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"खेल सिर्फ चरित्र का निर्माण ही नहीं करते हैं, वे इसे प्रकट भी करते हैं." (“Sports do not build character. They reveal it.”) shankar.chandraker@gmail.com ................................................................................................................................................. Raipur(Chhattigarh) India

Monday 28 February, 2011

200 खिलाड़ी, 18 खेल और सात पदक

बिना अधोसंरचनाओं के पदकों
की भरमार संभव नहीं
सभी फोटो : दिनेश यदु
कमलेश गोगिया
रायपुर. झारखंड के 34वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ की झोली में भले ही पिछले नेशनल गेम्स के मुकाबले एक पदक ज्यादा मिला हो लेकिन यह पर्याप्त नहीं माना जा रहा है। खेल विशेषज्ञों की मानें तो बिना अधोसंरचनाओं के पदक तालिका में दहाई और तिहाई का आंकड़ा हासिल नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ की भागीदारी और परिणाम पर एक विशेष रिपोर्ट।
34वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ की भागीदारी के पूर्व छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने अपने निवास में खिलाड़ियों को किट वितरण करते समय इस बात की उम्मीद जताई थी कि छत्तीसगढ़ पिछले नेशनल गेम्स से कहीं ज्यादा पदक हासिल करेगा और वे पदक लेकर लौटने वाले खिलाड़ियों का सम्मान भी करेंगे। इसमें कोई दो मत नहीं है कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी मुख्यमंत्री डा. सिंह की उम्मीदों पर खरे उतरे क्योंकि पिछले नेशनल गेम्स से ज्यादा ही पदक मिले हैं। लेकिन एक मात्र ज्यादा पदक से संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान भी यही मानते हैं कि हमें ज्यादा पदक मिल सकते थे लेकिन हम हासिल नहीं कर सके। लेकिन बिना किसी विशेष सुविधाओं के छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने सात पदक हासिल कर राज्य के लिए संतोषजनक प्रदर्शन किया है। बहरहाल झारखंड नेशन्Þाल गेम्स में छत्तीसगढ़ ने 18 खेलों में शिरकत की जिनमें पदक सिर्फ पांच खेलों में ही मिल सके। मजेदार बात तो यह भी है कि जिन पांच खेलों में पदक मिले उनमें भी कुछ खेलों को छोड़कर राष्ट्रीय स्तर की अधोसंरचना राज्य में नहीं है। राज्य को झारखंड नेशनल गेम्स में कराते, शूटिंग, बास्केटबाल, हैंडबाल और कुश्ती में पदक मिला है जबकि स्क्वैश, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, क्याकिंग एंड केनोइंग, तीरंदाजी, फेंसिंग, तैराकी, ट्रायथलान, एथलेटिक्स, बाक्सिंग, जिम्नास्टिक, वेटलिफ्टिंग जैसे खेलों में हमें पदक नहीं मिल सका। इनमें भी वेटलिफ्टिंग में छत्तीसगढ़ को आठवां पदक अनिता शिंदे दिला सकती थीं लेकिन वे मात्र तीन किलो बाडी वेट में पीछे रह गईं वरन कांस्य पदक तय था। छत्तीसगढ़ को बास्केटबाल और हैंडबाल में पदक की उम्मीदें तो टीम की घोषणा के समय से ही थीं। इन दोनों खेलों में छत्तीसगढ़ के पास राष्ट्रीय मापदंड के इनडोर स्टेडियम नहीं हैं लेकिन खिलाड़ियों के सालभर एक ही स्थान पर नियमित अभ्यास करने की वजह से ही पूरे देश में दबदबा बना हुआ है। कराते में अंबर सिंह भाद्वाज से पदक की उम्मीदें थीं क्योंकि वे काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं।
कई खेलों में छत्तीसगढ़ ने पहली बार हिस्सा लिया जिसकी वजह से पदक  तक नहीं पहुंच सके। राज्य निर्माण के पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ को पहली बार टेबल टेनिस में नेशनल गेम्स की पात्रता मिली लेकिन टेटे खिलाड़ी पदक की दौड़ से शुरुआती दौर में ही बाहर हो गए। हालांकि राज्य के खिलाड़ियों ने काफी प्रयास भी किया। इसी तरह स्क्वैश और ट्रायथलान जैसे खेलों में भी छत्तीसगढ़ ने पहली बार हिस्सा लिया लेकिन राज्य में इन खेलों की बेहतर अधोसंरचनाएं नहीं है जिसकी वजह से बेहतर परिणाम नहीं निकला। रुस्तम दिला सकते थे गोल्ड मेडल
वेटलिफ्टिंग में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व एक मात्र महिला वर्ग में अनिता शिंदे ने किया। दल्ली राजहरा की अनिता शिंदे ने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। छत्तीसगढ़ वेटलिफ्टिंग एसोसिएशन के सचिव सुकलाल जंघेल और टीम के कोच शहीद राजीव पांडे अवार्डी तेजा सिंह साहू कहते हैं कि यदि रुस्तम सारंग छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करते तो हमें स्वर्ण पदक हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता था। गौरतलब है कि राजधानी के अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर रुस्तम सारंग ने 2007 में असम के 33वें राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ के लिए रजत पदक हासिल किया था और नेशनल गेम्स में छत्तीसगढ़ को यह उपलब्धि दिलाने वाले रुस्तम पहले व एकमात्र खिलाड़ी हैं। रुस्तम ने हाल ही में कामनवेल्थ गेम्स में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन वे कांस्य के लिए मात्र एक पदक से वंचित रह गए थे। झारखंड नेशनल गेम्स के पूर्व हाथ में चोट की वजह से रुस्तम ने नेशनल गेम्स में भाग लेने असमर्थता व्यक्त की थी। इसके अलावा रुस्तम ने यह भी कहा था कि यदि उनके पिता को नेशनल गेम्स के लिए टीम का कोच बनाना था। रुस्तम की इस मांग पर छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ ने उनके पिता बुधराम सारंग को कोच नियुक्त किया लेकिन फिर भी उन्होंने हिस्सा नहीं लिया।

