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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Tuesday 27 March, 2012

रायपुर में आशियाना बनाएँगे कॉमनवेल्थ चैम्पियन ओंकार सिंह


0 स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ में बसने का किया इरादा
0 रायपुर में देख रहे मकान
0 भविष्य में वे छत्तीसगढ़ की ओर से खेल सकते हैं
रायपुर में अपने मामाजी के यहाँ अंतरराष्ट्रीय शूटिंग ख़िलाड़ी ओंकार सिंह
शंकर चंद्राकर
रायपुर।
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग में तीन स्वर्ण व एक रजत जीतने वाले अंतरराष्ट्रीय शूटर ओंकार सिंह अब रायपुर में अपना आशियाना बनाएंगे। उन्होंने अब स्थायी रूप से छत्तीसगढ़ में बसने का इरादा कर लिया है। इसके लिए वे यहां मकान खरीदना चाहते हैं। इसी सिलसिले में सीमित प्रवास पर अपने मामाजी के यहां रायपुर आए ओंकार ने रविवार को दो-तीन जगह मकान भी देखे। यहां सेटल हो जाने के बाद वे भविष्य में छत्तीसगढ़ की ओर से खेल सकते हैं। मूलत: मध्यप्रदेश के अनूपपुर के रहने वाले ओंकार वर्तमान में नेवी की ओर से खेलते हैं।
रायपुर आये
ओंकार सिंह ने विशेष चर्चा करते हुए बताया कि वे दूसरी बार रायपुर आए हैं अभी यहां दो-तीन मकान देखे हैं, लेकिन फाइनल नहीं किया है। पसंद आने पर शीघ्र ही वे यहां मकान खरीद लेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में 30 पदक और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में 60 से अधिक पदक जीतने वाले ओंकार इस समय कोयंबटूर में भारतीय नौसेना पोत अग्रणी में चीफ पेटी आफिसर के पद पर कार्यरत हैं।
वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने लंदन जाएंगे

रायपुर में चर्चा करते हुए ओंकार सिंह
ओंकार ने बताया कि यहां से वे दिल्ली जाएंगे। वहां वे 10 दिवसीय ट्रांजिट शिविर में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वे भारतीय टीम के साथ 16 से 24 अप्रैल तक लंदन में होने वाली वर्ल्ड कप शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने इंग्लैंड रवाना हो जाएंगे। उनका पूरा ध्यान वर्ल्ड कप में पदक जीतने पर है। लंदन के बाद वे 14 से 22 मई तक इटली के मिलान और फिर 23 से 28 मई तक जर्मनी के म्यूनिख में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे। लंदन ओलिंपिक में क्वालीफाई नहीं कर पाने का अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि अब वे उसकी कमी को वर्ल्ड कप में पदक जीतकर पूरा करेंगे। ओलिंपिक 50 मी. फ्री पिस्टल और 10 मी. एयर पिस्टल में हिस्सा लेने वाले ओंकार वर्ल्ड कप में 10 मी. एयर पिस्टल कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीतने वाले अकेले भारतीय खिलाड़ी हैं। साथ ही वे पिछले साल कुवैत में हुई चौथी एशियन एयरगन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
ओलिंपिक में तीन-चार पदक
दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी रहे ओंकार ने कहा कि इस बार लंदन ओलिंपिक में पदकों की संख्या में निश्चित रूप से इजाफा होगा। खासकर शूटिंग में इस बार तीन से चार पदक मिलने की पूरी संभावना है। इसमें पूर्व ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा और रोंजन सोढ़ी से पदक की उम्मीद है। साथ ही गगन नारंग व विजय कुमार की भी तैयारी अच्छी है। उनसे भी पदक की उम्मीद है।
स्पोर्ट्स कल्चर व ग्रास रूट पर सपोर्ट जरूरी

15 वर्ल्ड कप में पदक जीत चुके ओंकार का मानना है कि भारत में स्पोर्ट्स कल्चर व ग्रास रूट में सपोर्ट की कमी है। इसके कारण हम अभी भी ओलिंपिक में पीछे हैं। इसके लिए चीन व रूस की तरह यहां स्पोर्ट्स कल्चर डेवलप करने की जरूरत है। खिलाड़ियों को मोटिवेट करने के लिए सरकार व अभिभावकों का सपोर्ट बहुत जरूरी है। देश में इकॉनामी के साथ ही स्पोर्ट्स को भी महत्व देना जरूरी है। खेलों को आगे बढ़ाने के लिए कार्पोरेट सेक्टर को भी आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर क्रिकेट की तरह शूटिंग को भी 10 प्रतिशत कार्पोरेट सहयोग मिल जाए तो देश में 10 अभिनव बिंद्रा निकल जाएंगे। इस समय शूटिंग में भारत दुनिया के टॉप टेन में शामिल है। लंदन ओलिंपिक क्वालीफाई के हिसाब से देखें तो भारत सिर्फ अपने पड़ोसी देश चीन व रूस से ही पीछे है।
शूटिंग खर्चीला गेम नहीं
ओंकार ने कहा कि आमतौर में शूटिंग को खर्चीला गेम के तौर पर देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। आम मध्यमवर्गीय खिलाड़ी भी शूटिंग में आगे बढ़ सकते हैं। वे खुद इसका उदाहरण है, बशर्ते उन्हें घर से पूरा सपोर्ट मिलना चाहिए। देश में शूटिंग को आगे बढ़ाने व लोकप्रिय बनाने के लिए स्कूल लेवल पर सीमित संसाधनों में भी प्रैैक्टिस रेंज बनाई जा सकती है। 

