाल ही में चैंपियन्स लीग के दौरान 50 हजार रन पूरे किए थे। उन्होंने अब तक 198 टेस्टों में 53.86 के औसत से 15837 रन बनाए हैं जिनमें विश्व रिकार्ड 51 शतक और 67 अर्धशतक शामिल हैं।
उनका सर्वाधिक स्कोर नाबाद 248 रन है। सचिन ने 463 वनडे मैचों में 44.83 के औसत से 18426 रन बनाए हैं जिनमें विश्व रिकार्ड 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं। वह वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज हैं।
सचिन दोनों तरह की क्रिकेट में शतकों का महाशतक बनाने का अद्भुत कारनामा किया है। सचिन ने अपना पिछला टेस्ट मार्च 2013 में दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। उनका आखिरी वनडे गत वर्ष 18 मार्च को ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ था। अपने करियर में सचिन ने मात्र एक ट्वंटी 20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था।
क्रिकेट इतिहास के सबसे संपूर्ण बल्लेबाज माने जाने वाले सचिन को देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न (1997-98), अर्जुन पुरस्कार (1994), पद्मश्री (1999) और देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (2008) से सम्मानित किया जा चुका है। सचिन के लिए ही देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के नियमों में संशोधन कर इसमें खिलाड़ियों के वर्ग को भी शामिल किया गया था। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के साथ सचिन भारत रत्न पाने के सबसे बड़े प्रबल दावेदार है। क्रिकेट के बाइबल विजडन में वर्ष 2002 में सचिन को ब्रैडमैन के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाज और विवियन रिचर्ड्स के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ वनडे बल्लेबाज आंका था।
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नवम्बर-दिसम्बर और दस का दिलचस्प संयोग

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2013। क्रिकेट के बादशाह सचिन तेंदुलकर के 24 वर्षों के शानदार करियर में नवम्बर और दिसम्बर महीने तथा दस की संख्या का दिलचस्प संयोग रहा। सचिन के गुरुवार को घोषणा की कि वह नवम्बर में वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।
टेस्ट और वनडे के विश्व रिकार्डधारी सचिन ने 16 वर्ष की उम्र में अपना टेस्ट करियर 15 नवम्बर 1989 को कराची में पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किया था और वह नवम्बर 2013 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेंगे। यानी उनका टेस्ट पदार्पण और संन्यास का एक ही महीना नवम्बर रहेगा।
सचिन ने अपने वनडे करियर की शुरुआत 18 दिसम्बर को गुजरांवाला में पाकिस्तान के खिलाफ की थी और वनडे से संन्यास भी उन्होंने दिसम्बर में ही लिया। मास्टर ब्लास्टर ने गत वर्ष दिसम्बर में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज से पहले वनडे से अपने संन्यास का ऐलान किया था। हालांकि सचिन ने अपना आखिरी वनडे मार्च 2012 में खेला था, लेकिन एकदिवसीय क्रिकेट से उन्होंने संन्यास दिसम्बर में लिया। सचिन के लिए दस की संख्या बेहद शुभ है। वह वनडे में दस की जर्सी पहनकर खेला करते थे और टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान उन्होंने जिस तारीख को किया वह 10 अक्टूबर है। यानी अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा तारीख के लिए उन्होंने अपनी पसंदीदा दस की संख्या चुनी।
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10 सबसे यादगार पारियां
 
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर, 2013।
भारत में धर्म बन चुके क्रिकेट के भगवान, साथी खिलाड़ियों के पाजी और विपक्षी टीम के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने अपनी 24 साल पुरानी क्रिकेट पारी को अलविदा कहने का दिन तय कर दिया है। वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले अपने 200वें टेस्ट के बाद वह क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।
लिटिल मास्टर सचिन तेंदुलकर ने गुरुवार को टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बीसीसीआई को एक पत्र लिखकर बताया कि 14 नवंबर को वेस्टइंडीज के साथ अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह अपनी 24 साल की ‘टेस्ट पारी’ घोषित कर देंगे।
बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने सचिन की ओर से एक बयान जारी किया, जिसमें इस बात का जिक्र है। बीसीसीआई को लिखे एक पत्र में सचिन ने बीसीसीआई को करियर के दौरान समर्थन और अपनी पसंद से सन्यास के लिए समर्थन देने का भी धन्यावाद दिया है। हालांकि लंबे समय से खराब फॉर्म से जूझने के कारण सचिन तेंदुलकर पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दबाव था। खासकर युवा खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन करके उनपर दबाव बना रहे थे।
तेंदुलकर ने संभावना जताई है कि वह अपना अंतिम टेस्ट घरेलू मैदान मुंबई पर खेलेंगे। हालांकि कोलकाता का ईडन गार्डंस भी इस ऐतिहासिक मैच की मेजबानी का प्रबल दावेदार है। बीसीसीआई ने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज के दो टेस्ट स्थलों की घोषणा नहीं की है। बहरहाल, सचिन के इस फैसले के बाद जहां उनके प्रशंसकों ने अफसोस जताया है, वहीं पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों ने सही समय पर लिया गया निर्णय करार दिया है।
क्रिकेट का भगवान...मास्टर ब्लास्टर...छोटा बाबू...नाम अनेक पर शख्स एक। जी, हम बात कर रहे हैं सचिन तेंदुलकर की। आइये आपको बताते हैं चालीस साल के सचिन की दस पारियां, जो क्रिकेट के इतिहास में हमेशा बेमिसाल रहेंगी।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर एक ऐसा मशहूर नाम है, जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है। 24 अप्रैल, 1973 को मुंबई में जन्मा टीम इंडिया का यह सितारा इस उम्र में भी दनादन रन बरसाने के लिए बेचैन रहता है। क्रिकेट में ऐसा कोई भी बड़ा रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें इस महान बल्लेबाज का नाम शामिल न हो। भारत को कई मैचों में जीत दिलाने वाले इस सितारे ने पिछले साल दिसंबर में अचानक ही वनडे क्रिकेट को अलविदा कह दिया, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में इनका जलवा अभी भी बरकरार है।

