0 सचिन का संन्यास, क्रिकेट के एक युग का अंत
मुंबई, 16 नवंबर 2013। विश्व क्रिकेट को भारत की सबसे महान देन 'भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल और एक दिन के ओजस्वी करियर के बाद शनिवार को संन्यास ले लिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में खेलते हुए भारतीय टीम ने सचिन को उनके करियर के 200वें टेस्ट में पारी की जीत का शानदार तोहफा और गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
सचिन ने मैदान से बाहर जाते हुए अपने साथियों और दर्शकों अभिनंदन स्वीकार किया। सचिन के संन्यास के साथ ही भारत ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में एक युग का समापन हो गया। एक ऐसा युग, जिसमें इस महान खिलाड़ी ने क्रिकेट के हर रिकार्ड को अपनी धरोहर बनाकर रखा और मैदान के बाहर तथा मैदान के अंदर करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहे।
सचिन ने 10 नवम्बर को संन्यास की घोषणा की थी। सचिन ने अपने संदेश में कहा था कि मैंने जीवन में देश के लिए खेलने का सपना पाला था। बीते 24 साल से मैं हर दिन इस सपने को जी रहा हूं। मेरे लिए क्रिकेट के बगैर रहना नामुमकिन सा लगता है, क्योंकि 11 साल की उम्र से मैं इस खेल के साथ रचा-बसा हूं। देश के लिए खेलना मेरे लिए महान सम्मान की बात है। मैं अपने घरेलू मैदान पर 200वां टेस्ट मैच खेलते हुए इस महान खेल को अलविदा कहना चाहता हूं। बीते सालों में मेरा साथ देने के लिए मैं बीसीसीआई को धन्यवाद कहना चाहता हूं। साथ ही मैं अपने परिवार को उसके संयम और मेरी भावना को समझने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। सबसे बाद में और सबसे अधिक दिल से मैं अपने प्रशंसकों को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने लगातार अपनी प्रार्थनाओं और हौसलाअफजाई से मुझे अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करनी की क्षमता और शक्ति प्रदान की।
सचिन के संन्यास के बाद दिग्गजों ने उनकी जमकर सराहना की। श्रीलंका की विश्वकप विजेता टीम के कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने ट्वीट करते हुए कहा, भारतीय क्रिकेट जगत के लिए यह एक दुखद दिन है। टेस्ट क्रिकेट के लिए वास्तव में यह एक बड़ा नुकसान है। अपने पूरे करियर के दौरान खेल को लेकर उनकी प्रतिबद्धता अद्वितीय रही। प्रख्यात अंपायर डिकी बर्ड ने कहा कि तेंदुलकर का खेल डॉन ब्रैडमैन के समतुल्य था। तेंदुलकर के पर्दापण मैच में कप्तान रहे के. श्रीकांत ने कहा कि सचिन का 200 टेस्ट मैचों में हिस्सा लेने और 100 शतक लगाना अद्वितीय है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर ने कहा, उन्होंने पूरी दुनिया के गेंदबाजों पर विजय पाई है। उनके रिकॉर्डो को तोड़ पाना बहुत मुश्किल है। इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने लिखा, सार्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक सचिन, मेरे आदर्श खिलाडिय़ों में से एक और जिनके खिलाफ खेलना सबसे बड़ी उपलब्धि होती थी।
सचिन ने अपने 24 साल के करियर में अनेक मान-सम्मान और अलंकरण हासिल किए। वह खेलों के माध्यम से राज्य सभा में आए और देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान तथा दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण हासिल किया।
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वानखेड़े की पिच को सचिन का आखिरी सलाम
मुंबई, 16 नवंबर 2013। वानखेड़े स्टेडियम सचिन तेंदुलकर के लिए नर्सरी रहा है। सचिन ने शनिवार को संन्यास लेने के साथ इस ऐतिहासिक स्टेडियम की पिच को झुककर सलाम किया और फिर अपने परिवार के साथ ड्रेसिंग रूम में चले गए।
किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी ने आज से पहले अपने लिए नर्सरी का काम करने वाली पिच को झुककर सलाम नहीं किया लेकिन सचिन ने अपने व्यक्तित्व के साथ पूरा न्याय करते हुए न सिर्फ अपने करियर में योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया बल्कि उस पिच को भी नहीं भूले, जहां से उन्होंने प्रतिस्पर्धी क्रिकेट की शुरुआत की थी। सचिन अपने भावनात्मक सम्बोधन के बाद बारी-बारी से विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी के कंधे पर बैठकर मैदान का चक्कर लगाया और फिर वानखेड़े की पिच का रुख किया। वहां पहुंचकर सचिन ने उसके प्रति अपना पूरा सम्मान प्रकट किया और फिर उसे झुककर छुआ और सलाम किया।
सचिन अपने अंतिम सम्बोधन में उस शिवाजी पार्क और आजाद मैदान का भी जिक्र करना नहीं भूले, जहां उन्होंने इस खेल का ककहरा सीखा था। सचिन के मुताबिक वह अपने भाई अजीत तेंदुलकर के साथ सुबह दादर में स्थित शिवाजी पार्क में खेलते और फिर शाम को कोलाबा में स्थित आजाद मैदान में अभ्यास करते।
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यकीन नहीं होता कि 22 गज के बीच का जीवन खत्म हो गया : सचिन
मुंबई, 16 नवंबर 2013। भीगी पलकों के साथ सचिन तेंदुलकर ने आज जब क्रिकेट को अलविदा कहा तब दिल को छू लेने वाले अपने भाषण में परिवार, कोचों, साथियों, दोस्तों और प्रशंसकों को शुक्रिया कहना नहीं भूले और यह भी कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि पिछले 24 साल से 22 गज के दरमियान की उनकी जिंदगी खत्म हो गई है। अपने जज्बात पर काबू रखने की पूरी कोशिश करने वाले तेंदुलकर ने जब अपने उद्गार व्यक्त किए तो वानखेड़े स्टेडियम पर जमा लोग भावविभोर हो गए।