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रुस्तम ने ओलिंपिक के लिए कसी कमर

 0 पटियाला साई सेंटर में खूब बहा रहे पसीना
0 एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण जीते तो ओलिंपिक की उम्मीद
0 अगले महीने कोरिया जाएंगे एशियन में हिस्सा लेने
शंकर चंद्राकर
रायपुर।
छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर रुस्तम सारंग ओलिंपिक की तैयारी के लिए पूरी तरह कमर कस लिया है। रुस्तम इस समय पटियाला साई सेंटर में लगे विशेष ओलिंपिक कैंप में खूब पसीना बहा रहे हैं। अगले महीने वे भारतीय टीम के साथ 22 से 30 अप्रैल तक कोरिया के प्योंगटेक में होने वाली एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगे। इसमें स्वर्ण पदक जीतने पर भारतीय टीम को लंदन ओलिंपिक के लिए एक कोटा हासिल हो जाएगा।
पटियाला से फ़ोन पर रुस्तम ने चर्चा करते हुए कहा कि इस समय उनका पूरा फोकस एशियन चैंपियनशिप पर है, जो कांटिनेंटल ओलिंपिक क्वालीफिकेशन इवेंट है। इसमें विजेता टीम को लंदन ओलिंपिक का एक कोटा हासिल होगा, इसलिए पूरी टीम का लक्ष्य हर हालत में स्वर्ण जीतना है। रुस्तम ने कहा कि स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर भी ओलिंपिक के लिए चयन निश्चित नहीं है। सब कुछ भारतीय वेटलिफ्टिंग संघ और उस समय संबंधित खिलाड़ी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। एशियन चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले खिलाड़ी भी यदि ओलिंपिक आयोजन के समय फिट नहीं रहे तो उनका चयन मुश्किल होगा, इसलिए अपने प्रदर्शन को निरंतर बरकरार रखना जरूरी है।

चार खिलाड़ियों में प्रतिस्पर्धा
भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन ने लंदन ओलिंपिक के लिए 17 खिलाड़ियों का कोर ग्रुप बनाया है। ग्रुप के सभी खिलाड़ी इस समय पटियाला में विशेष प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। यदि भारतीय टीम एशियन चैंपियनशिप में ओलिंपिक कोटा हासिल कर लिया तो लंदन जाने के लिए होने वाले ट्रायल में कोर ग्रुप के चार खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद है। उन चारों में रुस्तम भी शामिल हैं। रुस्तम 62 किग्रा वर्ग में हिस्सा लेते हैं। उनके वर्ग में भी तीन खिलाड़ी हैं। रुस्तम ने कहा कि सबसे पहले उन्हें अपने ही वर्ग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा। फिर उनके सामने कोर ग्रुप के अन्य खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती होगी। तैयारी के दौरान वे चोटिल न होने का पूरा ख्याल रख रहे हैं, क्योंकि दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान कलाई में लगी चोट से वे मुश्किल से उबर पाए हैं।
छोटे भाई भी ओलिंपिक कोर ग्रुप में
 राज्य बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब वेटलिफ्टिंग में ओलिंपिक के लिए लगाए गए विशेष प्रशिक्षण शिविर के कोर ग्रुप में छत्तीसगढ़ से एक साथ दो भाइयों का चयन हुआ है। रुस्तम के छोटे भाई अजयदीप सारंग भी 17 सदस्यीय ओलिंपिक के कोर ग्रुप में शामिल हैं। अजयदीप ने मंगलवार को नेपाल में समाप्त हुए प्रथम दक्षिण एशिया (सैफ) वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ हिस्सा लिया और इसमें उन्होंने 77 किग्रा वर्ग में अपना प्रदर्शन जारी रखते हुए देश के लिए तीन कांस्य पदक जीते। अजयदीप भी इस समय पटियाला में विशेष प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं।  