1. सिडनी टेस्ट

ऑस्ट्रेलिया के महान फिरकी गेंदबाज शेन वार्न के सपने में आकर डराने वाले तेंदुलकर ने उनके पहले ही टेस्ट मैच में भी यादगार पारी खेली। 1991-92 में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच (सिडन) में उन्होंने 148 रनों की नाबाद पारी खेली। इस टेस्ट में 206 रन बनाने वाले रवि शास्त्री के साथ उन्होंने 196 रनों की साझेदारी भी की, जिसके दम पर भारत लगातार दो मैच में मिल रही हार का सिलसिला तोड़ पाया।

2. फरवरी 1990

तेज गेंदबाजों के लिए स्वर्गगाह कहे जाने वाले न्यूजीलैंड में फरवरी, 1990 में तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में खेली गई। सीरीज का दूसरा मैच नेपियर में खेला गया और यह मैच बारिश से खासा प्रभावित रहा, जिससे मैच ड्रा हो गया, लेकिन मास्टर ब्लास्टर ने इस मैदान पर 88 रनों की उम्दा पारी खेली। अब तक छह टेस्ट मैच खेल चुके सचिन की यह अर्धशतकीय पारी उस समय तक उनके करियर की सबसे बेहतरीन पारी थी।

3. 1992-93

इंग्लैंड की टीम भारत के दौरे पर आई और उसे सभी तीनों मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा। सीरीज का दूसरा मैच चेन्नई के चेपक मैदान पर खेला गया और इस मैच में सचिन ने पहली पारी में 296 गेंदों में 165 रनों की लाजवाब पारी खेली, जिसके दम पर भारत ने 560 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। इसके बाद भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने इंग्लिश बल्लेबाजों को इस कदर नचाया कि दोनों पारियों में वह भारत के बराबर स्कोर नहीं बना सके और मेहमान टीम को पारी और 22 रनों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

4. 22 अप्रैल, 1998
शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए 143 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। भारत के सामने उस मुकाबले को जीतने के लिए 285 रनों का लक्ष्य था, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 254 रन बनाने जरूरी थी। उसी बीच धूल भरी आंधी के कारण खेल को करीब 25 मिनट रोकना पड़ा। उसके बाद लक्ष्य फिर से निर्धारित किया गया। इस बार 46 ओवरों में जीत के लिए 276 रनों का लक्ष्य दिया गया, जबकि फाइनल में पहुंचने के लिए 237 रन निर्धारित किए गए। भारत वह मैच तो नहीं जीत सका, लेकिन सचिन तेंदुलकर द्वारा 131 गेंदों में बनाए गए 143 रनों की बदौलत टीम इंडिया ने 46 ओवरों में 5 विकेट के नुकसान पर 250 रन बनाए और न्यूजीलैंड को पछाड़कर फाइनल में अपनी जगह पक्की की।

5. 24 अप्रैल, 1998
कोका कोला कप के फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए 134 रनों का कोई जवाब नहीं। उस यादगार पारी की बदौलत भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से हराया था। सचिन ने अपनी पारी में 12 चौके और 3 छक्के लगाए थे। ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों की नजर में भी यह पारी सचिन की सबसे यादगार पारियों में से एक है।

6. 1 मार्च, 2003
विश्व कप क्रिकेट के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ सचिन तेंदुलकर द्वारा 75 गेंदों में बनाए गए 98 रनों की याद आज भी ताजा है। उस मुकाबले में सचिन शतक से महज 2 रन दूर रह गए, लेकिन शोएब अख्तर की गेंद पर बैकवर्ड प्वाइंट क्षेत्र में लगाया गया शानदार छक्का आज भी क्रिकेट इतिहास के लंबे छक्कों में से एक है। भारत ने 26 गेंद शेष रहते वह मुकाबला 6 विकेट से अपने नाम किया था।