भारत की जीत के बाद तेंदुलकर पुरस्कार वितरण समारोह में जब बोलने आए तब उन्होंने सबसे पहले कहा, शांत हो जाइये दोस्तों, वरना मैं बहुत भावुक हो जाऊंगा। यह यकीन करना मुश्किल है कि मेरा अद्भुत सफर खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं पहली बार सूची लेकर आया हूं जिन्हें मुझे धन्यवाद देना है क्योंकि कई बार मैं भूल जाता हूं। तेंदुलकर ने कहा, सबसे पहले मेरे पिता (रमेश तेंदुलकर) जिनका 1999 में निधन हो गया। उनके मार्गदर्शन के बिना मैं आपके सामने खड़ा नहीं होता। उन्होंने मुझसे कहा कि अपने सपने पूरे करो, हार नहीं मानो और कभी शार्टकट मत अपनाओ। मुझे आज उनकी कमी खल रही है। पहली बार उन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में खेलते देखने आई मां रजनी तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शरारती बच्चे से वह कैसे निपटती रही होंगी। जिस दिन से मैने खेलना शुरू किया, वह सिर्फ मेरे लिये दुआयें करती आई है। मैं स्कूल के दिनों में चार साल अपने काका और काकू के साथ रहा, जिन्होंने मुझे अपने बेटे की तरह माना।
तेंदुलकर ने कहा, मेरा सबसे बड़ा भाई नितिन बहुत बोलता नहीं है लेकिन उसने कहा था कि तुम जो भी करोगे, मुझे पता है कि अपना शत प्रतिशत दोगे। मेरा पहला बल्ला मेरी बहन सविता ने दिया था। अभी भी जब मैं बल्लेबाजी करता हूं तो वह उपवास रखती है। अपने भाई अजित के बारे में उन्होंने कहा कि अजित और मैने यह सपना साथ देखा था। उसने मेरे लिये अपना कैरियर कुर्बान कर दिया। वह मुझे आचरेकर (रमाकांत) सर के पास लेकर गया। पिछली रात भी उसने मुझे फोन करके मेरे विकेट के बारे में बात की। जब मैं नहीं खेलता हूं तब भी हम तकनीक पर बात करते हैं। तेंदुलकर ने फिर अपनी पत्नी अंजलि को धन्यवाद देते हुए उन्हें अपना सबसे बेहतरीन जोड़ीदार बताया। उन्होंने कहा कि अंजलि से शादी मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पल था। मुझे पता था कि एक डाक्टर होने के नाते उसके सामने सुनहरा कैरियर था। जब हमारा परिवार बढ़ा तो उसने फैसला किया कि मैं खेलता रहूं और वह घर संभालेंगी। इतने सालों तक मेरी सारी बकवास सुनने के लिये शुक्रिया। मेरे जीवन की तुम सबसे उम्दा साझेदारी हो। उन्होंने वहां मौजूद अपने बच्चों अर्जुन और सारा से भी वादा किया कि अब वह उनके साथ अधिक समय बिताकर इतने साल समय नहीं दे पाने की भरपाई करेंगे। उन्होंने अपने सास-ससुर और दोस्तों को भी धन्यवाद दिया।
तेंदुलकर ने बीसीसीआई और एमसीए को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने साथी क्रिकेटरों, सहयोगी स्टाफ, डाक्टरों और ट्रेनरों को भी शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा, मेरे साथ खेल चुके सभी सीनियर क्रिकेटरों को धन्यवाद। राहुल (द्रविड़), वीवीएस लक्ष्मण, सौरव (गांगुली) और अनिल (कुंबले) जो यहां नहीं हैं। उन्होंने कहा, जब एम एस धोनी ने मुझे 200वें टेस्ट की कैप सौंपी तो मैने टीम को एक संदेश दिया कि हम सभी देश का प्रतिनिधित्व करके गौरवान्वित हैं। मुझे पूरा यकीन है कि आप इसी तरह देश की सेवा करते रहेंगे।
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क्रिकेट के बिना सचिन की कल्पना तक नहीं कर सकती : अंजलि तेंदुलकर
मुंबई, 16 नवंबर 2013। अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अंजलि तेंदुलकर ने आज कहा कि उनके लिये अपने पति सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट के बिना सोच पाना कठिन है और अब क्रिकेट नहीं खेलना उनके ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिये काफी भावुक होगा। अंजलि ने कहा, मैं सचिन की क्रिकेट के बिना कल्पना नहीं कर सकती। मैं उनके बिना क्रिकेट के बारे में सोच सकती हूं लेकिन क्रिकेट के बिना सचिन के बारे में नहीं सोच सकती । सचिन ने आज वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे और आखिरी टेस्ट में भारत की जीत के साथ 24 साल के कैरियर को अलविदा कह दिया।
अंजलि ने कहा कि घर में अब हालात काफी अलग होंगे। उन्होंने कहा कि अब हालात अलग होंगे। हम सभी को अब उनके घर पर होने की आदत हो जायेगी लेकिन मैं उन्हें कुछ जिम्मेदारियां सौंपना चाहूंगी। उन्होंने कहा कि सचिन अपने जज्बात जाहिर नहीं करते । सचिन हालांकि मैदान पर आज उस समय भावुक हो गए जब साथी खिलाडिय़ों ने जीत के बाद उन्हें गार्ड आफ आनर दिया।
अंजलि ने कहा कि मैं जितने साल से उन्हें जानती हूं, सचिन अपने जज्बात छिपाने में माहिर है। उन्होंने हमें कभी नहीं जताया कि वह मैच से पहले तनाव में हैं या अपने बारे में कही गई किसी बात से निराश हैं। यह पूछने पर कि क्या उन्होंने अपने जज्बात छिपाने के लिये चश्मा पहन रखा है, अंजलि ने कहा कि मैं अपनी भावनायें जाहिर नहीं करती, लेकिन पिछले एक महीने में इसके बारे में सोच सोचकर ही मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं। यह काफी जज्बाती पल है।
अंजलि ने कहा कि सचिन ने संन्यास को बखूबी निभाया और भविष्य के बारे में उनसे मशविरे के बाद ही यह फैसला लिया। उन्होंने कहा, मैं बता नहीं सकती कि हमारे लिये इसके क्या मायने हैं। इस बारे में काफी सोचा कि संन्यास लेना है और कब लेना है। लेकिन एक बार फैसला लेने के बाद उन्होंने इसे बखूबी निभाया। इसके बारे में शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, वह हमेशा कहते थे कि जिस पल उन्हें लगेगा कि वह अपना शत प्रतिशत नहीं दे पा रहे, उसी समय संन्यास का फैसला ले लेंगे। एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि वह समय आ गया है। मुझे लगता है कि मुझे संन्यास ले लेना चाहिये।