छत्तीसगढ़ की महिला बास्केटबाल टीम ने जीता रजत

 0 26वीं फेडरेशन कप बास्केटबाल चैंपियनशिप में दक्षिण रेलवे से हारा
रायपुर।
केरल के कोचिन में हुई 26वीं फेडरेशन कप बास्केटबाल चैंपियनशिप के महिला वर्ग के फाइनल में रविवार को गत चैंपियन छत्तीसगढ़ को संघर्षपूर्ण मैच में दक्षिण रेलवे चेन्नाई से 82-93 से हार का सामना करना पड़ा।
छत्तीसगढ़ बास्केटबाल संघ के महासचिव व महिला टीम के कोच राजेश पटेल ने बताया कि फाइनल में खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, लेकिन रेलवे की खिलाड़ियों ने अंतिम समय में बढ़त हासिल कर खिताब पर कब्जा कर लिया। टीम की ओर से पूनम चतुर्वेदी ने सर्वाधिक 17 अंक, अंजू लकड़ा 16, सीमा सिंह 15, कविता 14, आकांक्षा सिंह आठ, एल. दीपा पांच व अंजना डेज्जी इक्का ने चार अंक हासिल किए।
इसके पूर्व शनिवार को खेले गए सेमीफाइनल में छत्तीसगढ़ की महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए मेजबान केरल को 69-66 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। मैच में अंजू लकड़ा ने सर्वाधिक 29 अंक, सीमा सिंह 15, कविता 12, एल. दीपा पांच और आकांक्षा सिंह व पूनम चतुर्वेदी ने चार-चार अंक अर्जित किए।
मैच में रजत पदक जीतने वाली छत्तीसगढ़ की महिला टीम को पुरस्कार के रूप में 75000 रुपए और ट्राफी मिली।

20 प्रशिक्षकों ने सीखीं क्रिकेट की बारीकियां

 0 एनसीए लेवल-बी कोचिंग कोर्स का समापन
0 प्रदेश के तीन कोच ने लिया हिस्सा
रायपुर। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ की मेजबानी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम परसदा में 13 मार्च से शुरू हुए राष्ट्रीय क्रिकेट एकादमी लेवल-बी कोचिंग कोर्स का सोमवार को समापन हुआ। हफ्तेभर चले इस कोचिंग कोर्स में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, नगालैंड, राजस्थान व उत्तरप्रदेश समेत कुल 9 राज्यों के 20 प्रशिक्षकों ने क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। 
 सभी प्रशिक्षकों को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के कोच एजुकेशन प्रोग्राम के हेड डॉ. किंजल सूरतवाला, बैटिंग कोच दिनेश नानावती, अंडर-19 भारतीय कोच बी. अरुण, फील्डिंग कोच अपूर्व देसाई, राजस्थान रणजी टीम के कोच अमित असावा एवं एनसीए के वीडियो एनालिस्ट व टेक्निकल हेड संजू सिंह ने क्रिकेट की सभी तकनीकी जानकारियांॅ दीं। इसमें छत्तीसगढ़ से तीन कोच दिलीप सिंह, राजेय सिंह परिहार एवं मुजाहिद हक ने हिस्सा लिया। कोर्स के दौरान प्रशिक्षकों को क्रिकेट की विभिन्ना छोटी-छोटी बारीकियों जैसे स्किल सुधारना, समय-समय पर युवा खिलाड़ियों के खेल में सुधारना, बैटिंग, बालिंग, फील्डिंग, विकेटकीपिंग, स्पोर्ट्स साइंस एवं वीडियो एनालिस्ट आदि विषयों से अवगत कराया गया।