7. जनवरी, 2004
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मुकाबले में सिडनी में सचिन तेंदुलकर द्वारा बनाए गए नाबाद 241 रन उनकी बेहतरीन यादगार पारियों में से एक है। सचिन तेंदुलकर ने 613 मिनट तक 436 गेंदों का सामना कर 33 चौकों की मदद से नाबाद 241 रन बनाए थे।

8. 5 नवंबर, 2009

अहमदाबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 141 गेंदों में बनाए गए 175 रन यादगार पारियों में से एक है। हालांकि उस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 351 रनों के लक्ष्य को टीम इंडिया हासिल नहीं कर सकी और महज 3 रन से मैच हार गई, लेकिन सचिन तेंदुलकर की जबरदस्त पारी ने उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिलवाया। सचिन ने उस मैच में 19 चौके और 4 छक्के लगाए थे।

9. 24 फरवरी, 2010
ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने वो कारनामा किया, जिसका इंतजार विश्व क्रिकेट को जमाने से था। सचिन ने नाबाद 200 रनों की पारी खेली और वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले क्रिकेटर बने। सचिन ने सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौके और 3 छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए।

10. 30 मार्च, 2011
विश्व कप क्रिकेट के सेमीफाइनल मुकाबले में सचिन तेंदुलकर द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बनाए गए शानदार 85 रनों को कैसे भुलाया जा सकता है। मोहाली में खेले गए उस हाई वोल्टेज मुकाबले में सचिन ने 115 गेंदों में 11 चौकों की मदद से 85 रन बनाए थे, जिसकी बदौलत टीम इंडिया निर्धारित 50 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बना सकी। भारत ने वह मुकाबला 29 रन से जीता और सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
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तेंदुलकर आनलाइन पोल में ब्रैडमैन से आगे
 





लंदन, 10 अक्टूबर 2013। सचिन तेंदुलकर को एक अंग्रेजी अखबार के आनलाइन पोल में सर्वकालिक महान बल्लेबाजों में डान ब्रैडमैन और ब्रायन लारा से ऊपर शीर्ष स्थान मिला है। इस भारतीय महान बल्लेबाज ने आज टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की।
द टेलीग्राफ ने अपने पाठकों से 10 बल्लेबाजों से सर्वश्रेष्ठ को चुनने को कहा, जिसमें तेंदुलकर, ब्रैडमैन, लारा, विवियन रिचर्ड्स, रिकी पोंटिंग, गैरी सोबर्स, जाक कैलिस, लेन हटन, राहुल द्रविड़ और एलेन बोर्डर शामिल थे। भारतीय समयानुसार शाम साढ़े आठ बजे तक 2108 मत पड़े थे जिसमें तेंदुलकर को 1,146 वोट (54.36 प्रतिशत) मिले। वह ब्रैडमैन से आगे रहे जिन्हें 558 (26.47 प्रतिशत) मत मिले। लारा और रिचर्ड्स क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
इस अखबार ने हालांकि कहा कि तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट में किसी भी अन्य खिलाड़ी से ज्यादा रन और शतक जुटाए हों लेकिन वह आईसीसी की करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग में शीर्ष 10 में जगह नहीं बना सके जिसकी पेचीदा गणना खिलाड़ियों को उनकी उनकी फार्म में हासिल उपलब्धियों से रैंकिंग देती है।
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सचिन को भारत रत्न मिलना चाहिये : अनुराग ठाकुर
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2013।
टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से नवाजने की मांग करते हुए बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि वह इसकी सिफारिश खेल मंत्रालय से करने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे।
तेंदुलकर ने गुरुवार को घोषणा की कि वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने उनका 200वां टेस्ट करियर का आखिरी टेस्ट भी होगा।
हिमाचल प्रदेश से भाजपा सांसद ठाकुर ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और देश के करोड़ों युवा सचिन तेंदुलकर से प्रेरणा लेते हैं। वह सिर्फ मैदान पर टूर्नामेंट जिताने के लिए नहीं जाने जाते बल्कि मैदान के बाहर भी अपने आचरण से युवाओं के रोलमॉडल हैं। अब उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कहने की घोषणा कर दी है तो सरकार को खुद पहल करते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सचिन सही मायने में भारत रत्न के हकदार हैं और उन्हें यह सम्मान देने में देर नहीं की जानी चाहिए। बीसीसीआई को भी उनके नाम की सिफारिश खेल मंत्रालय से करनी चाहिए और मैं खुद बोर्ड अध्यक्ष एन.श्रीनिवासन को आज इस बारे में पत्र लिखूंगा। बोर्ड की अगली बैठक में भी यह मसला उठाउंगा।
तेंदुलकर के विदाई टेस्ट की तैयारियों के बारे में पूछने पर ठाकुर ने कहा कि इस बारे में फैसला मंगलवार को टूर और फिक्चर्स समिति की बैठक के बाद लिया जाएगा। ठाकुर ने कहा कि निश्चित तौर पर तेंदुलकर की विदाई यादगार होगी। उनके विदाई टेस्ट के बारे में फैसला मंगलवार की बैठक में लिया जाएगा।
गृह मंत्रालय के भारत रत्न की श्रेणी में खेल को शामिल करने के खिलाफ होने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि सरकार में निर्णय लेने की क्षमता होती तो तेंदुलकर को बहुत पहले ही भारत रत्न मिल गया होता। सरकार की रूचि खेलों से ज्यादा खेल संघों की आपसी खींचतान में रही है जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 
तेंदुलकर को भारत रत्न देने की बढ़ती मांग के मद्देनजर केंद्र सरकार ने तत्कालीन खेलमंत्री अजय माकन के अनुरोध पर 2011 में भारत रत्न के लिए पात्रता में खेलों को शामिल किया था। बाद में खेल मंत्रालय ने महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए जाने की सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय ने हालांकि खेलों को भारत रत्न के दायरे से बाहर रखने का सुझाव यह कहकर दिया था कि इससे दावेदारों की कतार खड़ी हो जाएगी।
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स्वर्णिम युग का अंत हो गया: पवार
नई दिल्ली।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने से स्वर्णिम युग का अंत हो गया। पूर्व आईसीसी अध्यक्ष पवार ने कहा कि सचिन तेंदुलकर के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसले से भारतीय क्रिकेट के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के क्रिकेट के स्वर्णिम युग का अंत हो गया। उन्होंने क्रिकेट पर बादशाह की तरह राज किया है और उनकी लंबी पारियों ने खुद उनके और खेल के लिये कई उपलब्धियां हासिल की हैं।
   