अंजलि ने कहा कि लोगों के प्यार से वह अभिभूत हैं। सिर्फ मुंबई ही नहीं, पूरे देश और पूरी दुनिया से उन्हें जिस तरह की प्रतिक्रियायें मिली हैं, उससे हम भावविहल हैं। उन्होंने कहा कि सचिन कभी खुद को क्रिकेट से अलग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, वह कभी भी पूरी तरह से क्रिकेट से अलग नहीं हो सकते। इतने साल में जब भी एक महीने का ब्रेक होता तो हम छुट्टियों पर चले जाते। वह हमेशा कहते हैं कि मैं ज्यादा नहीं खा सकता क्योंकि मुझे फिर खेलना है । वह हमेशा जिम जाते या अजरुन के साथ खेलते। उन्होंने कहा कि उनके बच्चे सारा और अजरुन भी अपनी भावनाओं को हावी नहीं होने देते। अंजलि ने यह भी कहा कि शादी से पहले उन्हें पता था कि सचिन पहले मुंबई के और फिर पूरे देश के हैं। उन्होंने कहा, हमारी शादी से पहले मुझे पता था कि वह सिर्फ मेरे नहीं बल्कि मुंबई और पूरे देश के हैं और उसके बाद ही वह मेरे हैं।
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खेल मंत्री ने सचिन को शानदार करियर के लिए दी बधाई
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। । खेल मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज सचिन तेंदुलकर को शानदार करियर सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये बधाई देते हुए कहा कि उनका 24 साल का करियर एक दुर्लभ उपलब्धि है। मंत्री ने बयान में कहा कि सचिन तेंदुलकर ऐसे खिलाड़ी के बेहतरीन उदाहरण है जिसने खेल को इतनी शिद्दत से प्यार किया है। वह इतने विनम्र, ईमानदार, निष्ठावान और प्रतिभा के धनी हैं।
उन्होंने कहा कि 24 साल तक खेल के सभी प्रारूपों टेस्ट, वनडे और टी-20 में उनके चमकदार प्रदर्शन एक दुर्लभ उपलब्धि है जो उनकी प्रतिबद्धता बयां करता है। जितेंद्र सिंह ने कहा कि खेल मंत्रालय देश में सभी खेलों में अच्छे संचालन को बढावा देने के लिये इस महान बल्लेबाज का इस्तेमाल करना चाहेगा। उन्होंने कहा, सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट के मैदान पर अनुभव अन्य खेल के खिलाडिय़ों को भी प्रेरित करेगा। खेल मंत्रालय उनके अनुभव का इस्तेमाल करना चाहेगा।
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क्रिकेट से अलविदा कहते हुए रो पड़े सचिन
0 विदाई टेस्ट : सचिन को मिला पारी की जीत का तोहफा
मुंबई, 16 नवंबर 2013। मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की विदाई टेस्ट में भारत ने रोहित शर्मा और चेतेश्वर पुजारा के शतक और सचिन के 74 रन की बदौलत वेस्टइंडीज को पारी और 126 रन से हरा दिया है। भारत दो मैचों की सीरीज 2-0 से जीत ली है। भारत ने लगातार छठा टेस्ट जीता।
इस जीत के बाद सचिन भावुक हो गए। मैदान से पवेलियन लौटते वक्त सचिन की आखों से आंसू छलक आए। सचिन के बेटे अर्जुन की भी आंखों में आंसू थे। श्रीलंका सरकार ने सचिन को ट्रॉफी दी। सचिन अब मैदान पर नहीं दिखेंगे। सचिन के विदाई के बाद पूरा देश भावुक हो गया।
भारतीय क्रिकेट टीम ने वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शनिवार को वेस्टइंडीज को एक पारी और 126 रनों के अंतर से हराकर इस मैच के साथ संन्यास लेने वाले अपने सबसे बड़े स्टार सचिन तेंदुलकर को शानदार तोहफा दिया। मैदान से निकलते वक्त भारतीय टीम ने सचिन को गार्ड ऑफ ऑनर दिया और सचिन ने दर्शकों तथा साथियों का अभिनंदन स्वीकार किया।
वेस्टइंडीज ने अपनी पहली पारी में 182 रन बनाए थे। भारत की ओर से प्रज्ञान ओझा ने पांच और रविचंद्रन अश्विन ने तीन विकेट लिए थे। इसके बाद भारत ने चेतेश्वर पुजारा (113) और रोहित शर्मा (नाबाद 111) के शानदार शतक और अपना 200वां तथा अंतिम मैच खेल रहे सचिन के 74 रनों की बदौलत अपनी पहली पारी में 495 रन बनाकर 313 रनों की बढ़त हासिल की। वेस्टइंडीज की ओर से शेन शिलिंगफोर्ड ने पांच विकेट झटके।
वेस्टइंडीज की टीम दूसरी पारी में 187 रन ही बना सकी। दूसरे दिन की समाप्ति तक वेस्टइंडीज ने 43 रनों पर तीन विकेट गंवा दिए थे। कैरेबियाई टीम ने शुक्रवार को अंतिम पहर में 12.2 ओवर बल्लेबाजी की और कीरन पॉवेल (9), नाइटवॉचमैन टीनो बेस्ट (9) और ब्रावो के विकेट गंवाए। क्रिस गेल छह रनों पर नाबाद लौटे थे।
तीसरे दिन गेल का साथ निभाने मार्लन सैमुएल्स आए लेकिन वह 11 रनों के निजी योग पर ओझा का शिकार बने। सैमुएल्स का विकेट 74 के कुल योग पर गिरा। गेल ने सुबह के सत्र में तीन चौके और एक छक्का लगाया लेकिन वह भी 87 के कुल योग पर ओझा की गेंद पर विकेट के पीछे लपके गए। गेल ने 53 गेंदों पर 35 रन बनाए।
इन दोनों की विदाई के बाद अपना 150वां टेस्ट खेल रहे शिवनारायण चंद्रपॉल पर पारी की हार टालने की जिम्मेदारी आई। चद्रपॉल वेस्टइंडीज के सबसे अनुभवी टेस्ट खिलाड़ी हैं और रनों के मामले में वह ब्रायन लारा के बाद दूसरे क्रम पर आते हैं। चंद्रपॉल का साथ नरसिंह देवनारायण निभा रहे थे लेकिन ओझा ने उन्हें खाता भी नहीं खोलने दिया। सचिन का विकेट लेकर क्रिकेट इतिहास में अमर होने वाले देवनारायण 89 के कुल योग पर ओझा द्वारा उनकी ही गेंद पर लपके गए।