369 दिनों के बाद आया सचिन का महाशतक


एशिया कप में बंगलादेश के खिलाफ शतकों का शतक पूरा किया.
ढाका (16 march 2012). मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर (114) को अपने महाशतक के लिए कुल 369 दिनों का इंतजार करना पड़ा। पिछले साल 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक जमाने के बाद 33 पारियों के बाद यह स्वप्निल शतक आया है। शतकों के महाशतक लगाने वाले सचिन के लिए यह शतक इस मामले में भी खास है क्योंकि अपनी इस महान पारी में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय करियर में 2008 चौके मार लिए हैं। 
आस्ट्रेलिया में खेली गई त्रिकोणीय वनडे सीरीज में सचिन महाशतक का सपना नहीं पूरा कर सके थे। उन्होंने अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए एशिया कप में खेलने की इच्छा जताई थी जिस कारण उन्हें इस टूर्नामेंट के लिए शामिल किया गया। सचिन ने इससे पूर्व बांग्लादेश के खिलाफ 12 वनडे मैच खेले थे लेकिन उसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 82 रन था। इस तरह से उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे क्रिकेट में शतक के सूखापन को समाप्त किया।
ऐसा पहली बार हुआ है जब उनका बल्ला पूरे एक साल यानी 365 दिन तक बिना किसी शतक के रहा। तेंदुलकर ने अपना आखिरी शतक विश्व कप 2011 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नागपुर में लगाया था और इसके बाद वह टेस्ट और वनडे में कुल मिलाकर 33 पारियां खेलने के बाद उनका महाशतक आया। इस बीच उन्होंने आठ अर्धशतक जमाए जिनमें से दो बार 90 रन के पार भी पहुंचे। एशिया कप के अपने पहले मैच में भारत ने बड़ी जीत हासिल की थी लेकिन सचिन इस मैच में दहाई का आंकड़ा नहीं छू सके थे।
मास्टर ब्लास्टर अपने करियर में एक बार 34 अंतरराष्ट्रीय पारियों तक शतक नहीं लगा पाए थे लेकिन तब समय इतना लंबा नहीं खिंचा था। तेंदुलकर ने 26 मई 2007 से चार जनवरी 2008 के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34 ऐसी पारियां खेली थी जिनमें वह तिहरे अंक में नहीं पहुंच पाए थे। उन्होंने तब हालांकि 223 दिन के अंदर ये पारियां खेल ली थी। वह तब कई अवसरों पर नर्वस नाइंटीज के शिकार बने और तीन बार तो 99 रन पर आउट हुए थे। तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद अपना पहला शतक जमाने के लिए भी 272 दिन का समय लिया था। पाकिस्तान के खिलाफ 15 नवंबर 1989 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने वाले सचिन ने अपना पहला शतक 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में लगाया था।
इसके बाद 1992 में भी 299 दिन तक उनके नाम पर कोई अंतरराष्ट्रीय शतक दर्ज नहीं हो पाया था लेकिन इस बीच बल्लेबाजी के बादशाह ने केवल 11 पारियां ही खेली थी। तेंदुलकर ने वर्तमान दौर से पहले अपने अंतरराष्ट्रीय शतक के लिए सबसे लंबा समय 1995-96 में लिया था। वह तब 315 दिन तक शतक नहीं लगा पाए थे लेकिन इस बीच भारत ने बहुत कम क्रिकेट खेली थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सचिन ने इस दौरान केवल दस अंतरराष्ट्रीय पारियां खेली थी। इसके बाद 2004 में भी ऐसा दौर आया था जबकि तेंदुलकर को शतक के लिए 257 दिन तक का इंतजार करना पड़ा था।
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पहले शतक से महाशतक तक का सफरनामा
मीरपुर। महान बल्लेबाल सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में हर उस टीम के खिलाफ सैकड़ा जड़ा है जिसके खिलाफ उन्होंने दस या इससे अधिक मैच खेले लेकिन उन्होंने सर्वाधिक शतक दुनिया की सबसे मजबूत टीम आस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए हैं। 
मास्टर ब्लास्टर ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ सर्वाधिक 20 शतक लगाए हैं। इनमें से 11 शतक उन्होंने टेस्ट मैच और नौ शतक वनडे मैचों में लगाए हैं। इसके बाद श्रीलंका [17], दक्षिण अफ्रीका [12], इंग्लैंड और न्यूजीलैंड [दोनों 9], जिंबाब्वे [8], वेस्टइंडीज और पाकिस्तान [7], बांग्लादेश [5], केन्या [4] और नामीबिया [1] का नंबर आता है। यह बांग्लादेश के खिलाफ वनडे मैचों में सचिन का पहला शतक है। तेंदुलकर के 100 शतकों में से 42 शतक भारतीय सरजमीं पर बने हैं। उन्होंने 41 शतक विदेशी टीमों की धरती और 17 शतक तटस्थ स्थानों पर बनाए हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में वह अब तक 71 शतक जमा चुके हैं।
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महाशतक से फिर चमका 'ब्रांड' सचिन
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर के 100वें शतक को लेकर न केवल उनके प्रशंसक, बल्कि वे ब्रांड भी उत्साहित हैं जिनका तेंदुलकर प्रमोशन करते हैं। ऐसे ब्रांडों की कंपनियों ने नए विज्ञापन अभियान शुरू करने की तैयारी भी कर ली है। 
 सचिन तेंदुलकर एडिडास, कोका-कोला, बूस्ट, आईटीसी, रेनाल्ड्स, अवीवा और कैनन सहित 17 ब्रांडों का प्रमोशन करते हैं। तेंदुलकर के अनूठे रिकार्ड को उत्सव के तौर पर मनाने के लिए कोका कोला ने भारत में पहली बार अपने कैन पर तेंदुलकर की तस्वीर छापी है और कंपनी तेंदुलकर के सबसे शानदार शतकों के ब्यौरे वाले नौ कैन जारी भी कर चुकी है। वहीं, एडिडास अप्रैल के पहले सप्ताह में तेंदुलकर के साथ एक नया मार्केटिंग अभियान शुरू करने की तैयारी की है। सचिन तेंदुलकर ने आज ढाका के शेरे बंगला नेशनल स्टेडियम में चल रहे एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ अपना बहुप्रतीक्षित 100वां शतक पूरा किया। 
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कालसर्प ने बनाया सचिन को 'भगवान'

मेरठ। कालसर्प दोष यानी अपशय, दुर्घटना, बीमारी और हानि। आपको जानकार हैरानी होगी कि सचिन तेंदुलकर की कुंडली में काल सर्पयोग है। इसी योग के चलते ग्रहों ने अच्छे समीकरण बनाए और सचिन को क्रिकेट का भगवान बना दिया। यह उन लोगों के लिए सुखद बात है, जिन्होंने ढपोरशंख ज्योतिषियों के फेर में पड़कर अपनी जिंदगी को इतना खौफनाक बना लिया है कि कालसर्प के नाम पर उन्हें अपनी परछाई से भी डर लगता है। जबकि शास्त्रों के मुताबिक यह योग रंक से राजा भी बना देता। 