उन्होंने बयान में कहा कि उनकी उपलब्धियां सभी क्रिकेटरों के लिए प्रेरणादायी हैं और वह भविष्य में भी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेंगे। बतौर खिलाड़ी उन्होंने मैदान के अंदर और बाहर जो जज्बा दिखाया है, वह अद्भुत है। पवार ने कहा कि उनकी खेल के प्रति एकाग्रता, प्यार और उत्साह ही उनकी उपलब्धियों की प्रेरक शक्ति है। क्रिकेट खेलने वाले सभी देश उनकी प्रशंसा करते हैं और दुनिया में उनके लाखों प्रशसंक हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी तुलना खेल के कई महान खिलाड़ियों से की गई है और उन्हें उचित रूप से आधुनिक युग के डान ब्रैडमैन कहा जाता है। मुझे भरोसा है कि वह इस खेल से जुड़े रहेंगे। हमारी शुभकामनायें हमेशा उनके साथ रहेंगी।
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भारतीय क्रिकेट के सम्मान और कीर्तिमान पुरुष हैं सचिन
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर सही मायने में भारतीय क्रिकेट के सम्मान और कीर्तिमान पुरुष हैं। सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के करियर में अनेक मान-सम्मान और अलंकरण हासिल किए। वह खेलों के माध्यम से राज्य सभा में आए और देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान तथा दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण हासिल किया। सचिन को 2008 में उनकी उपलब्धियों के लिए देश के दूसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण-पद्म विभूषण से नवाजा गया।

उपलब्धियां एक नजर
0 केंद्र सरकार ने 1997-98 में ही सचिन को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा था।
0 वर्ष 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े नागरिक अलंकरण-महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा।
0 वर्ष 1999 में सचिन पद्मश्री से नवाजे गए थे। उससे पहले 1994 में सचिन को अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।
0 वर्ष 2010 में सचिन को विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वल्र्ड पुरस्कार मिला था।
0 2010 में ही आईसीसी ने सचिन को वर्ष के श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी का सर गैरी सोबर्स ट्रॉफी प्रदान किया था।
0 2010 में ही सचिन को एली पीपुल्स च्वाइस अवार्ड मिला था।
0 सचिन ने 2009, 2010 और 2011 में आईसीसी वल्र्ड टेस्ट इलेवन में जगह बनाई।
0 वह 2004, 2007 और 2010 में आईसीसी वल्र्ड ओडीआई इलेवन का हिस्सा रहे।
0 1997 में सचिन को विजडन क्रिकेटर ऑफ द इअर चुना गया।
0 2003 में सचिन विश्व कप के सबसे अच्छे खिलाड़ी रहे।
0 2005 में सचिन को राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया।
0 2011 में सचिन को कैस्ट्राल इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवार्ड से नवाजा गया।
0 2011 में ही सचिन को बीसीसीआई क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।
0 2010 में सचिन को भारतीय वायु सेना ने मानद ग्रुप कैप्टन नियुक्त किया।
0 2012 में सचिन को विजडन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।
0 2012 में ही सचिन को आस्ट्रेलिया सरकार ने ऑनरेरी मेम्बर ऑफ द आर्डर ऑफ आस्ट्रेलिया से नवाजा।