इसके बाद चंद्रपॉल ने नए साथी दिनेश रामदीन (नाबाद 53) के साथ सातवें विकेट के लिए 68 रन जोड़े और अपनी टीम को पारी की हार से बचाने की उम्मीद जगाई लेकिन 157 के कुल योग पर अश्विन ने चंद्रपॉल को पलम्ब कर दिया। चंद्रपॉल ने 62 गेंदों पर चार चौके लगाए और निराशा का भाव लिए पवेलियन लौटे। चंद्रपॉल ने 150 टेस्ट मैचों की 255 पारियों में 44 बार नाबाद रहते हुए 10926 रन बनाए हैं। रनों के लिहाज से वह वेस्टइंडीज के दूसरे सबसे सफल बल्लेबाज हैं। लारा ने 11912 रन बनाए हैं।
लारा ने 130 मैचों में इतने रन जोड़े हैं जबकि चंद्रपॉल ने वेस्टइंडीज के लिए सबसे अधिक 150 मैच खेले हैं। उनके नाम सर्वाधिक 61 टेस्ट अर्धशतक दर्ज हैं। चंद्रपॉल टेस्ट इतिहास के 10 हजारी क्लब में शामिल सातवें बल्लेबाज हैं। चंद्रपॉल के जाने के बाद कप्तान डारेन सैमी (1) को ओझा ने 162 के कुल योग पर चलता कर भारत को आठवीं सफलता दिलाई। भोजनकाल से पहले ही भारत की जीत की सम्भावना को देखते हुए उसे 15 मिनट के लिए आगे कर दिया गया।
इसी दौरान अश्विन ने 185 के कुल योग पर शेन शिलिंगफोर्ड को चलता कर नौवीं सफलता ऐलान किया। अंतिम विकेट के तौर पर शेनॉन गेब्रियल आउट हुए। मोहम्मद समी ने उन्हें खाता खोलने नहीं दिया। भारत की ओर से दूस पारी में ओझा ने पांच और अश्विन ने चार विकेट हासिल किए। एक विकेट समी को मिला। ओझा ने इस मैच में कुल 10 विकेट लिए। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया और इस श्रृंखला में पर्दापण करने के बाद लगातार दो शतक लगाने वाले रोहित शर्मा को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया। ओझा ने अपना पुरस्कार सचिन को समर्पित किया। इसके साथ ही भारत ने दो मैचों सीरीज 2-0 से जीत ली। उनसे कोलकाता में खेले गए पहले मैच में पारी व 51 रनों से जीत हासिल की थी।
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सचिन तेंदुलकर 'स्पोर्टिंग जीनियस' हैं : आईसीसी
दुबई, 16 नवंबर 2013।। आईसीसी ने आज सचिन तेंदुलकर की प्रशंसा की और इसके मुख्य कार्यकारी डेव रिचड्र्सन ने कहा कि 'स्पोर्टिंग जीनियसÓ सचिन एक बिरले खिलाड़ी है। तेंदुलकर ने आज अपना 200वां टेस्ट खेलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। रिचडर्सन ने तेंदुलकर के खिलाफ 1991 से 1998 के बीच 10 टेस्ट और 26 वनडे खेले हैं। उन्होंने कहा कि वह एक ऐसा क्रिकेटर है जिसने अपनी प्रतिभा और प्रतिस्पर्धा के लिये अपने साथियों, सीनियरों, प्रतिद्वंद्वियों और दुनिया भर के प्रशंसकों से सम्मान पाया।
उन्होंने कहा कि स्पोर्टिंग जीनियस जैसे सचिन ऐसे ही दुर्लभ क्रिकेटर हैं और हम खुद को सम्मानित महसूस करते हैं कि हमने उन्हें खेलते हुए देखा। आईसीसी और पूरे क्रिकेट जगत की ओर से मैं सचिन का शुक्रिया अदा करता हूं और हम उन्हें भविष्य में अच्छा करने की शुभकामना करते हैं। रिचर्डसन ने बयान में कहा, उनके 24 साल में 664 अंतरराष्ट्रीय, 34,357 रन और 100 शतक उनके खेल के प्रति प्रतिबद्धता और दृढनिश्चय का ही नहीं, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक मजबूती भी बयां करते हैं जो किसी भी खेल में शीर्ष पर पहुंचने के लिये अहम होते हैं।
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विदाई के दिन सचिन तेंदुलकर को 'भारत रत्न'
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। भारत सरकार ने 200 टेस्ट मैच खेलकर शनिवार को क्रिकेट को अलविदा कहने वाले सचिन तेंदुलकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्नÓ से नवाजने की घोषणा की है। ये सम्मान पाने वाले वो पहले खिलाड़ी होंगे। वैज्ञानिक सीएनआर राव को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई है।
सबसे कम उम्र के 'भारत रत्न' बनेंगे सचिन
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शनिवार को महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्नÓ से सम्मानित करने की घोषणा की। शनिवार को ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले तेंदुलकर यह सम्मान पाने वाले पहले खिलाड़ी हैं। 'भारत रत्नÓ पाने वाले वे सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए हैं। पीएमओ ने तेंदुलकर को जीवित किंवदंती बताया, जो देश के करोड़ों लोगों के प्रेरणास्रोत बने। पीएमओ द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार 16 वर्ष की आयु में खेलना शुरू करने वाले तेंदुलकर ने पिछले 24 वर्षों में पूरी दुनिया में क्रिकेट खेलकर देश को अनेक गौरवों से नवाजा। वक्तव्य में आगे कहा गया है कि वह (तेंदुलकर) खेलों में भारत के सच्चे दूत रहे। क्रिकेट में उनकी उपलब्धियां अतुलनीय हैं। उन्होंने जो कीर्तिमान स्थापित किए वे अद्वितीय हैं तथा जिस खेल भावना का परिचय उन्होंने दिया वह अनुकरणीय है। पीएमओ ने अपने वक्तव्य में आगे कहा कि तेंदुलकर को अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, जो एक खिलाड़ी के रूप में उनकी असाधारण प्रतिभा का परिचायक है। विश्व के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने शनिवार को वेस्टइंडीज के साथ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में अपने 200वें टेस्ट मैच के साथ ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
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अब टाइम पत्रिका ने सचिन तेंदुलकर को 'पर्सन ऑफ द वीक' चुना