सचिन की कुंडली में जन्म लग्न तुला राशि और चंद्र राशि धनु है। सारे ग्रह राहु और केतु के परिक्षेत्र में हैं। कालसर्प योग की मौजूदगी में मंगल ग्रह रुचक योग बना रहा है। इस योग का जातक प्रसिद्धि, साहसी और शत्रु को शिकस्त देने वाला होता है। इसके अलावा सचिन की कुंडली में पारिजात योग भी बन रहा है। इन योगों ने सचिन को क्रिकेट का भगवान बना दिया। हालांकि सचिन का चंद्रमा राहु से पीड़ित है, इसलिए वह कप्तानी के मोर्चे पर उतने सफल नहीं रहे। चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतरदशा के चलते सचिन की कप्तानी में भारत ने कई मैच खेले। इस दौरान सचिन की बल्लेबाजी में गिरावट आई। और कप्तानी से भी हटना पड़ा।
इनकी कुंडली में भी कालसर्प
दुनिया के कई नामचीन खिलाड़ियों की कुडली में कालसर्प दोष है। इनमें कपिल देव, मोहम्मद अजहरुद्दीन, शाहिद आफरीदी जैसे नामचीन क्रिकेटर तो टेनिस स्टार लिएंडर पेस भी हैं।
सूचना का अधिकार है ज्योतिष
सितारों की गतिविधियां और इरादे जानने के लिए सृष्टि के रचनाकार ने इंसान को सूचना का अधिकार यानी ज्योतिष विज्ञान की सुविधा दी है। हाइटेक युग में स्वार्थी ज्योतिषियों ने इस पवित्र विद्या का भी बाजारीकरण कर दिया। कालसर्प योग जैसे डरावने शब्दों की ब्रांडिंग की गई। जबकि सच्चाई यह है कि इस योग के चलते आदमी बुलंदियों को भी छू लेता है।
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रो पड़े थे सचिन के गुरु आचरेकर
सचिन के गुरु रमाकांत आचरेकर सर ने टीवी पर मैच का लिया आनंद.
मुंबई। भारत-बांग्लादेश के बीच शुक्रवार 16 मार्च को खेले गए मैच के दौरान सचिन तेंदुलकर के प्रशंसक सांसें थाम कर महाशतक का इंतजार कर रहे थे। इन प्रशंसकों में शतकों के शहंशाह सचिन के कोच रमाकांत आचरेकर भी शामिल रहे। अपने सबसे प्रिय चेले के महाशतक पर वे अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर सके और उनकी आंखें भर आई।
80 वर्षीय आचरेकर की भीगी आंखें एक साथ बहुत कुछ बयां कर रही थीं। 
उन्होंने बातचीत में बताया, 'मुझे पूरा विश्वास था कि सचिन अपना बहुप्रतीक्षित शतक आज पूरा करेगा और जैसे ही उसने इस जादुई आंकड़े को छूआ पूरे भारत ने राहत की सांस ली।' शरीर के दाएं हिस्से को लकवा मार देने की वजह से आचरेकर ठीक से बोल और चल पाने में असमर्थ हैं। अपने सबसे चहेते शिष्य की बैटिंग देखने के लिए वे सुबह से ही अपने परिवार के साथ सोफे से चिपक गए। जब सचिन 89 पर खेल रहे थे तो उनसे यह पूछने पर कि क्या आज सचिन अपना सौवां शतक पूर कर पाएंगे? इस पर आचरेकर ने बड़े विश्वास के साथ जवाब दिया कि सचिन आज अपना शतक पूरा कर लेगा। जब सचिन रन आउट होते-होते बचे उस वक्त वह काफी मायूस हो गए थे, उनके चेहरे पर चिंता साफ देखी जा सकती थी।
सचिन के शतक पूरा करते ही आचरेकर की आंखें आंसूओं से भर आईं। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों जब सचिन शतक नहीं बना पा रहा था तब मैं काफी डरा रहता था। लेकिन, इस समय सचिन ने उस खुशी को दी है जिसका पूरा देश काफी दिनों से इंतजार कर रहा था। मैं काफी खुश हूं कि उसने ऐसा कर दिखाया। आचरेकर के पोते वैदिक मुरकर ने बताया, 'आज सुबह ही मैंने दादा से सचिन के शतक को लेकर शर्त लगाई थी। मैंने कहा था कि वह अपना शतक पूरा नहीं कर पाएंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि सचिन अपना शतक आज जरूर पूरा करेगा।' मुरकर ने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं शर्त हार गया।
यह हर कोई जानता है कि सचिन अपने गुरु आचरेकर का बहुत सम्मान करते हैं। वे हर दौरे की शुरुआत बिना उनसे आशीर्वाद लिए नहीं करते हैं। दौरे से लौटने के बाद भी उनसे मिलने जरूर आते हैं। खुद आचरेकर को विश्वास नहीं होता कि शिवाजी पार्क में जिस लड़के को वह कोचिंग दिया करते थे वो इन बुलंदियों पर पहुंचेगा। आचरेकर चाहते हैं कि सचिन ईमानदारी से खेलता रहे और नई ऊंचाइयों को छूए।
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महाशतक की खुशी हुई फीकी
बांग्लादेश ने टीम इंडिया को दी पटखनी