24 में अनेक कीर्तिमान
सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला कर लिया है। अगले महीने वेस्टइंडीज के साथ होने वाली दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला के बाद सचिन अपने 24 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर को विराम देंगे। इन 24 साल में सचिन ने अनेक कीर्तिमान अपने नाम किए हैं। उन्होंने इतने सारे रिकार्ड अपने नाम किए कि एक समय ऐसा भी आया, जब उन्हें कीर्तिमान पुरुष या फिर रिकार्ड पुरुष कहा जाने लगा।

सचिन के नाम दर्ज प्रमुख रिकार्ड
0 सर्वाधिक 198 टेस्ट (यह आंकड़ा 200 तक पहुंचेगा), सचिन ने अपना पहला टेस्ट 15 नवम्बर, 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला और अंतिम टेस्ट सम्भवत: मुम्बई में 15 नवम्बर, 2013 को वेस्टइंडीज के साथ खेलेंगे।
0 सर्वाधिक 463 एकदिवसीय मैच, सचिन ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ गुजरावाला में खेला। अंतिम एकदिवसीय मैच 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 15,837 रन (यह अंतिम आंकड़ा नहीं है), टेस्ट मैचों में सचिन के नाम 67 अर्धशतक और 115 कैच भी दर्ज हैं।
0 एकदिवसीट मैचों में सर्वाधिक 18,426 रन, एकदिवससीय मैचों में सचिन के नाम 96 अर्धशतक और 140 कैच हैं।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 51 शतक, सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 248 रन है।
0 एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक 49 शतक, एकिदवसीय मैचों में सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 200 रन है।
0 एकदिवसीय मैच में सबसे पहले 200 रनों का व्यक्तिगत आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज
0 प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में 50,000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले भारतीय
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक छह शतक लगाने वाले बल्लेबाज
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में 2000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले बल्लेबाज
0 एक कैलेंडर वर्ष (1998) में सर्वाधिक 1894 एकदिवसीय रनों का रिकार्ड।
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सचिन सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में से एक : श्रीनिवासन
नई दिल्ली।
बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का फैसला करने वाले सचिन तेंडुलकर की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि वह दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में शुमार हैं।
तेंडुलकर ने गुरुवार को घोषणा की कि वह वेस्ट इंडीज के खिलाफ अगले महीने अपने करियर का 200वां मैच खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देंगे। श्रीनिवासन ने कहा कि मैं तब से सचिन तेंडुलकर का बड़ा मुरीद और प्रशंसक रहा हूं जब वह बुची बाबू टूर्नामेंट में खेलने के लिए चेन्नई आया करते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि वह भारत के सबसे महान क्रिकेटर हैं। लोगों को तो बल्कि कहना चाहिए कि वह दुनिया के सर्वकालिक टॉप महान खिलाडिय़ों में शुमार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोबारा बीसीसीआई प्रसिडेंट पद संभालने वाले श्रीनिवासन ने कहा कि तेंडुलकर भारत और भारतीय क्रिकेट के सच्चे ऐंबेसडर हैं। उन्होंने कहा कि किसी ने भी भारतीय क्रिकेट की उतनी सेवा नहीं की, जितनी सचिन ने की। वह सिर्फ क्रिकेटरों नहीं बल्कि खिलाडिय़ों की पीढिय़ों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे। हम उनके संन्यास के फैसले का सम्मान करते हैं। हालांकि हमारे में से कई लोग सचिन के बिना भारतीय टीम की कल्पना नहीं कर सकते।
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सचिन की जिंदगी का अनजाना, अनदेखा पहलू...
नई दिल्ली।
क्रिकेट के 'भगवानÓ कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने आखिरकार क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। क्रिकेट के इस सबसे बड़े सितारे के बारे में कई ऐसी बाते हैं, जो आप नहीं जानते। आइए आपको बताते हैं सचिन की जिंदगी का अनजाना, अनदेखा पहलू...
