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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Tuesday 19 July, 2011

नवीन का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करना

0 छत्तीसगढ़ से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने में जुटे
0 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल न जीत पाने का मलाल


रायपुर के आउटडोर स्टेडियम में खिलाडियों को प्रशिक्षण देते नवीन साहू.  
 रायपुर। कयाकिंग व केनोइंग के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नवीन साहू का लक्ष्य छत्तीसगढ़ से अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करना है। इसके लिए वे जुट भी गए हैं। नवीन को वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल न जीत पाने का मलाल है, लेकिन वे अपने इस अधूरे सपने को कोच के रूप में पूरा करना चाहते हैं। नवीन का कहना है कि वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल के करीब पहुंचने के बाद भी वे जीत नहीं पाए। अपने इस सपने को कोच के रूप में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार कर पूरा करना चाहते हैं, चाहे वे खिलाड़ी छत्तीसगढ़ से हों या अन्य राज्य से।
भारत व मध्यप्रदेश को कयाकिंग में पहला एशियन गोल्ड मेडल दिलाने वाले नवीन का कहना है कि उनका असली सपना तो ओलिंपिक में देश के लिए मेडल जीतना था, लेकिन एक हादसे में कंधे की चोट की वजह से खेल बीच में ही छोड़ देना पड़ा। नवीन ने अभी तक जितने भी मेडल जीते हैं वे मध्यप्रदेश के लिए जीते हैं। उन्होंने वर्ष 1999 से मध्यप्रदेश से खेलना शुरू किया और राज्य बनने के बाद भी वहीं से ही खेलना जारी रखा। उपलब्धियों के लिए वे मध्यप्रदेश सरकार की ओर से विक्रम अवार्ड और एकलव्य पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। नवीन कहते हैं कि छत्तीसगढ़ का होते हुए भी राज्य बनने के बाद यहां इस खेल की सुविधा नहीं होने से वे मध्यप्रदेश की ओर से ही खेलते रहे।

डेम में डेवलप हो सकता है वाटर स्पोर्ट्स

नवीन साहू
 नवीन का कहना है कि नई राजधानी में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास स्थित परसदा डेम को वाटर स्पोर्ट्स के लिए डेवलप किया जा सकता है। डेम का वे निरीक्षण कर चुके हैं। कयाकिंग व केनोइंग में 1000 मीटर, 500 मीटर व 200 मीटर की स्पर्धा होती है। उतनी लंबाई लगभग उस डेम में उपलब्ध है, लेकिन अभी वह असमतल व उथला है। डेम का समान गहरीकरण कराना होगा, तभी वह उपयोग लायक हो सकता है। साथ ही डेम में नियमित स्वच्छ पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके तैयार होने पर वहां स्वीमिंग समेत अन्य वाटर स्पोर्ट्स की भी प्रैक्टिस की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भोपाल में बड़ी झील की वजह से ही वहां अकादमी स्थापित है। मध्यप्रदेश कयाकिंग व केनोइंग में देश के शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है। वहां एशियन चैंपियनशिप भी आयोजित हो चुकी है।

स्पोर्ट्स अकादमी से मिलेंगे मेडल
नवीन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विभिन्ना खेलों की अकादमी स्थापित करने से ही यहां खिलाड़ी तैयार होंगे व मेडल भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में कयाकिंग समेत अन्य खेलों की अकादमी स्थापित होने से वह तेजी से कई खेलों में मेडल हासिल कर रहा है।

भारत में उल्टा नियम
नवीन का कहना है कि भारत में खिलाड़ियों को पुरस्कृत करने का उल्टा नियम है। यहां खिलाड़ियों से कहा जाता है कि पहले मेडल लाओ फिर पुरस्कार देंगे, जबकि विदेशों में इसके विपरीत खिलाड़ियों के लिए पहले आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाता है। सालों तक उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है। फिर खिलाड़ी से मेडल की अपेक्षा की जाती है और खिलाड़ी उनकी अपेक्षाओं पर खरे भी उतरते हैं। यही कारण है कि अमेरिका, चीन जैसे देश आज विश्व में अव्वल है। मगर भारत में बिना विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर व सुविधाएं उपलब्ध कराए खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद करते हैं। यही कारण है कि एक अरब की आबादी वाला भारत ओलिंपिक में मेडल के लिए तरसता है।

चीन की खेल नीति अपनाएं नवीन ने कहा कि भारत को चीन की खेल नीति अपनाना चाहिए, जो बहुत की कम समय में विश्व में खेल महाशक्ति बन गया है। भारत में खेल की क्वालिटी के बजाय क्वांटिटी पर ध्यान दिया जाता है। चीन में खिलाड़ी तैयार करने की एक लंबी योजना होती है, जो यहां नहीं है। चीन में एशियन, वर्ल्ड चैंपियनशिप व ओलिंपिक के लिए अलग-अलग टीम तैयार की जाती है और उसे उसी स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है। कोई खिलाड़ी किसी कारणवश एनवक्त में टीम से बाहर हो जाए तो उनकी भरपाई करने उसी स्तर के दूसरे खिलाड़ी तैयार रहते हैं। मगर में एक अच्छे खिलाड़ी की भरपाई के लिए उसी स्तर के खिलाड़ी ही नहीं होते हैं।

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