न्यूयॉर्क, 16 नवंबर 2013। सचिन तेंदुलकर को कल 'पर्सन ऑफ द मूमेंटÓ बताने वाली टाइम पत्रिका ने आज इस चैम्पियन बल्लेबाज को 'पर्सन ऑफ द वीकÓ चुना है। वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने जा रहे तेंदुलकर को आनलाइन वोटिंग में सबसे ज्यादा वोट मिले। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शि चिनफिंग को पछाड़ा।
अमेरिकी पत्रिका ने पाठकों को 10 नवंबर से शुरू हुए सप्ताह के लिये 'पर्सन आफ द वीकÓ चुनने को कहा था। तेंदुलकर को 54 यानी 88 प्रतिशत वोट मिले। वहीं चिनफिंग को 6.1 प्रतिशत वोट मिले। पत्रिका ने कहा कि भारत के शीर्ष क्रिकेटर और अपनी पीढ़ी के महानतम क्रिकेटर माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने संन्यास से पहले अपना आखिरी टेस्ट खेला। टाइम पत्रिका ने तेंदुलकर के दस महानतम पलों को समेटे एक विशेष आनलाइन फीचर भी डाला है।
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ट्विटर पर भी सचिन ही सचिन
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013।। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले सचिन तेंदुलकर को अलविदा कहने का सिलसिला ट्विटर पर भी जारी रहा और बॉलीवुड कलाकारों, खिलाडिय़ों से लेकर राजनीतिज्ञों ने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामना देने के लिए सोशल नेटवर्किंग का सहारा लिया।
टेनिस स्टार रोजर फेडरर ने लिखा कि क्या यादगार करियर रहा। भविष्य के लिए शुभकामनाएं। इंग्लैंड के स्पिनर ग्रेम स्वान ने लिखा कि सचिन तेंदुलकर आज संन्यास ले रहे हैं। क्या महान खिलाड़ी रहा है। क्रिस गेल ने लिखा कि सचिन के ऐतिहासिक 200वें टेस्ट का हिस्सा बनना खुशी की बात रहा। सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने लिखा कि यह सचिन का करिश्मा ही है कि उनके खेलने के दौरान और बाद में भी हम उनकी चर्चा कर रहे हैं। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने सचिन का पसंदीदा गीत तू जहां-जहां चलेगा, मेरा साया साथ होगा उन्हें समर्पित किया। उन्होंने कहा कि सचिन खामोश रहते हैं। उनका दिल बहुत बड़ा है और हमेशा दूसरों की मदद को तत्पर रहते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी कि उन्हें जीवन में सारी खुशियां मिलें। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सचिन के बिना क्रिकेट की कल्पना करना मुश्किल है। इतने उतार, चढ़ाव, जश्न और खुशियां। मैं क्रिकेट का धुर समर्थक नहीं रहा हूं, लेकिन आज सचिन को संन्यास लेते देखकर मेरा गला भी भर आया।
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बड़ी मुश्किल से होता है चमन में सचिन सा दीदावर पैदा
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2013। क्रिकेट को मजहब और उन्हें खुदा मानने वाले देश में एक अरब से अधिक क्रिकेटप्रेमियों की अपेक्षाओं का बोझ भी कभी सचिन तेंदुलकर को उनके लक्ष्य से विचलित नहीं कर सका और ऐसा उनका आभामंडल रहा कि करियर की आखिरी पारी तक भारत ही नहीं दुनिया की नजरें उनके बल्ले पर गड़ी रही।
मुंबई में शनिवार को अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलने वाले तेंदुलकर महान खिलाडिय़ों की जमात से भी ऊपर उठ गए। क्रिकेट खुशकिस्मत रहा कि उसे तेंदुलकर जैसा खिलाड़ी मिला, जिसने न सिर्फ समूची पीढ़ी को प्रेरित किया, बल्कि उसके इर्द गिर्द क्रिकेट प्रशासकों ने करोड़ों कमाई करने वाला एक उद्योग स्थापित कर डाला। चौबीस बरस तक सचिन ने जिस सहजता से अपेक्षाओं का बोझ ढोया, उससे सवाल उठने लगे थे कि वह इंसान हैं या कुछ और।
पूरे करियर में एक भी गलतबयानी नहीं, मैदान के भीतर या बाहर कोई विवाद नहीं, शर्मिंदगी का एक पल नहीं। तेंदुलकर एक संत से कम नहीं रहे, जिन्होंने अपनी विनम्रता से युवा पीढ़ी के क्रिकेटरों को सिखाया कि शोहरत और दबाव का सामना कैसे करते हैं। सिर्फ 16 बरस की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतरे सचिन का सामना चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से पहले ही कदम पर हुआ। वसीम अकरम और वकार युनूस के सामने उन्होंने जिस परिपक्वता का परिचय दिया, क्रिकेट पंडितों को इल्म हो गया कि एक महान खिलाड़ी पदार्पण कर चुका है।
दुनिया ने सचिन की शख्सियत का एक और पहलू देखा जब 1999 विश्व कप के दौरान अपने पिता की मौत के शोक में डूबे होने के बावजूद उन्होंने अंतिम संस्कार के बाद लौटकर कीनिया के खिलाफ शतक जड़ा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक जडऩे वाले एकमात्र बल्लेबाज सचिन को डान ब्रैडमेन के बाद सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के रूप में याद रखा जाएगा।
बतौर कप्तान वह कामयाब नहीं रहे और वह ऐसा दौर था जब बल्लेबाजी का दारोमदार उन पर इस हद तक था कि उनके आउट होने को भारतीय पारी का अंत माना जाता था। पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ वह खराब फार्म में थे और आस्ट्रेलिया के दौरे पर भी अपेक्षाओं का बोझ उन पर बढ़ गया, लेकिन सचिन ने आत्मविश्वास की नई परिभाषा गढ़ते हुए सुनिश्चित किया कि अपने घरेलू दर्शकों के सामने अपनी शर्तों पर क्रिकेट को अलविदा कहेंगे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण से काफी पहले तेंदुलकर ने 1988 में लार्ड हैरिस शील्ड अंतर विद्यालय मैच में विनोद कांबली के साथ 664 रन की साझेदारी करके अपनी प्रतिभा की बानगी पेश कर दी थी। उन्होंने पहला टेस्ट शतक 1990 में इंग्लैंड में लगाया। इसके बाद उन्होंने ब्रायन लारा के सर्वोच्च टेस्ट पारी (नाबाद 400) और सर्वोच्च प्रथम श्रेणी स्कोर (नाबाद 501) को छोड़कर बल्लेबाजी के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये।
वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक जडऩे वाले भी वह पहले बल्लेबाज थे। उन्होंने फरवरी 2010 में ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यह कमाल किया। ब्रेडमैन ने 1999 में कहा था कि सचिन की शैली उनकी शैली से मेल खाती है। सचिन की इन सब उपलब्धियों के देखकर कहा जा सकता है कि बड़ी मुश्किल से होता है चमन में सचिन सा दीदावर पैदा।
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अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हुए सचिन
0 1997 में सचिन को विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया।
0 केंद्र सरकार ने 1997-98 में ही सचिन को देश के सबसे बड़े खेल सम्मान-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा था।
0 वर्ष 1999 में सचिन पद्मश्री से नवाजे गए थे। उससे पहले 1994 में सचिन को अर्जुन पुरस्कार दिया गया था।
0 सचिन को 2008 में उनकी उपलब्धियों के लिए देश के दूसरे सबसे बड़ा नागरिक अलंकरण-पद्म विभूषण से नवाजा गया।
0 वर्ष 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े नागरिक अलंकरण-महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा।
0 2003 में सचिन विश्व कप के सबसे अच्छे खिलाड़ी रहे।
0 वह 2004, 2007 और 2010 में आईसीसी वर्ल्ड ओडीआई इलेवन का हिस्सा रहे।
0 2005 में सचिन को राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया।
0 सचिन ने 2009, 2010 और 2011 में आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट इलेवन में जगह बनाई।
0 वर्ष 2010 में सचिन को विजडन लीडिंग क्रिकेटर इन द वल्र्ड पुरस्कार मिला था।
0 2010 में ही आईसीसी ने सचिन को वर्ष के श्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी का सर गैरी सोबर्स ट्रॉफी प्रदान किया था।
0 2010 में ही सचिन को एली पीपुल्स च्वाइस अवार्ड मिला था।
0 2011 में सचिन को कैस्ट्राल इंडियन क्रिकेटर ऑफ द इअर अवार्ड से नवाजा गया।
0 2011 में ही सचिन को बीसीसीआई क्रिकेटर ऑफ द ईयर से नवाजा गया।
0 2010 में सचिन को भारतीय वायु सेना ने मानद ग्रुप कैप्टन नियुक्त किया।
0 2012 में सचिन को विजडन इंडिया आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।
0 2012 में ही सचिन को आस्ट्रेलिया सरकार ने ऑनरेरी मेम्बर ऑफ द आर्डर ऑफ आस्ट्रेलिया से नवाजा।
0 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने उनके अंतिम टेस्ट विदाई पर देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्नÓ देने की घोषणा की।
रिकॉर्ड पुरुष हैं सचिन
0 सर्वाधिक 200 टेस्ट , सचिन ने अपना पहला टेस्ट 15 नवम्बर, 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला और अंतिम टेस्ट मुम्बई में 14 नवम्बर, 2013 को वेस्टइंडीज के साथ खेला।
0 सर्वाधिक 463 एकदिवसीय मैच, सचिन ने अपना पहला एकदिवसीय मैच 18 दिसम्बर, 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ गुजरावाला में खेला। अंतिम एकदिवसीय मैच 18 मार्च, 2012 को पाकिस्तान के खिलाफ ढाका में खेला।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 15,921 रन, टेस्ट मैचों में सचिन के नाम 68 अर्धशतक और 115 कैच भी दर्ज हैं।
0 एकदिवसीट मैचों में सर्वाधिक 18,426 रन, एकदिवससीय मैचों में सचिन के नाम 96 अर्धशतक और 140 कैच हैं।
0 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 51 शतक, सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 248 रन है।
0 एकदिवसीय मैचों में सर्वाधिक 49 शतक, एकिदवसीय मैचों में सचिन का सर्वाधिक व्यक्तिगत योग नाबाद 200 रन है।
0 एकदिवसीय मैच में सबसे पहले 200 रनों का व्यक्तिगत आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज
0 प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में 50,000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले भारतीय
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में सर्वाधिक छह शतक लगाने वाले बल्लेबाज
0 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में 2000 रनों का आंकड़ा पार करने वाले पहले बल्लेबाज
0 एक कैलेंडर वर्ष (1998) में सर्वाधिक 1894 एकदिवसीय रनों का रिकॉर्ड।
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वो 22 गज मेरे लिए मंदिर की तरह है : सचिन
मुंबई, 17 नवंबर 2013। इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहकर पूरे देश को भावुक करने के बाद भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने रविवार को पहली बार मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि वो 22 गज की पिच मेरे लिए मेरे लिए मंदिर के समान है, उसने मुझे सब कुछ दिया। अपने 24 साल के करियर को सपनों का सफर बताते हुए सचिन ने कहा कि अभी भी मुझे यकीन नहीं हो रहा कि बस अब क्रिकेट और नहीं खेल पाऊंगा. क्रिकेट मेरी जिंदगी रहा है। ये मेरे लिए ऑक्सीजन है। अब भी मैं टीवी पर विदाई का विजुअल देखकर भावुक हो जाता हूं।