- सचिन का नाम पुराने जमाने के मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया है
- सचिन तेंदुलकर का घर का नाम तेंदुलिया है। जब सचिन ने सबसे पहला पाकिस्तान का टूर (1989) किया था तब उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर उनके साथ गए थे।
- सचिन पहले फास्ट बॉलर बनना चाहते थे और उन्होंने एमआरएफ पेस एकेडमी, चेन्नई में जा कर डेनिस लिली से ट्रेनिंग भी ली।
- सचिन को पहली शेविंग क्रीम (पाल्मोलिव) उनके फास्ट फ्रेंड और पूर्व क्रिकेटर सलिल अंकोला ने दी।
- पहला इंग्लिश विलो का क्रिकेट बैट दिलीप वेंगसरकर ने दिया।
- अपनी पहली कमाई से अपने पिता रमेश तेंदुलकर को आर्मचेयर भेंट की।
- सचिन ने 1989 के टूर पर पहली बार खुद ऑमलेट बनाया था जो उनके भाई ने मिलकर खाया।
- थर्ड अंपायर द्वारा आउट दिए जाने वाले सचिन पहले बैट्समैन हैं
- पत्नी अंजली से 1990 में मिले, एक इंटरव्यू में सचिन ने कहा कि मुझे उनसे इसलिए प्यार हो गया, क्योंकि वह शरमाना जानती हैं।
- 17 साल की उम्र में अपनी पहली कार खरीदी, नीले रंग की मारुति 800 लेकिन इस कार से अपने दोस्तों को बांद्रा स्टेशन छोडऩे जाते वक्त उन्हें डर था कि कहीं उनका चालान न हो जाए
- 1990 के कामयाब दौरे के बाद अपनी सोसायटी साहित्य सहवास के लोगों को बांद्रा इंटरनैशनल होटल खाना खिलाने लेकर गए थे
- किसी बढिय़ा शॉट के लिए सचिन चुम्मा शॉट शब्द का इस्तेमाल करते हैं
- 1990 में इंग्लैंड दौरे पर मनोज प्रभाकर से तैराकी सीखी, सिर्फ आधे घंटे में
- सचिन कभी-कभी मेहमानों के लिए खुद ही चाय बनाते हैं
- सचिन को बैगन का भर्ता बनाना आता है
- उन्हें घडिय़ां बेहद पसंद हैं, उनके पसंदीदा ब्रैंड हैं कातिये और रॉलेक्स
- मुंबई के लिए खेलने के बाद उनका लोकल ट्रेनों में सफर करना छूट गया
- वर्ली के सत्यम सिनेमा में रोजा फिल्म देखने के लिए भेस बदल कर गए थे सचिन
- उनके हेल्मेट और किट बैग पर तिरंगे का स्टिकर लगा है
- टेस्ट मैच का पहला अनुभव इतना कठिन था कि सचिन को लगा कि वह कभी टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे
- सचिन को अफसोस है कि उन्हें कभी वेस्ट इंडीज के महान फास्ट बोलर मार्शल, रॉबर्ट्स, होल्डिंग और गार्नर का सामना करने का मौका नहीं मिला
- फैसलाबाद टेस्ट में इमरान खान की इनस्विंगर जिसपर सचिन आउट हुए, उसके लिए सचिन ने कहा कि 'फुट भर आत आलाÓ यानी एक फीट अंदर आई...
- सचिन को गुस्सा भी आता है। अपनी इच्छा के खिलाफ परिवार के साथ फोटो खींचने के लिए एक पत्रकार को सचिन ने खूब लताड़ा था
- सचिन जब छोटे थे तब उन्हें क्रिकेट के आंकड़ों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी
- पहली बार किसी अखबार को इंटरव्यू एक ईरानी रेस्त्रां में बैठकर दिया था
- पत्रकारों के फोन कॉल से परेशान होकर एक बार उन्होंने उसी कॉलनी में एक दोस्त के घर फिल्में देखकर कई दिन बिताए
- उनकी पसंदीदा फिल्म है जाने भी दो यारो
- सचिन को ऐक्शन फिल्में काफी पसंद हैं
- रणजी, ईरानी और दलीप ट्रॉफी में अपने पहले मैचों में ही शतक जड़े थे सचिन ने
- परंपरागत पोशाक शायद ही कभी पहनते हैं
- सचिन फॉर्मूला वन के शौकीन हैं और माइकल शुमाकर के फैन हैं
- अमिताभ ने सचिन को देश की धड़कन बताया था
- सचिन खाने के काफी शौकीन हैं। सलिल अंकोला के साथ वह ज्यादा खाने की शर्त लगाते थे और हमेशा जीत जाते थे
- एक ऐसा भी वक्त था जब सचिन एक ही बार में 8 वड़ा पाव खा सकते थे
- भारत और न्यूजीलैंड के बीच 1989-90 में नेपियर टेस्ट में जॉन राइट ने 88 के स्कोर पर उनका कैच लपका और सचिन सबसे कम उम्र में टेस्ट सेंचुरी लगाने से चूक गए
- सचिन पहले फास्ट बोलर बनना चाहते थे और इसके लिए एमआरएफ पेस एकैडमी भी गए जहां डेनिस लिली ने उनसे बोलिंग की बजाय बैटिंग पर ध्यान देने के लिए कहा
- सचिन टेबल टेनिस खेलते हैं, दोनों हाथों से खेल सकते हैं और टूअर पर जाते हैं तो अपना रैकेट साथ ले जाते हैं
- सचिन को अपनी मां के हाथ का बना खाना बहुत पसंद है, खासकर मछली
- सचिन कभी-कभी अपने स्कूल शारदा आश्रम की टीम के लिए बोलिंग की शुरुआत करते थे