रेलवे के तीरंदाज भी नहीं दिला सके पदक
34वें राष्ट्रीय खेलों में आरचरी के मुकाबले जमशेदपुर की टाटा आरचरी एकेडमी में खेले गए। छत्तीसगढ़ के कुल 11 खिलाड़ियों ने इंडियन राउंड, कंपाउंड ओर रिकर्ब में जौहर दिखाया। पहली बार छत्तीसगढ़ की टीम में रेलवे के तीन खिलाड़ियों को शामिल किया गया जिनमें शिवनाथ नागेशिया, सेकरा बासरो और बी प्रणिता शामिल थीं। इन तीनों खिलाड़ियों से नेशनल गेम्स मे ंपदक की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फिर गया। खिलाड़ी उतना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके जितने की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि 34वें नेशनल गेम्स में दीपिका कुमारी, डोला बेनर्जी और राहुल बेनर्जी जैसे अंतरराष्ट्रीय   तीरंदाज भी पदक हासिल करने से वंचित रह गए।

इन खेलों में मिला छत्तीसगढ़ को पदक
कराते :       (अंबर सिंह भाद्वाज को 84 किलोग्राम का स्वर्ण पदक)
शूटिंग : (कैप्टन पीपी सिंग, बाबा पीएस बेदी, मेराज अहमद खान को दो स्वर्ण      एक कांस्य पदक)
बास्केटबाल : (महिला वर्ग में रजत पदक)
 कुश्ती : (सीआईएसएफ के आनंद ने कांस्य पदक हासिल किया)
हैंडबाल : (महिला टीम को स्वर्ण पदक)
इन खेलों में मिली निराशा
वेटलिफ्टिंग, शूटिंग, खो-खो, क्याकिंग एंड केनोइंग, आरचरी, टेबल टेनिस, बैडमिंटन, फेंसिंग, तैराकी, स्क्वैश, ट्रायथलान, एथलेटिक्स, बाक्सिंग, जूडो।

केरल के लिए अभी से करनी होंगी तैयारियां
केरल में 35वें राष्ट्रीय खेलों के लिए अभी से तैयारियां प्रारंभ करनी होंगी क्योंकि नेशनल गेम्स से पहले सीनियर नेशनल में अंतिम आठ में पहुंचकर पात्रता हासिल करनी होगी। राज्य ओलंपिक संघ के सचिव से लेकर राज्य के तमाम खेल संघों के पदाधिकारी और खेल विशेषज्ञ इस बात पर ज्यादा जोर देते हैं कि पदक के लिए दीर्धकालीन खेल परियोजनाओं को प्रारंभ करना होगा जिससे समय आने पर बेहतर परिणाम मिल सके। केरल में 2012 में 35वें राष्ट्रीय खेल होने हैं और इसके लिए समय कम बचा है। हालांकि बिना किसी विशेष अधोसंरचनाओं के राज्य को नेशनल गेम्स में सात पदक मिलना काफी महत्वपूर्ण है।
खेल विशेषज्ञों की मानें तो जिन  खेलों में पदक मिले उनकी अधोसंरचना पहले से मौजूद रहतीं तो रजत और कांस्य की बजाए हम स्वर्ण तक पहुंच सकते थे। राज्य में बास्केटबाल और हैंडबाल के इनडोर स्टेडियम नहीं हैं लेकिन आउटडोर में ही बेहतर अभ्यास के बूते खिलाड़ी पदक हासिल कर रहे हैं। व्यक्तिगत खेलों कराते के आधुनिक उपकरण मौजूद नहीं लेकिन कराते का स्वर्ण पदक मिल गया। शूटिंग में सर्वाधिक तीन पदक मिलने का श्रेय जिंदल स्टील लिमिटेड को जाता है जिसके खिलाड़ी रायगढ़ की शूटिंग रेंज में नियमित अभ्यास करते हैं। जाहिर है कि जिन खेलों की बेहतर सुविधाएं हैं उनमें पदक की संभावनाएं बनी रहती हैं और खिलाड़ी पदक भी हासिल कर रहे हैं। वेटलिफ्टिंग में मात्र कुछ कमियों की वजह से कांस्य पदक से चूकीं अनिता शिंदे और शहीद राजीव पांडे अवार्डी तेजा सिंह साहू कहते हैं कि हमें उन राज्यों की खेल परंपराओं का अनुसरण करना चाहिए जहां खेल खत्म होने के दूसरे दिन से अगले पदक की तैयारियां प्रारंभ कर दी जाती हैं। श्री साहू के मुताबिक केरल के लिए हमें आज से ही तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए।

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