मीरपुर।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर (114) के सौंवे अंतरराष्ट्रीय शतक की खुशी उस समय फीकी हो गई जब भारत को एशिया कप क्रिकेट टूर्नामेंट के रोमांचक मुकाबले में बांग्लादेश से 4 गेंदें शेष रहते 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। लक्ष्य का पीछा करते हुए बांग्लादेश की यह दूसरी सबसे बड़ी जीत है। भारत की बांग्लादेश के खिलाफ यह तीसरी हार है। शकीब अल हसन को मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया।
बांग्लादेश को हर हाल में जीत की दरकार थी, जिसे उसने शानदार तरीके से हासिल करते हुए फाइनल में पहुँचने की उम्मीदों को जीवित रखा। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने 5 विकेट पर 289 रन बनाए। जवाब में बांग्लादेश ने 49.2 ओवर में 5 विकेट खोकर जीत दर्ज कर ली। लक्ष्य का पीछा करने उतरे बांग्लादेशी बल्लेबाजों ने अर्द्धशतकीय पारियाँ खेलते हुए टीम को यादगार जीत दिला दी। नजीमुद्दीन (5) का विकेट सस्तेे में गँवाने के बाद तमिम इकबाल (70) और जहुरूल इस्लाम (53) ने दूसरे विकेट के लिए 113 रन जोड़ते हुए टीम को लक्ष्य की ओर बढ़ाया। इसके बाद नासिर हुसैन (54) और शकीब अल हसन (49) ने उपयोगी पारियाँ खेलीं। अंतिम ओवरों में कप्तान मुश्फिकुर रहीम ने 25 गेंदों पर आक्रामक 46 रन बनाए। मेजबान टीम को जीत के लिए 4 ओवरों में 37 रनों की जरूरत थी। पठान द्वारा फेंके गए 48वंे ओवर में 17 रन बने, जिसमें रहीम के दो छक्के शामिल थे। इसके बाद बांग्लादेश की जीत औपचारिकता रह गई, जिसे उसने आसानी से पा लिया। 
इससे पहले भारतीय पारी पूरी तरह सचिन के इर्द-गिर्द घुमती रही और तमाम प्रशंसकों का लंबा इंतजार अंतत: समाप्त हो गया। सचिन ने पारी के 43वें ओवर में शकीब अल हसन की गेंद पर एक रन लेते हुए अपने शतकों का शतक पूरा कर लिया। उन्होंने शतक पूरा करने में 138 गेंदें लगी, जो संभवत: उनकी वन-डे की धीमी पारियों में से एक है। शतक पूरा करने के बाद उन्होंने अपने हाथ खोले और शहादत हुसैन की गेंद पर लगातार दो चौके लगाए। दूसरे छोर पर उनके साथी सुरेश रैना ने विपक्षी गेंदबाजों की धुनाई करते हुए 38 गेंदों पर 51 रनों की पारी खेली। सचिन पर शतक का दबाव साफ तौर पर देखा जा सकता था। उन्होंने 80 से 100 तक पहुँचने में 36 गेंदों का सामना किया। कई बार ऐसे मौके भी आए जहाँ तेज रन लिए जा सकते थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया। सचिन अंतत: 47वें ओवर में मशरफे मुर्तजा की गेंद पर विकेट के पीछे मुश्फिकुर रहीम द्वारा लपके गए। उन्होंने 147 गेंदों पर 12 चौकों और एक छक्के की मदद से 114 रन बनाए। सचिन और रैना के बीच 86 रनों की साझेदारी हुई।
इससे पहले गौतम गंभीर (11) के जल्द आउट होने के बाद सचिन और विराट कोहली (66) ने पारी को आगे बढ़ाया। हालाँकि कोहली भाग्यशाली रहे और शफीउल इस्लाम की पहली गेंद पर वे साफ पगबाधा आउट थे लेकिन अंपायर पॉल रफेल ने अपील नकार दी। दोनों ने बिना जोखिम उठाए दूसरे विकेट के लिए 148 रन जोड़े। पारी के अंत में कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ने नाबाद 21 रन बनाए, जिसमें से अंतिम ओवर में 16 रन बने।
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स्कोर बोर्ड
भारत                                                                    रन    गेंद    4    6   
गंभीर बो. इस्लाम                                                  11    16    1    0
तेंडुलकर कै. रहीम बो. मुर्तजा                                114    147    12    1
कोहली बो. रज्जाक                                                66    82    5    0
रैना कै. तमिम बो. मुर्तजा                                       51    38    5    2
धोनी नाबाद                                                          21    11    2    0
रोहित रन आउट                                                    4    6    0    0
जडेजा नाबाद                                                        4    2    0    0
अतिरिक्त : (लेगबाई 6, वाइड 10, नोबॉल 2) 18, कुल : (5 विकेट पर, 50 ओवर में) 289, विकेट पतन : 1-25, 2-173, 3-259, 4-259, 5-267, गेंदबाजी : मुर्तजा 10-1-44-2, इस्लाम 5-0-24-1, शहादत 10-0-81-0, शकीब 10-0-63-0, रज्जाक 10-0-41-1, महमदुल्ला 4-0-24-0, नासिर 1-0-6-0
बांग्लादेश :                                                      
रन    गेंद    4    6
तमिम कै. जड़ेजा बो. प्रवीण                                 70    99    6    0
नजीमुद्दीन कै. रोहित बो. प्रवीण                           5    15    0    0
जहुरूल कै. रोहित बो. जड़ेजा                                53    68    4    1
नासिर कै. रैना बो. प्रवीण                                    54    58    5    0
शकीब स्ट. धोनी बो. अश्विन                              49    31    5    2
मुश्फिकुर नाबाद                                               46    25    3    3
महमदुल्लाह नाबाद                                          4    2    1    0
अतिरिक्त : (लेगबाई 7, वाइड 3, नोबॉल 2) 12, कुल : (5 विकेट पर 49.2 ओवर में) 293, विकेट पतन : 1-15, 2-128, 3-156, 4-224, 5-288, गेंदबाजी : प्रवीण कुमार 10-0-56-3, इरफान पठान 9-0-61-0, अशोक डिंडा 5.2-1-38-0, सुरेश रैना 7-1-30-0, रोहित शर्मा 2-0-13-0, आर. अश्विन 10-0-56-1, रवीन्द्र जड़ेजा 6-0-32-1. 