- सचिन के किट बैग में उनकी बेटी साराह और अर्जुन द्वारा बनाया एक कॉर्ड रहता है जिस पर लिखा है ऑल द बेस्ट पापा।
- सचिन आज भी अपनी मां रजनी के पांव छुए बगैर घर से नहीं निकलते।
- सचिन के पास 50 से अधिक घडिय़ों की क्लेक्शन है जिनमें देशी और विदेशी दोनों शामिल हैं।
- सचिन को पतंग उड़ाने का शौक है।
- दिल्ली आने पर बटर चिकन और दाल बुखारा खाना नहीं भूलते। जब मुंबई में रहते हैं तो वड़ा पाव खाना पसंद करते हैं।
- उनको लॉफ्टर चैलेंज में राजू श्रीवास्तव की परफॉर्मंस बहुत अच्छी लगती है।
- सचिन अपने क्रिकेट के सामान को लेकर काफी पजेजिव हैं, उनका बैट, पैड या कोई और चीज कोई छुए, उन्हें पसंद नहीं
- सचिन को अपने बच्चों को रात में कहानियां सुनाना अच्छा लगता है। उनकी कहानियों में रोहन नाम का काल्पनिक पात्र है। यह नाम उन्होंने ही रखा है।
- सचिन की ख्वाहिश एक बार महान बॉक्सर मोहम्मद अली से मिलने की है। सचिन एक दिन फॉर्म्युला 1 कार भी चलाना चाहते हैं।
- सचिन गणेश भगवान के भक्त हैं और उन्होंने अपने घर में उनकी कई प्रतिमाएं रखी हैं।
- वह अमिताभ बच्चन के फैन हैं और शोले, दीवार, ब्लैक, हेरा फेरी और सत्ते पे सत्ता फिल्में उनकी पसंदीदा हैं।
- सचिन वास्तु शास्त्र में विश्वास करते हैं। बांद्रा में बन रहा उनका नया घर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार बन रहा है
- टीवी पर सचिन को डिस्कवरी चैनल देखना बेहद पसंद है।
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क्रिकेटरों ने तेंदुलकर की तारीफों के पुल बांधे
नई दिल्ली।
सचिन तेंदुलकर के अगले महीने अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा करने के बाद मौजूदा और पूर्व क्रिकेटरों ने इस महान बल्लेबाज की तारीफों के पुल बांधे। क्रिकेट की दुनिया में हर तरफ तेंदुलकर की सराहना ही देखने को मिली।  
पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजी में इतना बड़ा निर्वात्त आ गया है। उसकी जगह लेना आसान नहीं होगा। देखिए लक्ष्मण, गांगुली और द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद क्या हुआ। मध्यक्रम को एकजुट होने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट में चौथे नंबर पर कुछ महान खिलाड़ी खेले हैं। जो भी चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है वह काफी दबाव में होता है और उसे बड़ी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होता है।
आधुनिक क्रिकेट के सबसे महान बल्लेबाज माने जाने वाले तेंदुलकर ने आज घोषणा की कि वेस्टइंडीज के खिलाफ अगले महीने 200वां टेस्ट खेलने के बाद वह टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देंगे जिससे 24 साल के उनके अंतरराष्ट्रीय करियर का भी अंत हो जाएगा।
गावस्कर ने कहा कि उन्होंने जब तेंदुलकर को पहली बार नेट पर बल्लेबाजी करते हुए देखा था तभी उन्हें समझ में आ गया था कि वह महान उपलब्धियां हासिल करेगा। गावस्कर ने कहा कि ऐसे किसी खिलाड़ी की कल्पना करना मुश्किल है जिसने खेल के इतिहास में लिटिल मास्टर की तरह पारंपरिक तकनीक और आक्रामकता का ऐसा मिश्रण किया हो। ऐसा कोई शाट नहीं है जिसे वह नहीं खेल सकता।
एक अन्य पूर्व भारतीय कप्तान और लंबे समय तक तेंदुलकर के टीम के साथी रहे सौरव गांगुली ने का कि वेस्टइंडीज सीरीज की शुरुआत से पहले संन्यास की घोषणा करके इस दिग्गज बल्लेबाज ने सही फैसला किया। गांगुली ने कहा कि यह सही फैसला है और उसने इसे सही समय पर लिया। मैं बेहद खुश हूं कि उसने सीरीज की शुरुआत से पहले ऐसा किया। मैं देश के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इन दो टेस्ट मैच को देखने आए, फिर भले ही यह कोलकाता में हो या मुंबई में, सिर्फ इस महान व्यक्ति के प्रति सम्मान दिखाने के लिए आएं।   
पूर्व भारतीय कप्तान और लोकसभा सदस्य मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कहा कि तेंदुलकर का फैसला हैरानी भरा नहीं है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर ऐसा होने वाला था लेकिन मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं थी कि कब ऐसा होने वाला है। लेकिन यह उसका फैसला है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। हमें उसके करियर को ऐसी चीज के रूप में देखना चाहिए जिसने हमेशा हमें खुशी दी और गौरवांवित किया।
