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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Sunday 18 December, 2011

गोंडवाना कप का रहा है गौरवशाली इतिहास


0 विदेशी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने भी दिखाया है कमाल
0 आजादी के पहले शुरू हुए इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट ने देखा है उतार-चढ़ाव का दौर 
0 21 साल बाद फिर हो रहा है आगाज
यूनियन क्लब का सिंथेटिक कोर्ट, जो पहले क्ले कोर्ट था. 
शंकर चंद्राकर 
रायपुर। मध्य भारत के प्रतिष्ठित टेनिस टूर्नामेंटों में शुमार गोंडवाना कप अखिल भारतीय लान टेनिस स्पर्धा का 74 सालों का गौरवशाली इतिहास रहा है। आजादी से पहले शुरू हुए इस टूर्नामेंट में देश ही नहीं, विदेश के भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने कमाल दिखाया है। वर्ष 1937 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट ने उतार-चढ़ाव भरा दौर भी देखा है। इस बीच टूर्नामेंट को परिस्थितिवश दो बार स्थगित कर दिया गया। अब 21 साल बाद नए स्वरूप में फिर इसका आगाज हो रहा है। 
यूनियन क्लब के इस कोर्ट में शुरू हुआ था गोंडवाना कप टेनिस टूर्नामेंट.
अंग्रेजों के जमाने में यूनियन क्लब में शुरू हुए इस टूर्नामेंट का नाम इस अंचल के गोंडवाना राजवंशों के नाम पर गोंडवाना कप रखा गया। इसके पहले एकल चैंपियन डीआर रुतनाम थे। 1937 में पहले टूर्नामेंट में पुरुष एकल व युगल और महिला एकल के मुकाबले हुए। महिला एकल की विजेता अंग्रेज महिला मिसेज हाइड थीं। महिलाओं के लिए यह पहला व अंतिम मुकाबला था। इसके बाद फिर इसमें महिलाओं को हिस्सा नहीं लेने दिया गया, जो एक परंपरा बन गई। इस टूर्नामेंट में अब तक छत्तीसगढ़ के दो खिलाड़ी रियाज लतीफ खान और एफएक्स सेंटियागो ने खिताब पर कब्जा किया है। रियाज खान 1949 व 1961 में दो बार चैंपियन रहे, जबकि एफएक्स सेंटियागो ने 1962 में इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट का खिताब मेजबान अविभाजित मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) की झोली में डाला। 
गोंडवाना कप के पूर्व खिलाड़ी लारेंस सेंटियागो ने बताया कि एक समय इस टूर्नामेंट का बेहद क्रेज था। इसमें उस समय देश के सभी टॉप टेनिस खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इनमें केजी रमेश, नंदन बल, एनरीको पिपरनो, विशाल नायर, मिहिर मांकड़, नरेन्द्रनाथ, हीरालाल दास, जयदीप मुखर्जी, त्रिदीप मुखर्जी आदि ने अपने खेल का जौहर दिखाया। यही नहीं, वर्ष 1969 में आस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बॉबकर माइकल भारत आए तो उन्होंने भी इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। बॉबकर ने यहां से खेलकर विम्बलडन में हिस्सा लिया और उसमें वे शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल तक पहुंचे। श्री सेंटियागो ने बताया कि इसके आयोजकर्ताओं के बदलने के बाद नए पदाधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दिए और इंडियन लान टेनिस फेडरेशन के नए नार्म्स भी टूर्नामेंट के आयोजन में बाधा बने। इस कारण बीच में इसे बंद कर दिया गया।  

 ...जब बंद हुआ टूर्नामेंट
इस बीच टूर्नामेंट ने कई उतार-चढ़ाव भी देखा, जब परिस्थितिवश इसे वर्ष 1979 से 1986 तक बंद कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 1986 में रायपुर के तत्कालीन कमिश्नर शेखर दत्त जो वर्तमान में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल हैं, के प्रयासों से इसे पुन: शुरू किया गया, लेकिन उनका यह प्रयास भी ज्यादा समय तक सफल नहीं रहा और 1990 में इसे पुन: बंद कर दिया गया। अब प्रदेश टेनिस संघ के प्रयास से इसे पुन: शुरू किया गया है।

लगातार चौथी पीढ़ी गोंडवाना कप को समर्पित
ऍफ़एक्स सेंटियागो 
मजेदार बात यह कि सेंटियागो परिवार की चौथी पीढ़ी लगातार इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में हिस्सा लेती आ रही है। मेजबान छत्तीसगढ़ (अविभाजित मप्र) को पदक दिलाने वाले पूर्व खिलाड़ी एफएक्स सेंटियागो ने प्रदेश का नाम रोशन किया था। इससे पूर्व उनके पिता सालोमन सेंटियागो इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेते आ रहे थे। श्री सालोमन तो राजकुमार कालेज में फिजिकल ट्रेनर भी थे। उन्होंने सारंगढ़ (कोमाखान) के राजा के यहां भी अपनी सेवाएं दी थीं। इसके बाद तीसरी पीढ़ी के लारेंस सेंटियागो इस टूर्नामेंट में दमखम दिखाया। अब सेंटियागो परिवार की चौथी पीढ़ी लारेंस के दोनों बेटे हेनरी व रोहिन गोंडवाना कप में हिस्सा ले रहे हैं। इस तरह सेंटियागो परिवार गोंडवाना कप मेंशुरू से लेकर अब तक खेलते आ रहा है।



लारेंस सेंटियागो 
 


















हेनरी सेंटियागो 



















रोहिन सेंटियागो 

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