किसी भी भारतीय खिलाड़ी को अब तक कि सबसे यादगार विदाई मिलने के बाद सचिन ने कहा कि आज (रविवार) की सुबह काफी राहत भरी थी। मैं आज सुबह साढ़े 6 बजे उठा तो मुझे लगा कि जल्दी तैयार होकर मैच के लिये भागना नहीं है। किसी तरह की जल्दी नहीं थी। आज खुद चाय बनाई और पत्नी के साथ शानदार नाश्ता किया। साथ ही एसएमएस से लोगों की शुभकामनाओं के जवाब दिए।
वेस्टइंडीज के खिलाफ शनिवार को अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर 24 बरस के इंटरनेशनल करियर को विराम देने वाले सचिन तेंदुलकर ने संन्यास के अपने फैसले पर कहा कि मेरे संन्यास को लेकर सालों से सवाल उठ रहे थे और मैं हमेशा कहता आया था कि जिस दिन यह अहसास होगा कि मुझे खेलना रोक देना चाहिये, मैं खुद ऐलान करूंगा। मुझे लग रहा था कि मेरा शरीर अब खेलने के लिए फिट नहीं रहा है तो मैंने फैसला ले लिया। अभ्यास में प्रयास करना पड़ रहा था और यह अहसास होते ही मैने फैसला ले लिया, जिसका मुझे कोई खेद नहीं है। उन्होंने कहा कि 24 साल तक देश के लिये खेलते हुए मैंने अलग-अलग चुनौतियों का सामना किया, लेकिन परिवार, कोचों, दोस्तों और साथी खिलाडिय़ों की मदद से यह सफर स्वर्णिम रहा। मुझे कल (शनिवार) रात तक यकीन नहीं हो रहा था कि अब कहीं नहीं खेलूंगा, लेकिन मुझे कोई खेद नहीं है। यह सही वक्त था और मैने अपने 24 साल के सफर का पूरा मजा लिया। तेंदुलकर ने यह भी कहा कि वह भविष्य में क्रिकेट से जुड़े रहेंगे। संन्यास लेते वक्त मैं इतना इमोशनल नहीं हुआ था। परिवार उस दौरान जरूर भावुक हो गया था
आगे क्या करेंगे सचिन
भविष्य की प्लानिंग से जुड़े सवालों पर मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि क्रिकेट अकादमी खोलने का आइडिया अच्छा है। वैसे अभी मैं आराम करना चाहता हूं। व्यंग्य भरे लहजे में उन्होंने कहा कि 24 साल खेला हूं तो कम से कम 24 दिन तो आराम करूंगा ही। उन्होंने कहा कि मैं युवा खिलाडिय़ों की मदद करता रहूंगा। देश के लिए काम करता रहूंगा।
अर्जुन को अपने हाल पर छोड़ दें
सचिन ने मीडिया से अपने बेटे अर्जुन पर दबाव नहीं बनाने का आग्रह किया। अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं और मुंबई की अंडर-14 टीम के सदस्य रह चुके हैं। उनके प्रदर्शन पर हालांकि मीडिया की निगाह लगी रहती है, जिससे सचिन खुश नहीं नजर आए। सचिन ने कहा कि पिता होने के नाते मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उसे अपने हाल पर छोड़ देना चाहिए। उसे क्रिकेट का मजा लेने दीजिए। उससे अपेक्षाएं मत रखो कि उसके पिता ने ऐसी क्रिकेट खेली तो उसे भी वैसा ही खेलना होगा। उन्होंने कहा कि मैंने कभी इस तरह की अपेक्षाएं नहीं झेली हैं। मेरे पिताजी प्रोफेसर थे और मेरे समय में मेरे पिताजी से यह सवाल नहीं किया गया कि आपके बेटे ने कलम के बजाय क्रिकेट का बल्ला क्यों थाम लिया। तेंदुलकर ने कहा कि अर्जुन भी क्रिकेट से भरपूर प्यार करता है और उसे भी इस खेल का पूरा लुत्फ उठाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये प्यार जरूरी है और वह इस खेल से प्यार करता है। मैं उस पर प्रदर्शन का दबाव नहीं डालना चाहूंगा। आप भी दबाव मत डालो. उसे खुला छोड़ दो और खेल का मजा लेने दो। आगे क्या होता यह भगवान तय करेंगे, हम नहीं।
विकेट से बात करते वक्त हो गया था भावुक
सचिन ने यह भी कहा कि विदाई के दौरान मैदान पर अपने जज्बात काबू में रखने की उन्होंने पूरी कोशिश की लेकिन विकेट से बात करते समय वह आंसू नहीं रोक सके. उन्होंने कहा कि उस समय मुझे लगा कि मैं अब कभी भारत के लिये नहीं खेलूंगा तो मैं काफी भावुक हो गया. मुझे लगा कि मैं आखिरी बार स्टेडियम में खेल रहा हूं। जब ड्रेंसिंग रूम में लौट रहा था तो मेरी आंख में आंसू थे। उस अहसास को जाहिर कर पाना मुश्किल है, लेकिन इस सबके बावजूद मुझे लगता है कि मेरा फैसला सही था। उन्होंने यह भी कहा कि उनका दिल हमेशा भारत की जीत के लिये दुआ करता रहेगा।
मेरी मां का मुझे खेलते देखना बेहद स्पेशल था
सचिन ने कहा कि मेरी मां ने कभी मुझे मैदान में खेलते नहीं देखा था। मैंने बीसीसीआई से अनुरोध किया कि मेरा आखिरी टेस्ट मुंबई में आयोजित करे। यह मेरी मां के लिये सरप्राइज था। उन्होंने कहा कि मेरी मां बहुत खुश थी। पहले मुझे लगा कि स्वास्थ्य कारणों से वह आएगी भी या नहीं। मैने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से एक कमरा भी रखने के लिये कहा था लेकिन मेरी मां ने पूरा मैच देखा। यह मेरे लिये खास पल था।
मुझ पर परिवार की अपेक्षाओं का बोझ नहीं था
सचिन ने कहा कि मेरे परिवार ने मेरी हमेशा हौसलाअफजाई की है। चाहे मैं शतक बनाऊं या 15-20 रन। मैं अच्छा प्रदर्शन इसलिए कर सका, क्योंकि परिवार से अपेक्षाओं का बोझ नहीं था। हर भारतीय परिवार की तरह हम भगवान को मिठाई चढ़ाकर खुशी मनाते हैं और मेरी मां ने कल (शनिवार को) भी यही किया। अपने भाई और प्रेरक अजीत तेंदुलकर के बारे में उन्होंने कहा कि हम दोनों का यह साझा सपना था। मैं शब्दों में नहीं बता सकता कि अजीत ने मेरे लिये क्या किया है। कल वह भावुक था, लेकिन मुझे दिखा नहीं रहा था।
चोटों के दौरान लगा कि बस अब नहीं खेल पाऊंगा