अजहर ने कहा कि मैंने पहली बार उसे हैदराबाद बनाम मुंबई रणजी मैच में खेलते हुए देखा जहां उसने अच्छी बल्लेबाजी की। इसके बाद मैंने उसका गजब का साहस अब्दुल कादिर के खिलाफ ड्रेसिंग रूम से देखा। काफी लोगों में प्रतिभा होती है लेकिन जिस चीज ने उसे अलग बनाया वह उसका जुनून है।
तेंदुलकर से जुड़े सबसे यादगार लम्हें के बारे में पूछने पर अजहर ने कहा कि ऐसे कई मौके है लेकिन बेशक 1996 केपटाउन टेस्ट मैच जहां हम दोनों ने शतक बनाया। दक्षिण अफ्रीका के आक्रमण में एलेन डोनाल्ड, शान पोलाक, ब्रायन मैकमिलन और लांस क्लूसनर शामिल थे लेकिन खेल के निश्चित समय के दौरान हमने उनके जबर्दस्त धुनाई की।
गांगुली ने कहा कि तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ विदेशों में जिस तरह से बल्लेबाजी की उससे भारत को क्रिकेट की दुनिया में सम्मान मिला। उन्होंने कहा कि उसने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और पाकिस्तान के खिलाफ विदेशों में जिस तरह बल्लेबाजी की उससे भारत को वर्ष 2000 के बाद सम्मान मिला। इसमें उसकी अहम भूमिका रही। मेरे लिए यह सबसे बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में सिडनी में उसकी पारी सर्वश्रेष्ठ थी। सिडनी में अंतिम टेस्ट में 240 रन की पारी के दौरान उसने एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया। यह उस व्यक्ति की क्षमता और मानसिक मजबूती को दिखाता है। महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने इसे क्रिकेट के लिए बुरा दिन करार दिया।
मुरलीधरन ने कहा कि मुझे लगता है कि यह भारतीय क्रिकेट और विश्व क्रिकेट के लिए बुरा दिन है। हम सचिन को दोबारा खेलते हुए नहीं देखेंगे। वह अपने शर्तों पर संन्यास ले रहा है। श्रीलंका के इस स्टार खिलाड़ी ने कहा कि निश्चित तौर पर हम हमेशा सचिन का विकेट लेना चाहते थे। सभी विरोधी उसे आउट करना चाहते हैं। अधिकांश समय वह जंग में जीत जाता है। वह इतना महान खिलाड़ी है।
तेंदुलकर को महानतम क्रिकेटर करार देते हुए पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि इस दिग्गज बल्लेबाज का यह फैसला उनके लिए हैरानी भरा था। उन्होंने कहा कि सचिन भारत का सबसे महान क्रिकेटर है और सभी क्रिकेटरों के लिए मैदान के अंदर और बाहर बेहतरीन आदर्श। उसने सभी प्रारूपों में लगभग हर रिकार्ड अपने नाम किया और खेल के इतिहास के उसका करियर सबसे महान करियर में से एक है।
भारत की ओर से 116 टेस्ट खेलने वाले वेंगसरकर ने कहा कि मुझे उससे संन्यास की उम्मीद नहीं थी। मैंने सोचा था कि वह पूरा साल (सत्र) खेलेगा। उसने 200 टेस्ट के बाद शीर्ष पर रहते हुए संन्यास का फैसला किया।
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सचिन ने सही वक्त पर किया संन्यास का फैसला: गांगुली
कोलकाता। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने गुरुवार को कहा कि महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सही समय पर संन्यास का फैसला किया है। गांगुली ने कहा कि अब बीसीसीआई को सचिन के अनुभव का उपयोग क्रिकेट के होनहारों को तराशने के लिए किया जाना चाहिए। सचिन के साथ लम्बे समय तक एकदिवसीय मैचों में जोड़ीदार रहे गांगुली ने कहा कि सचिन ने सही समय पर फैसला किया है।
सचिन के साथ अच्छी साझेदारियां निभा चुके गांगुली ने कहा कि सचिन की सबसे बड़ी खासियत उनका खेल के प्रति समर्पण और उनका नजरिया रहा है।
गागुंली ने कहा कि वह सचिन से सबसे पहले इंदौर में आयोजित एक अंडर-16 कैम्प में मिले थे। गांगुली ने कहा कि मैंने जब उन्हें देखा था, तब मैं उनकी प्रतिभा से हैरान था। वह सभी तरह के शॉट खेल सकते थे। उनमें इस खेल में सफल होने की जबरदस्त भूख थी। सचिन के अनुभव का कैसे उपयोग किया जाए, इस सम्बंध में गांगुली ने कहा कि भारतीय क्रिकेट में सचिन की महान उपयोगिता है। वह भारतीय क्रिकेट के अनमोल धरोहर हैं। उन्हें इस देश में क्रिकेट प्रतिभाओं को तराशने के लिए कहा जाना चाहिए।
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मीडिया में सचिन का संन्यास......