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'मीडिया' में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 








































































इस साल छत्तीसगढ़ को घरेलू मैचों की मेजबानी तय


0 बीसीसीआई की उम्मीदों पर खरे उतरा छग क्रिकेट संघ
0 प्रदेश संघ अब तक बोर्ड के कई टूर्नामेंटों का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुका

शंकर चंद्राकर 

रायपुर। छत्तीसगढ़ को इस साल बीसीसीआई के घरेलू टूर्नामेंटों के मैच की मेजबानी मिलना अब तय हो चुका है। बीसीसीआई के आला अफसर भी छत्तीसगढ़ को घरेलू मैचों की मेजबानी देने के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं। घरेलू मैचों की मेजबानी मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ भी बीसीसीआई के फ्रंट स्टेट में आ जाएगा।
अब तक उपेक्षित रहा छत्तीसगढ़ एसोसिएट मेंबर मिलने के बाद बीसीसीआई की नजरों में आ गया है। बोर्ड ने भी यहांॅ के क्रिकेट कल्चर व लोकप्रियता को देखते हुए अपना फोकस छत्तीसगढ़ पर कर दिया है। प्रदेश क्रिकेट संघ ने हाल ही में स्पिन व तेज गेंदबाजों की खोज के लिए यहां रॉ-टैलेंट अभियान का सफल आयोजन कर बीसीसीआई को संतुष्ट कर दिया। बीसीसीआई अब पूरी तरह आश्वस्त हो चुका है कि छत्तीसगढ़ बड़े टूर्नामेंटों का आयोजन भी सफलतापूर्वक कर सकता है। यही कारण है कि जब बोर्ड ने देशभर में गेंदबाजों की खोज के लिए अभियान चलाया तो इसकी मेजबानी के लिए चार राज्यों में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ को चुना। इस पूरे अभियान में बाकी अन्य तीनों राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व झारखंड के मुकाबले यहां ट्रायल में सबसे ज्यादा रिकार्ड 1790 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें छत्तीसगढ़ के 1483 खिलाड़ी शामिल हुए। ट्रायल लेने आए पूर्व क्रिकेटर व एनएसीए के डायरेक्टर (क्रिकेट आपरेशन) संदीप पाटिल ने सिर्फ छह खिलाड़ियों का चयन किया, जिसमें एक लेग स्पिनर छत्तीसगढ़ के मोहन सोनी भी शामिल हैं। इसके पूर्व भी छत्तीसगढ़ बीसीसीआई के अंडर-22, 19 व 16 एसोसिएट ट्राफी की सफलतापूर्वक मेजबानी कर चुका है।
छत्तीसगढ़ का नाम तय
सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई जुलाई में घरेलू टूर्नामेंटों के आयोजन के लिए सूची तैयार करेगा तो उसमें कुछ मैचों की मेजबानी के लिए छत्तीसगढ़ का नाम लगभग तय कर लिया है। छत्तीसगढ़ को इस साल घरेलू टूर्नामेंटों के दो-तीन मैचों की मेजबानी मिलना निश्चित है। 
स्टेडियम के पूरे होने का इंतजार
छत्तीसगढ़ में किसी भी घरेलू या बड़े टूर्नामेंटों के आयोजन में स्टेडियम का अधूरा होना सबसे बड़ा रोड़ा है। अभी स्टेडियम में अधूरे काम का निर्माण तेजी से चल रहा है। आयोजन के बहाने हर बार बीसीसीआई के पदाधिकारी रायपुर आते हैं और वे स्टेडियम का मुआयना भी करते हैं। सूत्रों के मुताबिक बीसीसीआई को भी स्टेडियम के पूर्ण होने का इंतजार है।
अगले साल रणजी की मान्यता
छत्तीसगढ़ को वर्ष 2008 में एसोसिएट मेंबर की मान्यता मिली थी। बीसीसीआई के नियमानुसार पांच साल बाद ही किसी राज्य को उनके प्रदर्शन के आधार पर रणजी की मान्यता मिलना है। वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ मेंबरशिप मिलने का पांॅच साल पूरा हो जाएगा। इस हिसाब से अगले साल छत्तीसगढ़ को रणजी की मान्यता मिलना भी तय है, क्योंकि अब तक छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन शानदार रहा है और छत्तीसगढ़ अंडर-22 वर्ग में चैंपियन बनकर प्लेट ग्रुप में पहुंच चुका है। साथ ही अंडर-19 व 16 में भी चैंपियन बन चुका है। 
हर स्तर पर बोर्ड संतुष्ट : दवे 

 छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के सचिव राजेश दवे का कहना है कि प्रदेश संघ ने हर स्तर पर बीसीसीआई को संतुष्ट किया है। हमारे खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है और तीनों वर्गों में एसोसिएट ट्राफी जीती है। महिला टीम भी इस साल चैंपियन बनी। छत्तीसगढ़ तीनों वर्गों की एसोसिएट ट्राफी की सफलतापूर्वक मेजबानी भी कर चुका है। बोर्ड के अधिकारी हर बार यहांॅ से संतुष्ट होकर गए हैं। इस साल हमें घरेलू टूर्नामेंटों की मेजबानी मिलना तय है और अगले साल छत्तीसगढ़ को रणजी की मान्यता मिलने की पूरी उम्मीद है।

Monday 26 March, 2012

क्वालीफाइंग हॉकी टूर्नामेंट में रही छत्तीसगढ़ की भागीदारी


रायपुर। हाल ही में दिल्ली में हुए लंदन ओलिंपिक हॉकी क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ की भी भागीदारी रही। इस टूर्नामेंट में छत्तीसगढ़ हॉकी के महासचिव फिरोज अंसारी ने आयोजन समिति के डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएंॅ दीं। 
श्री अंसारी ने बताया कि टूर्नामेंट के दौरान वे अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष लिएंड्रो नेग्रे से भी मुलाकात की। इस दौरान वे छत्तीसगढ़ में हॉकी की उपलब्धियों की जानकारी दी। इस दौरान हॉकी इंडिया के महासचिव नरेंद्र बत्रा भी मौजूद थे। श्री अंसारी ने फाइनल में भारत की जीत के बाद भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों से मुलाकात कर बधाई भी दी।

एनसीए के लिए चुना गया रायपुर का मोहन


बेंगलुरू के लिए छह गेंदबाजों का चयन
1790 खिलाड़ियों ने दिया ट्रायल
रायपुर। तेज गेंदबाज और फिरकी स्पिनर की खोज में छत्तीसगढ़ आए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को छह हीरे मिल गए हैं, जिन्हें राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बेंगलुरू में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में देशभर के 1790 गेंदबाजों के ट्रायल का समापन हुआ। बीसीसीआई के अधिकारियों ने अंतिम छह खिलाड़ियों की घोषणा की, जिसमें राजधानी का मोहन सोनी भी शामिल है। वे छत्तीसगढ़ से अकेले गेंदबाज हैं, जिन्होंने देश के अन्य गेंदबाजों को पीछे छोड़ दिया। चयनित खिलाड़ियों में मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा तीन शामिल हैं, उत्तरप्रदेश के दो खिलाड़ियों ने जगह बनाई है।
 ट्रायल के पहले दिन छत्तीसगढ़ के 870 व दूसरे राज्यों के 265 खिलाड़ियों ने दमखम दिखाया। अंतिम दिन खिलाड़ियों की संख्या बढ़ी और छत्तीसगढ़ से 1483 व अन्य राज्यों से 327 खिलाड़ियों ने गेंदबाजी की। कुल 1790 खिलाड़ियों ने ट्रायल दिया। इस दौरान मुख्य चयनकर्ता पूर्व क्रिकेटर व एनसीए के क्रिकेट ऑपरेशन के डायरेक्टर संदीप पाटिल ने गेंदबाजों की कड़ी परीक्षा ली। मैदान पर बीसीसीआई के अधिकारी भी मौजूद रहे। पहले चरण के बाद दूसरे चरण में अंतिम 55 खिलाड़ियों को फाइनल ट्रायल के लिए चयनित किया गया। इनमें से छह चुने गए। श्री पाटिल के अलावा बीसीसीआई अकादमी के मुख्य कोच करसन गावरी, बीसीसीआई मोहाली के कोच योगिंदर पुरी व एनसीए के वीएसएम मैनेजर रिटायर्ड विंग कंमाडर एके झा मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ के अधिकारी भी पूरे समय मैदान पर जुटे रहे।  
  खिलाड़ियों के नाम- मोहन सोनी (रायपुर, छत्तीसगढ़), प्रभन्शु कप्पल (रीवा, मध्यप्रदेश), विनोद शर्मा (आगरा, उत्तरप्रदेश), रोहित (नोएडा, उत्तरप्रदेश), पवन तिवारी (जबलपुर, मध्यप्रदेश), रोनित सिंह (छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश)।