करियर में कई चोटों का सामना करने वाले लिटिल मास्टर ने कहा कि एक बार तो उन्हें लगा था कि वह दोबारा बल्ला भी नहीं पकड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि ये चुनौतियां काफी मुश्किल थी और करियर खत्म होने का डर था। टेनिस एल्बो के बाद तो मैं अपने बेटे अर्जुन का प्लास्टिक का बैट भी नहीं उठा पा रहा था। मैदान पर उतरा तो 10-12 साल के बच्चे मेरे शाट्स रोक रहे थे जिससे मुझे लगा कि अब दोबारा नहीं खेल पाऊंगा। उस समय कई लोगों की मदद से मैं वापसी कर सका। उन सभी को धन्यवाद।
म्यूजिक के शौकीन मास्टर ब्लास्टर
संगीत के शौकीन सचिन तेंदुलकर से उनके पसंदीदा फनकारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किसी एक का नाम लेना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि संगीत मेरा शौक और साथी है। मैं खूब गाने सुनता हूं। अच्छे मूड में होता हूं तो अलग और खराब मूड में अलग। सभी कलाकारों की कद्र करता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि उस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं होता. कुछ तो बरसों से लगातार बेहतरीन गा रहे हैं।
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मेरा भारत रत्न देश की सभी मांओं
को समर्पित : सचिन
मुंबई, 17 नवंबर 2013। क्रिकेट से संन्यास ले चुके सचिन तेंदुलकर ने रविवार को खुद को मिलने वाले भारत रत्न को देश की सभी माताओं को समर्पित किया। सचिन ने कहा कि माताओं को अपने बच्चों को पालने और काबिल बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है, उसका उन्हें पूरा अहसास है इसलिए वह इस अलंकरण को सभी माताओं को समर्पित कर रहे हैं।
संन्यास लेने और भारत रत्न से नवाजे जाने की घोषणा किए जाने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में सचिन ने कहा कि भारत रत्न मेरी मां के लिए है। एक पुत्र होने के नाते मैं समझ सकता हूं कि मुझे पालने में मेरी मां को कितनी तकलीफ हुई। मेरे माता-पिता ने मुझे बड़ा करने और काबिल बनाने के लिए कितना बलिदान किया है। सिर्फ मेरी मां ने ही नहीं बल्कि दुनिया और देश की करोड़ों मांएं अपने बच्चों को बड़ा करने और काबिल बनाने के लिए अनगिनत बलिदान करती हैं। मैं उन सभी माताओं को यह सम्मान समर्पित करता हूं। वानखेड़े स्टेडियम में अपने 200वें और अंतिम टेस्ट के बाद पिच को झुककर सलाम करने से जुड़े सवाल पर सचिन ने कहा कि दरअसल वह क्रिकेट को उन सभी चीजों के लिए धन्यवाद देना चाहते थे, जो क्रिकेट ने उनको दी हैं।
सचिन ने कहा कि उनका क्रिकेट जीवन वानखेड़े स्टेडियम से शुरू हुआ और उन्होंने हमेशा इसे तथा दुनिया के अन्य सभी स्टेडियमों को मंदिर की तरह पूजा है। चूंकि मैं वानखेड़े स्टेडियम में अपना अंतिम मैच खेल रहा था, इसलिए मैं इस मंदिर के पटल को छूकर धन्यवाद करना चाहता था। मैंने ऐसा ही किया। पिच को छुआ और पूरे सम्मान के साथ उसका धन्यवाद किया।
सचिन ने कहा कि उनके शरीर ने उन्हें ये संदेश दे दिया था कि संन्यास का वक्त आ चुका है। मुझे अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं है। आगे क्या करूंगा ये सोचने के लिए अभी वक्त चाहिए क्योंकि फिलहाल तो 24 साल क्रिकेट खेलने के बाद कम से कम 24 दिन आराम करना चाहूंगा। सचिन ने कहा कि उनके करियर में सबसे यादगार दिन विश्व कप की जीत और संन्यास का कल का दिन था जबकि सबसे दुखद क्षण 2003 के विश्व कप के फाइनल में मिली हार।
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पीएम ने सचिन तेंदुलकर को लिखा पत्र, बताया दूत
नई दिल्ली, 17 नवंबर 2013।। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और जानेमाने वैज्ञानिक सी एन आर राव को पत्र लिखकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए चुने जाने पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने तेंदुलकर को लिखे पत्र में उन्हें खेल जगत में सही मायने में भारत का दूत बताया। सिंह ने कहा कि आपको यह सम्मान देकर देश ने जीवंत किदवंती को सम्मानित किया है, जिसकी कई उपलब्धियों और क्रिकेट के मैदान पर असाधारण प्रदर्शन ने विश्व में लाखों लोगों को प्रेरित किया है। आप सही मायने में खेल जगत में भारत के दूत रहे हैं। हम आपको एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और वैश्विक खेल प्रतीक के रूप में सलाम करते हैं।
उन्होंने कहा कि तेंदुलकर देशवासियों को न केवल खेलों में बल्कि मानव प्रयास के अन्य क्षेत्रों में भी प्रेरित करते रहेंगे। सिंह ने राव को लिखे बधाई पत्र में युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा को 'धर्यपूर्वक निखारनेÓ करने के उनके प्रयासों के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ने लिखा कि आपको यह पुरस्कार देकर देश ने एक विख्यात वैज्ञानिक और 'सॉलिड स्टेट एंड मैटेरियल्स केमेस्ट्रीÓ की एक जानीमानी अंतरराष्ट्रीय हस्ती का सम्मान किया है। हम न केवल वैज्ञानिक के रूप में आपके कार्य बल्कि युवा वैज्ञानिकों की प्रतिभा को धर्यपूर्वक निखारने तथा हमारे देश में वैज्ञानिक ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए सलाम करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों को उनका मार्गदर्शन आगे भी मिलता रहेगा। तेंदुलकर (40) और राव (79) दोनों देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्राप्तकर्ता भी हैं। तेंदुलकर और राव भारत रत्न प्राप्त करने वाली 41 प्रमुख हस्तियों में शामिल हो गए हैं। इस सम्मान की शुरुआत 1954 में हुई थी।
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