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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Saturday 18 June, 2011

भारत में स्पोर्ट्स को साइंटिफिक बनाना होगा

हंगरी से विशेष ट्रेनिंग लेकर लौटे साई के एनआईएस कोच गजेंद्र पांडे व सरिता कुजूर से चर्चा

एनआईएस कोच गजेंद्र पांडे
 रायपुर। भारत अभी स्पोर्ट्स में काफी पीछे है। आगे बढ़ने के लिए यहां स्पोर्ट्स को विदेश की तरह साइंटिफिक बनाना होगा, तभी हम ओलिंपिक में पदक हासिल कर पाएंॅगे। विदेश में प्रत्येक गेम के खिलाड़ियों को साइंटिफिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाता है। उनकी प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान दिया जाता है और एक खिलाड़ी के पीछे चार-पांॅच कोच रहते हैं। उनकी ट्रेनिंग उच्च स्तर की है। यही सिस्टम भारत में भी खिलाड़ियों को उपलब्ध कराना चाहिए, तभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम ज्यादा से ज्यादा पदक हासिल कर सकते हैं। यह कहना है कि हंगरी के बूडापेस्ट से इंटरनेशनल कोच कोर्स (आईसीसी) करके रायपुर लौटे साई के एनआईएस कोच गजेंद्र पांडे का।
वेटलिफ्टिंग के कोच श्री पांडे ने शनिवार को रायपुर पहुंॅचने पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए करते हुए कहा कि वहांॅ की ट्रेनिंग उच्च गुणवत्तायुक्त है। उसकी ट्रेनिंग पद्धति पूरी तरह भारत में लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि यहांॅ खिलाड़ियों को वैसी सुविधाएंॅ व सुरक्षा नहीं मिलती। अगर उसे पूरी तरह इंप्लीमेंट किया गया तो यहांॅ के खिलाड़ी चोटिल हो सकते हैं। फिर भी काफी हद तक यहांॅ के हिसाब से उसे इंप्लीमेंट किया जा सकता है। वेटलिफ्टिंग जैसे पावर गेम में खिलाड़ियों के लिए डाइट बेहद महत्वपूर्ण होती है। 

 34 कोच गए थे ट्रेनिंग लेने
श्री पांडे ने बताया कि साई (स्पोट्रर्स अथॉरिटी आफ इंडिया) की ओर से इंटरनेशनल कोच कोर्स के लिए भारत से वेटलिफ्टिंग, जूडो, फुटबाल, स्वीमिंग व एथलेटिक्स के 34 एनआईएस प्रशिक्षकों का दल हंगरी गया था। इनमें सात महिला कोच भी शामिल थीं। दल में छत्तीसगढ़ से वेटलिफ्टिंग के कोच गजेंद्र पांडे व फुटबाल की एनआईएस कोच सरिता कुजूर शामिल थीं। सरिता फुटबाल की एकमात्र महिला कोच थीं। सभी कोच ने वहांॅ तीन माह की ट्रेनिंग ली। कोर्स का एग्जाम भी हुआ और सर्टिफिकेट भी प्रदान की गई। इसमें भारत समेत इरान, रूस, यूगांडा, मारीशस, कोलंबिया, श्रीलंका, द. अफ्रीका समेत 12 देशों के कोच भी उनके साथ ट्रेनिंग ली। श्री पांडे नेबताया कि बूडापेस्ट स्थित टीएफ सेम्मेल्यूएस यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग दी गई। यह विश्व के प्रसिद्ध फिजिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। यहां सालभर विश्व के अनेक देशों के कोच व खिलाड़ियों की ट्रेनिंग चलती रहती है।

हाई लेवल है यूरोपियन फुटबाल : सरिता

सरिता कुजूर
 विशेष ट्रेनिंग कोर्स से हंगरी से लौटी फुटबाल की एनआईएस कोच सरिता कुजूर का कहना है कि यूरोपियन फुटबाल हाई लेवल की है। उनकी तुलना में भारत 50 साल पीछे है। उस लेवल तक भारत को पहुंचने में काफी लंबा सफर तय करना होगा।
सुश्री कुजूर ने बताया कि वहां खिलाड़ियों को तीन लेवल में ट्रेनिंग दी जाती है। पहले लेवल में बेहतरीन खेलने वाले खिलाड़ियों को रखा जाता है। दूसरे लेवल में उनसे कम प्रतिभा वाले खिलाड़ियों कोजगह दी जाती है। तीसरे लेवल में खराब प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों स्थान दिया जाता है। भारत के खिलाड़ी यूरोपियन देशों के दूसरे व पहले लेवल के खिलाड़ियों से बहुत दूर हैं। वहांॅ गोलकीपर के लिए अलग से कोच होता है। इसी तरह रनिंग, वार्मअप, फारवर्ड व बैकवर्ड के लिए अलग-अलग कोच होता है। फिजियो, साइकोलाजिस्ट व डाइटिशियन अलग से होता है, जबकि भारत में दो कोच ही काफी होता है।
सुश्री कुजूर ने कहा कि यूरोपीय देशों की ट्रेनिंग बेहद हाई लेवल की है। उसे यहां इंप्लीमेंट नहीं किया जा सकता, क्योंकि वैसी सुविधाएं यहां नहीं है। उनके अनुसार यहां खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जाए तो खिलाड़ी इंज्यूर हो जाएंगे। छत्तीसगढ़ में खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के बारे में उन्होंने कहा कि यहां की सुविधा के अनुसार प्रैक्टिस कराई जाएगी। 

 

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